‘पाकिस्तान की मौजूदा हालत ठीक नहीं’ पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ का बयान

Friday, Aug 11, 2017 - 12:39 AM (IST)

परवेज मुशर्रफ को अप्रैल 1964 में पाकिस्तानी सेना में कमीशन मिला। वर्ष 1965 में तथा 1971 में उसने भारत के विरुद्ध युद्धों में भाग लिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 1998 में अनेक सेनाधिकारियों की वरीयता की उपेक्षा करके उसे सेनाध्यक्ष नियुक्त किया। 

जब नवाज शरीफ ने देखा कि भारत के विरुद्ध सारे हथकंडे आजमा कर भी पाकिस्तान कुछ नहीं पा सका तो उसने भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी को लाहौर आमंत्रित करके दोनों ने आपसी मैत्री व शांति के लिए लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। उस समय आशा बंधी थी कि अब इस क्षेत्र में शांति व सद्भावना का नया अध्याय शुरू होगा परंतु मुशर्रफ ने नवाज का तख्ता पलट कर उसे जेल में डाल दिया और सत्ता हथियाने के बाद उसे देश-निकाला दे दिया। 

भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए उसने जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में आतंकवादी भेजने शुरू कर दिए जिससे वहां हिंसा की घटनाएं बढ़ गईं तथा 1999 में कारगिल पर हमले के पीछे भी उसी का दिमाग था। बेनजीर की हत्या में कथित संलिप्तता के आरोपों के बीच अपने प्रति बढ़ रहे असंतोष के चलते वह 18 अगस्त, 2008 को त्यागपत्र देकर हज करने चला गया और 4 वर्ष बाद 24 मार्च, 2013 को पाकिस्तान लौटा लेकिन बाद में जल्दी ही अपने विरुद्ध चल रहे मुकद्दमों से बचने के लिए दुबई चला गया। मुशर्रफ ही नहीं अन्य पाकिस्तानी शासक भी समय-समय पर भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान का हाथ होने के बावजूद भारत को ही दोषी ठहराते आ रहे हैं, हालांकि उनके अपने पाले आतंकवादियों के हाथों आज स्वयं पाकिस्तान आतंकवाद का बंधक बन कर रह गया है जो चंद ताजा निम्र घटनाओं से स्पष्ट है: 

22 जून को क्वेटा के गुलिस्तां चौक में 14 लोगों की मृत्यु तथा 19 घायल। 23 जून को पारा चिनार में 2 धमाकों में 75 लोगों की मृत्यु। 10 जुलाई को बलूचिस्तान में 3 लोगों की मृत्यु तथा 20 अन्य घायल। 24 जुलाई को लाहौर में आत्मघाती हमले में 25 लोगों की मौत। 06 अगस्त को लाहौर में धमाके से 2 व्यक्तियों की मृत्यु तथा 45 घायल। बताया जाता है कि इस विस्फोट का उद्देश्य नवाज शरीफ को क्षति पहुंचाना था जो इसी रास्ते से गुजरने वाले थे। 09 अगस्त को पाकिस्तान के अशांत उत्तर पश्चिमी कबायली क्षेत्र में आतंकवादियों से मुठभेड़ में एक मेजर सहित 4 सैनिक मारे गए। 

स्पष्टत: आज इन हालात के लिए मुशर्रफ तथा पाकिस्तान के अन्य शासक ही जिम्मेदार हैं जो अपने देश में बिगड़ रहे हालात और जन असंतोष की ओर कोई ध्यान ही नहीं दे रहे जिस कारण आज पाकिस्तान के अनेक भागों में आजादी के लिए प्रदर्शन तक शुरू हो गए हैं। अपने देश के हालात से उदासीन पाकिस्तानी शासकों ने भारत विरोधी अभियान और भारत पर झूठे आरोप लगाने का सिलसिला जारी रखा है इसी के अंतर्गत 7 अगस्त  को पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कश्मीर मुद्दे पर वार्ता के लिए भारत को ‘न्यौता’ देते हुए कहा कि ‘‘हम तो बॉर्डर पर तनाव दूर करना चाहते हैं लेकिन भारत ही इसके लिए तैयार नहीं।’’ 

स्पष्टत: भारत सरकार द्वारा आतंकवादियों के सफाए के लिए चलाए जा रहे अभियान, जिसके अंतर्गत लगभग 125 आतंकी मारे जा चुके हैं, की सफलता से घबरा कर पाकिस्तान के शासक अब ऐसे बयान दे रहे हैं। पाकिस्तान एक ओर जहां भारत के लिए लगातार असुखद हालात पैदा करने की कोशिश कर रहा है वहीं परवेज मुशर्रफ ने 7 अगस्त को विदेश से एक ताजा इंटरव्यू में कहा है कि‘‘रिश्वत व चोर बाजारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो गई है और पाकिस्तान की मौजूदा हालत भी ठीक नहीं है।’’ वीडियो ङ्क्षलक के जरिए मुशर्रफ ने कहा कि ‘‘पाकिस्तान में आॢथक संकट पैदा हो गया है लिहाजा देश के हालात को मद्देनजर रखते हुए इस समय जरूरत है कि हम तीसरा राजनीतिक मोर्चा बनाएं जो एक सूबे से नहीं बल्कि पूरे देश से बनना चाहिए।’’ 

भारत में आतंकवाद की विष बेल रोपने वाले परवेज मुशर्रफ ने स्वयं ही अपनी जुबान से अपने देश की हालत बयान कर दी है। अत: पाकिस्तान के शासक जितनी जल्दी इस वास्तविकता को स्वीकार कर लेंगे उनके लिए उतना ही अच्छा होगा कि भारत के साथ लड़ाई-झगड़े और भारत में आतंकवाद फैलाने में नहीं बल्कि नेकनीयती से मिल-बैठ कर अपनी समस्याएं सुलझाने में ही दोनों देशों और इनकी जनता की भलाई है।—विजय कुमार 

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