‘वकील को झूठे केस में फंसाने पर’ ‘पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट को कैद’

Sunday, Mar 31, 2024 - 04:57 AM (IST)

हालांकि पुलिस विभाग पर लोगों की सुरक्षा का जिम्मा होने के नाते पुलिस कर्मियों से अनुशासित होने की उम्मीद की जाती है, परन्तु आज देश में चंद पुलिस कर्मी अपने गलत कृत्यों से विभाग को बदनाम कर रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में गुजरात काडर के बर्खास्त पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट को गुजरात के बनासकांठा पालनपुर अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ‘जतिन नटवर लाल ठक्कर’ ने, एक होटल में ठहरे राजस्थान के एक वकील को ड्रग्स बरामदगी के 1996 के झूठे केस में फंसाने का दोषी ठहराते हुए 28 मार्च, 2024 को 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि भट्ट ने अपने पद और शक्ति का अनुचित इस्तेमाल किया और उसके मातहत अधिकारी उसके निर्देशों पर काम करते थे। 

यही नहीं, 30 वर्ष पूर्व 1990 में जामनगर में हुए दंगों में भट्ट ने लगभग 100 लोगों को हिरासत में लिया था, जिनमें से एक की मौत हिरासत में यातना के परिणामस्वरूप हो गई थी। इस मामले में 20 जून, 2019 को जामनगर की एक अदालत ने संजीव भट्ट तथा एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस आरोप में संजीव भट्ट को 2011 में निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद वह बिना बताए ड्यूटी से गैर हाजिर रहा। इस दौरान उसने सरकारी गाड़ी का दुरुपयोग भी किया और उसे 2015 में बर्खास्त कर दिया गया। उस समय वह बनासकांठा जिले का पुलिस अधीक्षक था। इसी वर्ष जनवरी में हाईकोर्ट ने उसके द्वारा मातहत अदालत के फैसले के विरुद्ध की गई अपील को रद्द कर दिया था। 

अपनी ड्यूटी को सही ढंग से अंजाम देने के लिए किसी भी अधिकारी का किसी पूर्वाग्रह से मुक्त होकर निष्पक्ष रूप से काम करना पहली शर्त है। इतने ऊंचे रुतबे के पुलिस अधिकारी का इस प्रकार का लापरवाही भरा और गलत आचरण आपत्तिजनक व दंडनीय होने के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी खतरा सिद्ध हो सकता है। इस लिहाज से अदालत का फैसला न्यायसंगत ही माना जाएगा।—विजय कुमार 

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