धार्मिक समारोहों में बांटे जा रहे ‘प्रसाद’ से लोग हो रहे बीमार

punjabkesari.in Friday, Feb 23, 2024 - 04:08 AM (IST)

देश में लोगों द्वारा निजी तौर पर या धार्मिक स्थानों में आयोजित समारोहों में प्रसाद पाने या लंगर खाने के लिए बड़ी संख्या में लोग उपस्थित होते हैं परंतु कई बार इसे तैयार करने में जाने-अनजाने बरती गई लापरवाही से उसमें विषाक्तता आ जाती है जिससे इसका सेवन करने वाले बीमार हो जाते हैं। ऐसी ही चंद घटनाएं निम्न में दर्ज हैं : 

* 8 मई, 2023 को ‘मिदनापुर’ (पश्चिम बंगाल) में एक धार्मिक समारोह में वितरित प्रसाद खा कर 59 लोग बीमार पड़ गए व 1 व्यक्ति की जान चली गई। 
* 7 जुलाई, 2023 को ‘धेमाजी’ (असम) जिले में एक धार्मिक समारोह में वितरित प्रसाद के सेवन से 80 महिलाएं तथा बच्चे बीमार हो गए।
* 1 अगस्त, 2023 को ‘आगर मालवा’ (मध्य प्रदेश) के ‘मोल्याखेड़ी’ में एक धार्मिक उत्सव में भांग मिश्रित प्रसाद खा कर 40 श्रद्धालु बीमार हो गए। 
* 31 अगस्त, 2023 को ‘दरंग’ (असम) जिले के ‘मंगलदै’ गांव में एक धार्मिक समारोह में ‘महाप्रसाद’ के सेवन के तुरंत बाद लोगों को उल्टियां, पेट दर्द व चक्कर आने लगे और इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा। 

* 26 दिसम्बर, 2023 को ‘होसकोटे’ (कर्नाटक) में कुछ धार्मिक समारोहों में बांटा गया प्रसाद खाने से 50 लोगों की तबीयत खराब हो गई तथा एक महिला की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत भी हो गई। 
* 30 दिसम्बर, 2023 को ‘कूचबिहार’ (पश्चिम बंगाल) में एक धार्मिक समारोह में भक्तों को परोसी गई खिचड़ी खाने से 65 लोग बीमार हो गए।
* 19 फरवरी, 2024 को समस्तीपुर (बिहार) के गांव ‘बोचहा’ में एक धार्मिक कार्यक्रम में वितरित केला और दूध मिश्रित प्रसाद का सेवन करने से 100 से अधिक लोग बीमार हो गए। 

* और अब 20 फरवरी, 2024 को ‘नांदेड़’ (महाराष्ट्र) जिले के ‘कोष्टवाड़ी’ में एक पालकी समारोह में वितरित महाप्रसाद खा कर1000 लोग और इसी दिन महाराष्ट्र में ही ‘परभणी’ जिले के ‘सोनथाना’ गांव में धार्मिक कार्यक्रम के दौरान प्रसाद ग्रहण करके 500 लोग बीमार हो गए। यही नहीं, 14 फरवरी, 2018 को ‘चामराजनगर’ (कर्नाटक) जिले के ‘सूलीवादी’ गांव में एक समारोह के दौरान सहभोज के बाद खाद्य विषाक्तता के कारण 11 लोगों की मौत और 60 लोग बीमार हो गए थे। पहले इस तरह की घटनाएं कभी-कभार ही होती थीं, परंतु अब इनमें लगातार वृद्धि हो रही है, जो चिंता का विषय है। अत: ऐसे समारोहों के आयोजकों द्वारा श्रद्धालुओं में बांटे जाने वाले प्रसाद और सहभोज सामग्री के निर्माण में सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि इसे लोग प्रभु का प्रसाद ही कहते हैं।—विजय कुमार 


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