पंजाब में ‘शराब बंद’ करवाने के लिए 186 पंचायतें और आगे आईं

punjabkesari.in Sunday, Jan 31, 2016 - 01:38 AM (IST)

समूचे देश में शराब का सेवन लगातार बढ़ रहा है और उसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं। शराब से बड़ी संख्या में महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं और देश की जवानी को नशों का घुन खोखला कर रहा है। आमतौर पर लोगों को शराब से नशे की लत लगती है और जब वह शराब नहीं खरीद पाते तो अन्य सस्ते नशों और नकली शराब का सेवन शुरू करके अपना जीवन तबाह कर बैठते हैं। 

 
इसके बावजूद सरकारों ने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि हमारे शासक नेता तो शराब को नशा ही नहीं मानते और इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को वह खोना नहीं चाहते। 
 
सरकारों की इसी नीति के अनुरूप पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री श्री सुरजीत कुमार ज्याणी ने 21 दिसम्बर, 2015 को कहा था, ‘‘शराब नशा नहीं है। शराब बेचने के लिए सरकार परमिट व शराब बनाने के लिए फैक्टरियों को लाइसैंस देती है। शराब के ठेकों से ही सरकार को आमदनी होती है। जब सब कुछ कानूनी तौर पर किया जाता है तो फिर शराब नशा कैसे हो सकती है!’’
 
नेता कुछ भी कहें, यह अटल सत्य है कि शराब एक नशा और जहर है तथा इसके सेवन से लिवर सिरोसिस, उच्च रक्तचाप, अवसाद, अनीमिया, गठिया, स्नायु रोग, मोटापा, दिल की बीमारी आदि के अलावा महिलाओं में गर्भपात, गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव तथा विभिन्न विकारों से पीड़ित बच्चों के जन्म जैसी समस्याओं का होना आम बात है। 
 
इसीलिए पिछले कुछ समय से समाज में शराब के विरुद्ध जागृति आ रही है। विशेषत: महिलाएं इसके विरुद्ध अभियान चला रही हैं व कुछ समय पूर्व पंजाब की 186 ग्राम पंचायतों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके सरकार से वर्ष 2016-17 में अपने क्षेत्र में ठेके नीलाम न करने को कहा है। 
 
इनमें सर्वाधिक 48 पंचायतें संगरूर जिले से हैं। इसके अलावा होशियारपुर (20), लुधियाना (18), पटियाला (12), फरीदकोट (11), मोगा (10), फाजिल्का (9), जालंधर (8), मुक्तसर व बरनाला (7-7), भटिंडा (6), मानसा (5), गुुरदासपुर, पठानकोट व फिरोजपुर (4-4), नवांशहर (3), रूपनगर, फतेहगढ़ साहिब, कपूरथला व अमृतसर (2-2) तथा मोहाली व तरनतारन की 1-1 पंचायत ने इस बाबत 30 सितम्बर 2015 से पहले प्रस्ताव पास कर पंंजाब सरकार के आबकारी व कराधान विभाग के पास भेजे हुए हैं। 
 
हालांकि हाल-फिलहाल के वर्षों में इस तरह के कई प्रस्ताव पास किए गए थे लेकिन आबकारी विभाग इन्हें अनसुना कर ठेकों की नीलामी करता रहा है। सरकार और आबकारी विभाग की इस मामले में ढुलमुल कार्यप्रणाली के चलते ‘एन.जी.ओ.’ साइंटिफिक अवेयरनैस एंड सोशल वैल्फेयर फोरम ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में एक जनहित याचिका डाली थी।
 
इसके जवाब में आबकारी व कराधान आयुक्त, पंजाब ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि पंचायतों द्वारा पास प्रस्तावों पर 28 फरवरी तक स्पीकिंग ऑर्डर जारी कर दिए जाएंगे। अब उक्त ‘एन.जी.ओ.’ नेे पंंजाब सरकार के मुख्य सचिव, आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रधान सचिव व आयुक्त को डिमांड नोटिस भेज कर उक्त 186 पंचायतों के प्रस्ताव पर 28 फरवरी से पहले फैसला लेने व संबंधित पंचायतों को इसकी जानकारी देने की मांग की है। 
 
शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए ही राष्टपिता महात्मा गांधी ने पराधीनता के युग में यह घोषणा की थी कि यदि भारत का शासन आधे घंटे के लिए भी उनके हाथ में आ जाए तो वह शराब की सभी डिस्टिलरियों और दुकानों को बिना मुआवजा दिए ही बंद कर देंगे।
 
समाज के समूचे ताने-बाने पर पड़ रहे शराब के घातक कुप्रभाव को देखते हुए उक्त पंचायतें अपने गांवों को नशामुक्त करने की दिशा में पग उठाने के लिए साधुवाद की पात्र हैं। 
 
इसी प्रकार जिन अन्य पंचायतों ने ऐसा नहीं किया है उन्हें भी अपने क्षेत्रों संबंधी ऐसे ही प्रस्ताव पास करके आबकारी विभाग को भेजने चाहिएं क्योंकि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है और यदि शरीर ही स्वस्थ न रहा तो विभिन्न मानसिक विकृतियों का शिकार होकर लोग अपराध की दुनिया जैसे गलत रास्ते पर ही चलेंगे जो अंतत: उन्हें और उनके परिवारों व समाज को तबाही के गड्ढे में गिरा देगा।  
 

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