दिल्ली, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बम्बई कार्पोरेशन के प्रशंसनीय निर्णय

Saturday, Oct 14, 2017 - 01:26 AM (IST)

अक्सर केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों और निर्णयों की आलोचना होती रहती है परंतु कभी-कभी ये कुछ ऐसे निर्णय भी लेती हैं जिससे वे अनायास ही प्रशंसा की पात्र बन जाती हैं। यहां प्रस्तुत हैं दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग, बम्बई म्यूनिसिपल कार्पोरेशन, कर्नाटक सरकार तथा मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए 4 महत्वपूर्ण निर्णय : 

दिल्ली के महिला एवं बाल विकास विभाग ने देर से आने वाले कर्मचारियों पर सख्ती करते हुए उन्हें सुबह 9.45 बजे तक कार्यालय पहुंचने का निर्देश दिया है। आदेश के अनुसार 9.45 बजे के बाद दफ्तर आने वाले कर्मचारियों को विलंब से आया हुआ माना जाएगा और तीन बार दफ्तर देर से पहुंचने पर उनका एक आकस्मिक अवकाश अपने आप कम हो जाएगा। महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक शिल्पा शिंदे ने इस संबंध में जारी आदेश में कहा है कि ‘‘दफ्तर पहुंचने का आधिकारिक समय 9.30 बजे है तथा रोजाना विलम्ब से आने वालों के विरुद्ध नियमों के अंतर्गत उचित कार्रवाई की जाएगी।’’ 

बृहनमुम्बई म्यूनिसिपल कार्पोरेशन (बी.एम.सी.) ने अपने सभी कार्यालयों में आधार आधारित बायोमीट्रिक हाजिरी प्रणाली (ए.ई.बी.एस.) लागू कर दी है जिसके अंतर्गत 15 मिनट से अधिक देर से आने वाले चपड़ासी से लेकर अफसर तक करीब 1200 कर्मचारियों के वेतन में से उनके लेट आने के हिसाब से कटौती की जाएगी। ऐसा गत 15 जुलाई से कार्पोरेशन के दफ्तरों में ‘आधार’ से जुड़ी बायोमीट्रिक हाजिरी को अनिवार्य करने के बाद पहली बार होगा। लेट आने के लिए इनका 1 से 7 दिन का वेतन काटा जाएगा जो इस बात पर निर्भर करेगा कि कितनी बार उन्हें लेट आने पर ‘गैर-हाजिर’ दर्ज किया गया। डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर (जनरल एडमिनिस्ट्रेशन) सुधीर नायक का कहना है कि इस संबंध में कर्मचारियों की किसी प्रकार की बहानेबाजी नहीं चलेगी तथा यह प्रणाली जारी रहेगी। 

महत्वपूर्ण निर्णयों की कड़ी में तीसरा महत्वपूर्ण निर्णय कर्नाटक मंत्रिमंडल ने गत दिवस लिया जब इसने अंधविश्वास के विरुद्ध ‘कर्नाटक अमानवीय दुष्ट आचरण और काला जादू विधेयक-2017’ को स्वीकृति प्रदान कर दी। राज्य में काफी समय से अंधविश्वासी रीति-रिवाजों के विरुद्ध प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही थी। इस संबंध में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अध्यक्षता में हुई बैठक में उक्त विधेयक को स्वीकृति प्रदान कर दी गई जिसका उद्देश्य ‘सुपर नैचुरल’ या काला जादू के नाम पर अमानवीय बुरी परम्पराओं का प्रचार करने और उन्हें व्यवहार में लाने पर रोक लगाना है। 

इसके द्वारा अन्य कुप्रथाओं के अलावा केले के पत्तों पर छोड़ी हुई जूठन पर लोटने की विवादास्पद कुप्रथा भी शामिल है। यह दक्षिण कन्नड़ जिले के कुके सुब्रह्मïण्या मंदिर में प्रचलित मानव गरिमा के विपरीत एक अमानवीय परम्परा है जिसके दौरान लोग पत्तों पर छोड़ी हुई जूठन के ऊपर लोटते हैं। इस विधेयक द्वारा किसी अनुष्ठान के लिए मवेशी की गर्दन काट कर उसकी जान लेने पर रोक लगाना तथा काला जादू व्यवहार में लाने पर रोक लगाना वांछित है। विधेयक के अंतर्गत उल्लंघनकत्र्ताओं के लिए दंड का प्रावधान भी रखा गया है जो कम से कम एक वर्ष कैद और 5000 रुपए नकद जुर्माना होगा। 

आज जबकि देश में विधवा पुनर्वास बहुत बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुका है, मध्य प्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय विभाग ने विधवाओं के पुनर्वास के लिए विधवा विवाह को बढ़ावा देने हेतु एक नई योजना शुरू करने का निर्णय किया है। इसके अंतर्गत प्रदेश सरकार राज्य में विधवा महिला से शादी करने वाले व्यक्ति को 2 लाख रुपए देगी। ये 2 लाख रुपए उस व्यक्ति को दिए जाएंगे जो 45 साल  से कम उम्र की विधवा महिला से विवाह करेगा तथा उसकी यह पहली शादी होगी। दफ्तरों में देर से पहुंचने, अंधविश्वास के नाम पर काला जादू और जूठन पर लोटने जैसी अमानवीय कुप्रथाओं को रोकने और विधवा विवाह को प्रोत्साहित करने में उक्त निर्णय अवश्य ही उपयोगी सिद्ध होंगे। 

अन्य राज्यों की सरकारों तथा सरकारी विभागों को भी इस तरह के निर्णय लेने चाहिएं ताकि लोगों में अनुशासन आए, अंधविश्वास दूर हो और विधवाएं वैधव्य के नारकीय जीवन से मुक्ति पा सकें।—विजय कुमार  

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