समारोहों में अश्लील गीतों और हथियारों का प्रदर्शन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा रोकने के सराहनीय निर्देश

Friday, Aug 02, 2019 - 12:35 AM (IST)

यह वास्तविकता है कि आज केवल न्याय पालिका व मीडिया ही जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों को झझोड़ रहे हैं। इसी सिलसिले में एक जनहितकारी निर्णय में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने शोर प्रदूषण और अश्लीलता को बढ़ावा देने वाले गीतों, अश्लील पोस्टरों और शादी-विवाहों तथा धार्मिक समारोहों में हथियारों के प्रदर्शन पर रोक लगाने संबंधी पंजाब-हरियाणा और चंडीगढ़ की सरकारों को महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। 

इनके अनुसार किसी भी व्यक्ति को किसी मेले, धार्मिक या विवाह समारोह  या किसी शिक्षण संस्थान में हथियार लेकर जाने पर रोक लगाने के अलावा 21 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को हथियारों का लाइसैंस नहीं देने का निर्देश दिया गया है। लाइव शोज में शराब, नशों और ङ्क्षहसा को बढ़ावा देने वाले गीत चलाने पर रोक लगाने के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों के आसपास फिल्मों के अंग प्रदर्शन वाले पोस्टर लगाने पर भी रोक लगा दी गई है।

रात के समय सिवाय चारदीवारी से घिरे (जहां से ध्वनि बाहर न जाए) परिसरों में लाऊडस्पीकरों के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गई है। इसी प्रकार माननीय न्यायाधीशों ने धर्मस्थलों में बिना लिखित अनुमति के लाऊडस्पीकर का इस्तेमाल अवैध करार देते हुए कहा है कि किसी भी स्थिति में कहीं पर भी सुबह 6 बजे से पहले लाऊड स्पीकर का उपयोग अवैध है और उल्लंघन पर कार्रवाई की जाएगी। यदि पात्र अधिकारी लाऊड स्पीकर के प्रयोग की अनुमति देता भी है तो भी उसकी ध्वनि का स्तर 10 डेसीबल से अधिक नहीं होना चाहिए।

किसी धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन के लिए वर्ष में 15 दिन रात 12 बजे तक लाऊड स्पीकर या म्यूजिक सिस्टम चलाने की छूट दी जा सकती है बशर्ते ध्वनि का स्तर 10 डेसीबल से अधिक न हो। वार्षिक परीक्षाओं से 15 दिन पहले और परीक्षाओं के दौरान लाऊड स्पीकर के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी गई है। राज्य सरकारों को ध्वनि प्रदूषण पैदा करने वाले साइलैंसरयुक्त वाहनों के मालिकों के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई करने, साइलैंस जोन में हार्न न बजाने और रिहायशी इलाकों में रात 10 बजे के बाद हार्न बजाने पर रोक को सुनिश्चित करने और विभिन्न स्थानों का औद्योगिक व्यावसायिक आवासीय और साइलैंस क्षेत्रों में वर्गीकरण करने का निर्देश भी दिया गया है। 

ध्वनि प्रदूषण और विवाह समारोहों में फायरिंग से दुर्घटनाओं संबंधी दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए माननीय न्यायाधीशों राजीव शर्मा और एच.एस. सिद्धू ने कहा कि इन आदेशों का क्रियान्वयन सुनिश्चित बनाने के लिए संबंधित जिले के मैजिस्ट्रेट, एस.एस.पी. और एस.पी. जिम्मेदार होंगे। पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देश सराहनीय हैं। इनसे पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में सांस्कृतिक प्रदूषण के अलावा हुल्लड़बाजी और ङ्क्षहसा को हतोत्साहित करके बच्चों पर पडऩे वाले कुप्रभाव को किसी सीमा तक रोका जा सकेगा। अत: इस तरह के निर्देश दूसरे राज्यों में भी लागू किए जाने चाहिएं।—विजय कुमार    

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