‘पंजाब के गन्ना किसानों का आंदोलन समाप्त’ ‘आम लोगों और उद्योगों को राहत’

Wednesday, Aug 25, 2021 - 02:58 AM (IST)

एक ओर केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों के विरुद्ध दिल्ली सीमा पर गत 9 महीनों से जनजीवन अस्त-व्यस्त चला आ रहा है तथा आंदोलन के दौरान सैंकड़ों किसानों की मौत हो चुकी है, दूसरी ओर पंजाब में 20 अगस्त को 12 किसान संगठनों के अपनी मांगों को लेकर जालंंधर-दिल्ली हाईवे व रेल पटरियों पर धरना लगा देने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। किसानों की मांगों में गन्ने की स्टेट एग्रीड प्राइस (एस.ए.पी.) बढ़ा कर 400 रुपए करने तथा चीनी मिलों की ओर बकाया 160 करोड़ रुपए की राशि अगले कुछ दिनों के भीतर जारी करने की मांगें शामिल थीं। 

इस सम्बन्ध में 22 अगस्त को चंडीगढ़ में सहकारिता मंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा के साथ किसानों की बैठक बेनतीजा रही थी, हालांकि किसान नेताओं ने इस बैठक के बाद अपने तेवर कुछ नर्म करने के संकेत अवश्य दिए। उन्होंने 24 अगस्त को मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के साथ होने वाली बैठक के दृष्टिगत इसी दिन किया जाने वाला पंजाब बंद का कार्यक्रम स्थगित कर दिया, परंतु कोई फैसला होने तक धरना जारी रखने का निर्णय लिया। 24 अगस्त को मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह के साथ किसान नेताओं की बैठक में पंजाब सरकार द्वारा गन्ने की एस.ए.पी. हरियाणा से भी 2 रुपए अधिक करते हुए 50 रुपए प्रति किं्वटल बढ़ा कर 360 रुपए करने पर सहमति बनने के बाद किसान नेताओं ने धरना हटाने की घोषणा कर दी है। 

इससे जहां देश के विभिन्न भागों में अनिवार्य जीवनोपयोगी वस्तुओं की सप्लाई लाइन टूटने का खतरा टल गया है वहीं प्रभावित हुई लगभग 150 रेलगाडिय़ां दोबारा शुरू होने और सड़कों पर आवागमन सामान्य होने से आम लोगों तथा उद्योगों-व्यवसाय को राहत मिली है। अत: जिस प्रकार कै. अमरेंद्र सिंह ने समय रहते गन्ना किसानों की मांग स्वीकार करके एक अप्रिय स्थिति टाली है, वैसे ही केंद्र सरकार को भी किसानों की मांगों पर बातचीत करने का प्रयास करना चाहिए ताकि किसानों की मौतें रुकें, वे घरों को लौट सकें और लोगों का जनजीवन पटरी पर आ सके जिससे आने वाले चुनावों में भाजपा को भी लाभ हो।—विजय कुमार

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