एक ही दिन में पंजाब में ‘शिअद’ और ‘आप’ में राजनीतिक धमाके

Friday, Dec 21, 2018 - 05:22 PM (IST)

16 दिसम्बर का दिन पंजाब के इतिहास में घटनाप्रधान रहा जब शिरोमणि अकाली दल (बादल) से निष्कासित नेताओं ने और आम आदमी पार्टी (आप) से निलंबित चल रहे नेताओं ने औपचारिक रूप से अपनी अलग ‘पाॢटयों’ के गठन की घोषणा की। अपने अस्तित्व में आने के बाद से अब तक ‘शिअद’ छठी बार तथा ‘आप’ दूसरी बार टूटी है।

माझा के बागी टकसाली नेताओं, जिन्होंने शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल के विरुद्ध अभियान छेड़ रखा था, ने शिअद (बादल) को टक्कर देने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब में अपने समर्थकों की मौजूदगी में नया अकाली दल बनाने की घोषणा की जिसका नाम ‘शिरोमणि अकाली दल (टकसाली)’ रखा गया है।

इसका प्रधान खडूर साहब से सांसद जत्थेदार रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा को बनाया गया है। जत्थेदार ब्रह्मपुरा, पूर्व सांसद डा. रत्न सिंह अजनाला और पूर्व मंत्री जत्थेदार सेवा सिंह सेखवां के साथ ही जत्थेदार ब्रह्मïपुरा के बेटे रविंद्र पाल सिंह व डा. अजनाला के बेटे अमर पाल सिंह को भी तथाकथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते ‘शिअद’ से निष्कासित किया गया था।

नए दल की घोषणा करते हुए जत्थेदार ब्रह्मपुरा ने कहा, ‘‘बादलों ने अपने 10 वर्ष के कार्यकाल दौरान असंख्य ऐसे गुनाह किए हैं जिन्हें सिख कौम कभी माफ नहीं करेगी। पार्टी में रहते हुए हमने कई बार इनकी पंथ विरोधी नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई परंतु कभी सुनवाई नहीं हुई। बादल और मजीठिया परिवारों की गलतियां शिअद के पतन का कारण बनेंगी। सुखबीर और मजीठिया की वजह से पंथक सोच वालों का शिअद में रहना मुश्किल हो गया है।’’

‘‘आज नए अकाली दल का गठन किया गया है जो शिरोमणि कमेटी को बादलों से मुक्त करवा कर श्री अकाल तख्त साहिब की पहले वाली मान-मर्यादा बहाल करेगा। बादलों तथा उनके भागीदारों को उनके किए पापों की सजा दिलवाने के लिए ‘शिरोमणि अकाली दल (टकसाली)’ हरसंभव प्रयास करेगा और जरूरत पडऩे पर अदालत का दरवाजा भी खटखटाएगा।’’

जत्थेदार ब्रह्मपुरा के अनुसार नए अकाली दल का संविधान 1920 वाला ही रहेगा जब अकाली दल अस्तित्व में आया था। नए दल को धर्मनिरपेक्ष रखने और लोकसभा के चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा भी की गई। इसी दिन पटियाला में ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) से बागी हुए गुट के विधायक सुखपाल खैहरा, ‘आप’ से निलंबित सांसद डा. धर्मवीर गांधी व अन्यों द्वïारा ‘लोक इंसाफ पार्टी’ के बैंस बंधुओं और ‘बहुजन समाज पार्टी’ के साथ मिल कर ‘पंजाब डैमोक्रेटिक अलायंस (पी.डी.ए.)’ के नाम से ‘जम्हूरी गठजोड़’ कायम करने की घोषणा की गई। यह गठजोड़ ‘बसपा’ के साथ मिल कर 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ेगा।

इस अवसर पर लोक इंसाफ पार्टी के सिमरजीत सिंह बैंस, बसपा के प्रदेशाध्यक्ष रछपाल राजू के अलावा ‘आप’ विधायक कंवर संधू, जगदेव सिंह, नाजर सिंह, जगतार सिंह, पिरमल सिंह तथा बलदेव सिंह भी उपस्थित थे। ‘आप’ ने डा. धर्मवीर गांधी को 2015 में व खैहरा को इस वर्ष नवम्बर में पार्टी से निलंबित कर दिया था जबकि ‘लोक इंसाफ पार्टी’ के विधायकों सिमरजीत सिंह बैंस और बलविंद्र सिंह बैंस ने इस वर्ष मार्च में ‘आप’ से नाता तोड़ा था।

सुखपाल खैहरा के अनुसार इस गठजोड़ का उद्देश्य पंजाब को भ्रष्टï पारंपरिक पाॢटयों और बादल तथा कैप्टन के सामंती परिवारों की जकड़ से मुक्त करना है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन पाॢटयों ने पंजाब को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने धार्मिक बेअदबी व बहबल कलां पुलिस फायरिंग के पीड़ितोंको न्याय नहीं दिलाया तो जनवरी में माघी मेला के मौके पर ‘पंजाब डैमोक्रेटिक अलायंस (पी.डी.ए.)’ अपनी अगली रणनीति की घोषणा करेगा।

पंजाब में एक नए राजनीतिक दल का उदय होना और एक राजनीतिक मोर्चे का अस्तित्व में आना स्पष्टï प्रमाण है कि ‘शिअद’ और ‘आप’ दोनों ही दलों में पिछले काफी समय से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था तथा पार्टी के एक वर्ग में अपने नेतृत्व को लेकर नाराजगी व्याप्त है। यही कारण है कि इसे बादल पिता-पुत्र और अरविंद केजरीवाल के लिए झटका माना जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में ये दोनों दल मतदाताओं को कितना लुभा सकेंगे, उनकी कसौटी पर कितना खरा उतर पाएंगे और चुनावों से पूर्व अपने आपको कितना मजबूत कर पाएंगे।       —विजय कुमार 

Yaspal

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