22 साल बाद संसद पर फिर हुआ हमला

Thursday, Dec 14, 2023 - 05:09 AM (IST)

13 दिसम्बर, 2001 को संसद के शीतकालीन अधिवेशन के दौरान महिला आरक्षण बिल पर हंगामे के बाद 11.02 बजे संसद को स्थगित करने के लगभग आधे घंटे बाद 11.30 बजे सफेद एम्बैसेडर कार में सवार पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद के 5 आतंकवादियों ने संसद परिसर में हमला करके अंधाधुंध फायरिंग कर दी जिसके परिणामस्वरूप 9 जवान शहीद हो गए थे। 15 दिसम्बर, 2001 को इस हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरु, एस.ए.आर. गिलानी, अफशान गुरु व शौकत हुसैन गिरफ्तार कर लिए गए। इनमें से गिलानी व अफशान को सुप्रीमकोर्ट ने बरी कर दिया जबकि अफजल गुरु का मृत्युदंड बरकरार रखा और उसे 9 फरवरी, 2013 को फांसी दे दी गई थी। 

अब 13 दिसम्बर को उक्त हमले की 22वीं बरसी पर संसद की सुरक्षा फिर भंग हुई, जब लोकसभा में शून्यकाल के दौरान 2 युवक सागर और मनोरंजन दर्शक दीर्घा से कूद कर दौड़ते हुए सांसदों तक पहुंच गए व बैंचों पर चढ़ कर स्पीकर की ओर दौडऩे लगे जिससे अफरा-तफरी मच गई। इस दौरान उन्होंने धुआं छोडऩे वाली केन के जरिए धुआं फैला दिया। वे सदन में एक बैंच से दूसरे बैंच की ओर दौड़ते रहे व सुरक्षा कर्मियों के हाथ नहीं आ रहे थे। हालांकि बाद में उन्हें कुछ सांसदों ने पकड़ लिया और कुछ ने इनकी पिटाई करने के बाद सुरक्षा कर्मियों को सौंप दिया। दोनों ही भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा के नाम पर लोकसभा विजीटर पास पर अंदर आए थे। 

इस घटना के कुछ ही समय बाद पीले और लाल रंग का धुआं छोडऩे वाली कैन लेकर संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करने वाले एक पुरुष अमोल शिंदे और एक महिला नीलम आजाद को हिरासत में लिया गया। ये दोनों संसद भवन के बाहर धुआं छोडऩे वाली केन खोलने के बाद ‘तानाशाही नहीं चलेगी’, ‘भारत माता की जय’ तथा ‘जय भीम, जय भारत’ के नारे लगा रहे थे। इस साजिश में शामिल 6 लोगों में से 5 को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि एक अभी फरार है। घटना के समय भाजपा सांसद  खगेन मुर्मू  अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भाषण दे रहा था, तभी दाईं ओर से आवाज आई। मुझे पता चला कि कोई आ रहा है और तभी सामने की ओर से सांसद और सिक्योरिटी गार्ड पकड़ो-पकड़ो चिल्लाने लगे। सदन धुएं से भर गया। युवक सीधे स्पीकर की तरफ जा रहे थे और ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ नारा लगा रहे थे।’’ 

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदम्बरम के अनुसार, ‘‘ये लोग कनस्तर लिए हुए थे जिनमें पीले रंग की गैस निकल रही थी और दोनों में से एक व्यक्ति दौड़ कर स्पीकर की चेयर के सामने पहुंच गया था।’’तृणमूल कांग्रेस  के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय के अनुसार, ‘‘यह डरावना अनुभव था। वे धमाका कर सकते थे, किसी को गोली मार सकते थे। वे धुआं छोडऩे वाले उपकरण के साथ सदन में कैसे प्रवेश कर सकते थे।’’ सपा सांसद एस.टी. हसन ने कहा, ‘‘हमें संसद की सुरक्षा में भारी खामी नजर आ रही है। इस तरह तो कोई जूते में बम रख कर भी आ सकता है।’’ संसद हमारे देश के सबसे उच्च सुरक्षा वाले भवनों में से एक है और नए संसद भवन में सुरक्षा से खिलवाड़ का यह पहला मामला है, जिससे प्रश्न पैदा होता है कि संसद पर हमले की बरसी पर इस उत्पात के पीछे क्या कोई साजिश थी? 

उल्लेखनीय है कि खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने संसद पर हमले की धमकी दी थी तथा एक वीडियो जारी करके कहा था कि ‘‘हम संसद पर हमले की बरसी वाले दिन अर्थात 13 दिसम्बर या इससे पहले संसद की नींव हिला देंगे।’’  पन्नू ने संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के साथ एक पोस्टर भी जारी किया था। उल्लेखनीय है कि यह घटना ऐसे समय में हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह सदन में उपस्थित नहीं थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि ‘‘जो धुआं सदन में फैलाया गया था वह साधारण था उसे लेकर कोई चिंता की बात नहीं है।’’  सुरक्षा की चूक की घटना के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने सभी दलों की बैठक भी बुलाई। भले ही इस घटना में जान-माल की हानि नहीं हुई, परंतु उक्त घटना ने एक बार फिर देश में लोकतंत्र के सबसे बड़े ‘मंदिर’ की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है, जिसकी गहनतापूर्ण जांच के बाद इसके कारणों की तह तक पहुंचना चाहिए।—विजय कुमार 

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