पुडुचेरी में उप-राज्यपाल के संबोधन बिना बजट पेश करना सरासर अनुचित

punjabkesari.in Wednesday, Jul 22, 2020 - 02:26 AM (IST)

केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायण सामी और उप-राज्यपाल किरण बेदी के बीच सरकार के कामकाज को लेकर विवाद तभी से जारी है जब वह 2016 में इस राज्य की उप-राज्यपाल नियुक्त की गईं। नारायण सामी तथा उनकी पार्टी कांग्रेस ने किरण बेदी पर विभिन्न कल्याण योजनाओं को स्वीकृति देने में देरी करने, सरकार की अनदेखी करने,अधिकारियों को डरा-धमका कर स्वतंत्रतापूर्वक काम करने से रोकने और प्रशासन के कामकाज में दखल देने का आरोप लगाया है। 20 जुलाई, 2019 को तो नारायण सामी ने यहां तक कहा था कि ‘‘वह (किरण बेदी) एक तानाशाह की तरह काम कर रही हैं। वह जर्मन तानाशाह हिटलर की बहन लगती हैं और कैबिनेट के फैसले लागू नहीं होने देतीं।’’ 

दूसरी ओर किरण बेदी ने कहा कि ‘‘केंद्र सरकार पुडुचेरी की जरूरतों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है और केंद्र सरकार के मार्गदर्शन के चलते ही पुडुचेरी प्रशासन अपने लोगों को जरूरी सेवाएं उपलब्ध करवा पा रहा है।’’ बहरहाल गत वर्ष 30 अप्रैल को मद्रास हाईकोर्ट ने भी किरण बेदी द्वारा निर्वाचित सरकार से हटकर स्वतंत्र रूप से फैसले करने पर रोक लगाते हुए कहा था कि वित्त प्रशासन तथा सेवाओं से जुड़े मामलों में उप-राज्यपाल सिर्फ मंत्रिमंडल की सलाह से ही काम कर सकती हैं। 

मुख्यमंत्री नारायण सामी और उप-राज्यपाल किरण बेदी के बीच विवाद का नवीनतम मामला 20 जुलाई को सामने आया और संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब मुख्यमंत्री नारायण सामी ने, जिनके पास वित्त विभाग भी है, उप-राज्यपाल के संबोधन के बगैर ही बजट पेश कर दिया। इस पर विरोधी दलों के सभी सदस्य यह कहते हुए विधानसभा से बाहर चले गए कि बजट भाषण से पूर्व उप-राज्यपाल ने सदन को संबोधित क्यों नहीं किया? भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने कहा कि विधानसभा के पास उप-राज्यपाल के संबोधन को लंबित रखने की शक्ति नहीं है। उधर, किरण बेदी का कहना है कि बजट को मंजूरी के लिए उनके पास नहीं भेजा गया, इसलिए उन्होंने सदन में अभिभाषण नहीं दिया। 

संसदीय परम्परा के अनुसार नए वित्तीय वर्ष के पहले सत्र के दौरान राज्यपाल का अभिभाषण होता है अर्थात बजट सत्र राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू होता है। अत: पुडुचेरी के मुख्यमंत्री ने ऐसा न करके निश्चय ही लोकतांत्रिक मर्यादाओं को ठेस पहुंचाई है। यदि उप-राज्यपाल के साथ उनके कोई विवाद हैं भी तो उन्हें परस्पर वार्ता और विचार-विमर्श द्वारा सुलझाना चाहिए न कि स्थापित संवैधानिक परम्पराओं की अवहेलना करना।—विजय कुमार                     


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News