‘पी.ओ.के. में जनता का सब्र टूटा’ पाक से अलग होने की ओर!
punjabkesari.in Thursday, Oct 02, 2025 - 03:37 AM (IST)

पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर (पी.ओ.के.) की रणनीतिक और भौगोलिक स्थिति का लाभ अपने रणनीतिक और आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उठाता रहा है। इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों के कारण चीन भी इस क्षेत्र में बेहद दिलचस्पी ले रहा है और लगातार इस क्षेत्र, विशेषकर ‘मुजफ्फराबाद’, ‘रावलकोट’ और ‘बाघ’ में बड़ा निवेश करता जा रहा है। यहां चीन ने कई बड़े डैम बनाने के समझौते भी पाकिस्तान से किए हैं। मशरूम, शहद, अखरोट, सेब, चैरी, औषधीय पौधों, मेवों आदि से भरपूर इस इलाके में ‘कोयले’, ‘चाक’ व ‘बॉक्साइट’ आदि खनिजों के भंडार हैं। खनिज सम्पदा से भरपूर होने के बावजूद पाकिस्तान के शासकों की लगातार उपेक्षा तथा पाकिस्तान सरकार की नीतियों और अत्याचारों से तंग इस बेहद पिछड़े हुए क्षेत्र की जनता लम्बे समय से बिजली की ऊंची दरों, अनुचित टैक्सों, दूध, सब्जियों एवं अन्य जीवनोपयोगी वस्तुओं की आकाश छूती कीमतों जैसी समस्याओं से जूझ रही है।
इसी कारण पाकिस्तान के शासकों के सौतेले व्यवहार से तंग आए हुए ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ (पी.ओ.के.) के लोग खुली बगावत पर उतर आए हैं जिस कारण वहां हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इसी कड़ी में ‘अवामी एक्शन कमेटी’ (ए.ए.सी.) के नेतृत्व में पी.ओ.के. में पिछले 3 दिनों से बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी आंदोलन जारी है। पी.ओ.के. में आजादी के लिए शुरू हुए आंदोलन के तीसरे दिन 1 अक्तूबर को लोगों ने विभिन्न स्थानों पर जुलूस निकाले और पाकिस्तान सरकार, सेना और पुलिस के विरुद्ध नारेबाजी की। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के 250 सैनिकों को बंधक बना लिया और उनके वाहन दरिया में फैंक दिए। अब तक पी.ओ.के. में 10 से अधिक लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।
प्रदर्शन के दौरान मुजफ्फराबाद की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए अधिकारियों ने मुख्य सड़कों को ब्लाक कर दिया। कई इलाकों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है। बाजार, परिवहन और यहां तक कि संचार सेवाएं बाधित हो गईं। इंटरनैट व मोबाइल सेवाएं भी बंद हैं। इस दौरान मुजफ्फराबाद से कोटली तक हजारों लोग प्रदर्शन में शामिल हुए। बाजार पूरी तरह बंद रहे, सड़कें जाम हो गईं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट रुक गया। प्रदर्शनकारियों ने इंसाफ और हक के नारे लगाते हुए पाकिस्तान सरकार के विरुद्ध जोरदार विरोध जताया।
इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही ‘अवामी एक्शन कमेटी’ (ए.ए.सी.) ने घोषणा की है कि मांगें पूरी होने तक किसी भी प्रदर्शनकारी का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। बड़ी संख्या में युवा इस आंदोलन से जुड़े हैं और इसे लगातार व्यापक जन समर्थन मिल रहा है। ‘अवामी एक्शन कमेटी’ के नेता ‘शौकत नवाज मीर’ ने कहा कि ‘‘हमारा संघर्ष बुनियादी अधिकारों के लिए है। 1947 से हमें नकारा जा रहा है। पाकिस्तान सरकार पी.ओ.के. को अपने ‘गुलाम’ की तरह ट्रीट करती है।’’
2 वर्ष पूर्व शुरू हुआ यह आंदोलन क्षेत्र में नियमित और सबसिडी वाले आटे व बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए था। इसकी प्रमुख मांगों में शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटों को समाप्त करना तथा अभिजात वर्ग को प्राप्त विशेषाधिकारों को वापस लेना शामिल है।
इस आंदोलन को इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पी.टी.आई.) का समर्थन भी मिला हुआ है। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि आर्थिक रूप से दीवालिया हो चुकी पाकिस्तान सरकार चीन के दबाव में पी.ओ.के. के लोगों का शोषण कर रही है। यदि यही सिलसिला जारी रहा तो पाकिस्तान सरकार की मुश्किलें और बढ़ेंगी और कहीं उसका परिणाम भी बंगलादेश जैसा न हो, जिसका जन्म भी पाकिस्तान के तत्कालीन शासकों द्वारा वहां के स्थानीय लोगों के उत्पीडऩ तथा शोषण के परिणाम स्वरूप ही हुआ था।—विजय कुमार