भारत के एक बड़े उद्योगपति राहुल बजाज ने केंद्र सरकार से कही कुछ ‘दिल की बातें’

Tuesday, Dec 03, 2019 - 12:05 AM (IST)

प्रसिद्ध उद्योगपति एवं बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज देश के 11वें सर्वाधिक धनी व्यक्ति हैं। वह स्वतंत्रता सेनानी जमना लाल बजाज के पोते हैं तथा राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं। उन्हें 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है। अपनी स्पष्टवादिता के लिए मशहूर राहुल बजाज समय-समय पर समय की सरकारों की त्रुटियां उजागर करते रहे हैं। 

वह 2004 से 2014 के दौरान कांग्रेस नीत यू.पी.ए. सरकार की आर्थिक नीतियों की कई बार आलोचना कर चुके हैं और एक बार उन्होंने कहा था कि ‘‘यह मेरे दादा के जमाने की कांग्रेस नहीं है। टिकाऊ विकास के लिए जरूरी चीजों पर फोकस करने की बजाय हम लगातार सबसिडी और खैरात देने जैसी चीजों को बढ़ा कर देश के खजाने का घाटा बढ़ा रहे हैं।’’ 

इसी प्रकार केंद्र में 2014 में भाजपा नीत राजग सरकार आने के बाद उन्होंने इसकी आलोचना की है जबकि अतीत में वह भाजपा के अच्छे कार्यों की प्रशंसा भी कर चुके हैं। उदाहरणार्थ 1990 के दशक में जब देश में अस्थिर सरकारों का दौर था, तब राहुल बजाज ने कहा था कि ‘‘भाजपा कोई अछूत दल नहीं है। भाजपा की सरकारें कई राज्यों में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।’’ भाजपा के सत्ता में आने के बाद उन्होंने उसी बेबाकी से भाजपा की गलत नीतियों की आलोचना भी की है। उन्होंने सरकार के नोटबंदी के निर्णय की आलोचना की और कहा कि ‘‘इससे कोई लाभ देश को होने वाला नहीं है।’’इसी प्रकार जुलाई में उन्होंने कहा था कि ‘‘आटो सैक्टर अत्यंत कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है। कोई मांग नहीं है और कोई निवेश भी नहीं है। ऐसे में विकास कहां से आएगा? क्या विकास स्वर्ग से गिरेगा?’’

अब 30 नवम्बर को उन्होंने मुम्बई में एक पुरस्कार वितरण समारोह में मोदी सरकार के वरिष्ठï मंत्रियों के सामने देश को दरपेश अनेक ज्वलंत मुद्दे उठाए। उन्होंने समारोह में मौजूद गृह मंत्री अमित शाह से प्रश्र किया कि ‘‘देश में भय का माहौल क्यों है और लोग सरकार की आलोचना करने से भी क्यों डर रहे हैं? मेहरबानी करके आप घटनाओं को नकारने वाला जवाब न दें।’’उन्होंने खुला माहौल बनाने की मांग की ताकि हर कोई अपनी बात साहसपूर्वक कह सके। उन्होंने अमित शाह से कहा, ‘‘जब यू.पी.ए. की सरकार सत्ता में थी तो हम किसी की भी आलोचना कर सकते थे अब यदि हम आपकी खुले तौर पर आलोचना करें तो इतना विश्वास नहीं है कि आप इसे पसंद करेंगे। हो सकता है कि मैं गलत होऊं लेकिन दूसरे लोग भी ऐसा ही कह रहे हैं।’’ 

राहुल बजाज ने कार्पोरेट जगत में केंद्र सरकार की आलोचना करने की घटती हिम्मत, भीड़ की हिंसा और सांसद प्रज्ञा ठाकुर के बयानों को लेकर भी अपने दिल की बात कही जिनके बारे में प्रधानमंत्री ने कहा था कि उनके लिए प्रज्ञा ठाकुर को माफ करना आसान नहीं होगा। राहुल बजाज ने कहा, ‘‘इसके बावजूद प्रज्ञा ठाकुर को सदन की सलाहकार समिति की सदस्य बना दिया गया। यह माहौल जरूर हमारे मन में है लेकिन इसके बारे में कोई बोलेगा नहीं।’’ भीड़ की हिंसा के बारे में राहुल बजाज बोले, ‘‘एक हवा पैदा हो गई है...असहनशीलता की हवा है। हम डरते हैं कि कुछ चीजों पर हम बोलना नहीं चाहते हैं पर हम देखते हैं कि किसी को अभी तक सजा नहीं हो रही।’’ 

राहुल बजाज के उक्त बयान पर कार्पोरेट जगत तथा राजनीतिज्ञों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। राहुल बजाज के बेटे और बजाज आटो के एम.डी. राजीव बजाज ने अपने पिता के बयान को अत्यधिक साहसिक बताते हुए कहा है कि ‘‘सच कितना भी कड़वा क्यों न हो मेरे पिता कभी भी बोलने से हिचकते नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा—इंडस्ट्री में कोई भी उनके पिता के साथ खड़ा नहीं होना चाहता बल्कि वे अपनी सुविधा के अनुसार किनारे बैठ कर ताली बजाते हैं। बायोकॉन की अध्यक्ष और एम.डी. किरण मजूमदार शाह का भी यही कहना है कि सरकार कोई आलोचना सुनना ही नहीं चाहती। इस समय जबकि देश में आर्थिक मंदी और बेरोजगारी शिखर पर है राहुल बजाज ने सरकारी आंकड़ों के विपरीत देश के आर्थिक और राजनीतिक वातावरण की वास्तविकता उजागर करने की कोशिश की है।

हालांकि उद्योगपतियों के निजी हित होते हैं जिनके चलते वे सत्ता प्रतिष्ठान की नाराजगी मोल लेने से कतराते हैं परंतु राहुल बजाज ने इसकी परवाह न करते हुए जिस प्रकार खुले दिल से अपनी बात कही है उसी प्रकार सरकार को भी खुले दिल से उनकी टिप्पणियों पर अवश्य विचार करना चाहिए।—विजय कुमार  

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