‘20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा’ ‘यह खुराक है, इलाज नहीं’''

punjabkesari.in Thursday, May 14, 2020 - 12:45 PM (IST)

‘कोरोना’ के कारण बेपटरी हुई देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देश के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा करते हुए कहा था कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इसके बारे में खुलासा करेंगी। इसी के अनुरूप निर्मला सीतारमण ने 13 मई को राहतों की पहली किस्त की घोषणा की। वित्त मंत्री ने एम.एस.एम.ई. (लघु, सूक्ष्म, मध्यम, गृह एवं कुटीर  उद्योग)  को, जिनका बकाया लोन 25 करोड़ रुपए से कम और टर्नओवर 100 करोड़ रुपए से अधिक न हो, 4 वर्ष के लिए गारंटी मुक्त 3 लाख करोड़़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है। इसके अंतर्गत उन्हें एक वर्ष ई.एम.आई. चुकाने से छूट होगी। उनके अनुसार इससे 25 लाख औद्योगिक इकाइयों को लाभ होगा। संकट में फंसे एम.एस.एम.ई. की धन की कमी दूर करने के लिए  20,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।  एम.एस.एम.ई. को बढ़ावा और विस्तार देने के लिए फंड्स ऑफ फंड बनाकर उसमें छोटे उद्योगों को शामिल किया जाएगा।  

एम.एस.एम.ई. की परिभाषा भी बदली जा रही है जिसके अंतर्गत 1 करोड़ रुपए के निवेश और 5 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाली इकाइयां भी ‘माइक्रो यूनिट’ ही कहलाएंगी।  ‘आत्मनिर्भर भारत’ व ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए 200 करोड़ रुपए तक के किसी भी कार्य के टैंडर के लिए ग्लोबल टैंडर की आवश्यकता नहीं होगी। सिर्फ स्वदेशी कम्पनियों को ही ये टैंडर मिलेंगे। निर्माण के कार्यों से जुड़ी विभिन्न कम्पनियों (ठेकेदारों) को राहत देते हुए निर्धारित समय में किए जाने वाले काम को तय तारीख से 6 महीने आगे बढ़ाया गया है। इसके अंतर्गत सड़क निर्माण, रेलवे और राजमार्ग आदि कार्यों से जुड़े ठेकेदारों को 6 महीने तक की मोहलत दी जाएगी और बिल्डरों को भी मकानों का निर्माण पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने कम रेटिंग वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों (एन.बी.एफ.सी.) के लिए 30,000 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है। बिजली उत्पादन करने वाली संकट ग्रस्त कम्पनियों के लिए भी 90,000 करोड़ रुपए की राहत की घोषणा की गई है।  वित्त मंत्री के अनुसार ई.पी.एफ. के लिए पहले मार्च,अप्रैल और मई तक दी गई सहायता अगले तीन महीनों के लिए बढ़ा दी गई है। इससे 3.67 लाख प्रतिष्ठानों और 72.22 लाख कर्मचारियों को मदद मिलेगी। 

उन्होंने 15,000 रुपए मासिक से कम वेतन वालों को सरकारी सहायता देते हुए उनके वेतन का 24 प्रतिशत भाग ई.पी.एफ. में जमा करने का निर्णय किया है और जिन कर्मचारियों का 24 प्रतिशत ई.पी.एफ. अंशदान सरकार नहीं भर रही है अर्थात जिनका वेतन 15,000 रुपए से अधिक है, उनके मामले में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का ई.पी.एफ. में योगदान का प्रतिशत अगले तीन महीनों के लिए 12 से घटाकर 10 प्रतिशत किया गया है। इसी प्रकार रियल एस्टेट को राहत देने के लिए शहरी विकास मंत्रालय विभिन्न निर्माण कर्मचारियों को पंजीकरण और कार्य पूर्ण करने की तिथि  6 महीनों के लिए आगे बढ़ाने की एडवाइजरी जारी करेगी।

वित्त वर्ष 2019-20 की सभी आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2020 तथा 31 अक्तूबर, 2020 से बढ़ा कर 30 नवम्बर, 2020 तक कर दी गई है। टी.डी.एस. तथा टी.सी.एस. कटौती की दर को मार्च 2021 तक के लिए घटाया गया है और टी.डी.एस. दरों में 25 प्रतिशत की कटौती की गई है। सरकार के अनुसार इससे आम जनता को 50,000 करोड़ रुपए का लाभ मिलेगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, ‘‘आत्मनिर्भर भारत से संकल्प सिद्ध करने के लिए इस पैकेज में लैंड , लेबर, लिक्विडिटी और लॉ सभी पर बल दिया गया है।’’  और व्यापार एवं उद्योग जगत ने भी इसकी सराहना करते Þए इस पैकेज को भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार लाने वाला ही बताया है वहीं विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना भी की है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम (कांग्रेस) ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि,‘‘इसमें किसानों के लिए कुछ नहीं है।’’

ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार की इस राहत घोषणा को ‘बिग जीरो’ और ‘धोखा’ बताया है और कहा है कि,‘‘लोगों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद थी।’’ विशेषज्ञों के एक वर्ग का कहना है कि,‘‘यह पैकेज उनके लिए है जो काम करना चाहते हैं, उनके लिए नहीं जो बिना काम किए पैसा लेना चाहते हैं।’’ जबकि एक अन्य वर्ग का कहना है कि,‘‘यह राहत पैकेज खुराक है, इलाज नहीं। आज जो पीड़ित हैं, उनकी जेब में क्या आएगा?’’ बेशक आज की तारीख में यह बात सही है परंतु वित्तमंत्री की आगे घोषणाओं से ही पता चलेगा कि इससे तात्कालिक राहत के तौर पर देशवासियों को क्या मिला है।                                           
-विजय कुमार


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