पाकिस्तानी आतंकवादकी चीन को अब आंच महसूस होने लगी

Saturday, Jan 14, 2017 - 12:33 AM (IST)

भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तान का सबसे बड़ा सहयोगी और साथी अब चीन बन रहा है। पाकिस्तान सरकार ने इसे सीमा के निकट अनेक छावनियां और सड़कें बनाने के लिए जमीन भी दे रखी है तथा चीन इसके अलावा भी पाकिस्तान में अनेक परियोजनाओं पर काम कर रहा है।

चीनी नेता भारत विरोधी गतिविधियों और भारत में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकियों पर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में प्रतिबंध लगवाने के भारत के प्रयासों को लगातार तारपीडो करके पाक को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से समर्थन दे रहे हैं।

इस लिहाज से हम दो-दो खतरनाक पड़ोसियों की बगल में रह रहे हैं परंतु अब पाकिस्तान में चल रही आतंक की फैक्टरियों की आंच चीन तक पहुंचने लगी हैै। इसका पहला संकेत 2009 में मिला जब पाक अधिकृत कश्मीर के निकट चीन के झिंजियांग प्रांत में भीषण दंगों में 200 से अधिक लोग मारे गए थे।

फिर अगस्त 2011 में झिंजियांग प्रांत में हुई हिंसा में 25 से अधिक लोगों के मारे जाने के बाद चीनी अधिकारियों द्वारा जांच के दौरान पकड़े गए इन हमलों के लिए जिम्मेदार उईघुर आतंकवादियों ने स्वीकार किया था कि उन्हें विस्फोटक सामग्री और हथियार बनाने की टे्रनिंग पाकिस्तान में सक्रिय ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमैंट (ई.टी.आई.एम.) नामक संस्था ने दिलवाई थी।

इस पर चीन ने इन हमलों के पीछे पाकिस्तान में पल रहे धार्मिक कट्टïरपंथी आतंकी संगठनों का हाथ होने का आरोप लगाया तथा चीन के राष्टï्रपति हू-जिन-ताओ ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी को फोन करके पाकिस्तान में चीनी आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने पर पहली बार चिंता जताई थी।

यद्यपिउस समय चीन सरकार ने पाकिस्तान की गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. के प्रमुख अहमद शुजा पाशा को पेईचिंग में तलब भी किया था परंतु अपने देश में शुरू हो रही आतंकी गतिविधियों में पाकिस्तान की संलिप्तता पर पाकिस्तान से प्रोटैस्ट करने के बावजूद चीनी नेताओं ने भारत के विरुद्ध आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने में पाकिस्तान का साथ देना बंद नहीं किया।

परंतु अब पाक प्रायोजित आतंकवाद इस कदर सिर उठा रहा है कि चीन भी इससे डरने लगा है और चीन द्वारा पाकिस्तान के साथ ‘इकोनामिक कॉरिडोर’ बनाने और उसे अन्य मुद्दों पर समर्थन जारी रखने के बावजूद चीनी नेता पाकिस्तान से अपने देश में आतंकवाद की इस बीमारी के पहुंचने की आशंका से ङ्क्षचतित हो उठे हैं।

चीनी नेताओं को डर है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकियों को मिल रही टे्रनिंग उनके देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकती है। इसलिए अपनी सीमा पर सुरक्षा को और कड़ी करने के लिए चीन सरकार अब पाकिस्तान से जुड़ी सीमा पर और सुरक्षा बढ़ाने जा रही है।

अब जैश-ए-मोहम्मद के सरगना एवं पठानकोट हमले के मास्टर माइंड मसूद अजहर को प्रतिबंधित सूची में शामिल करने के भारतीय प्रस्ताव पर चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र्र में लगाए जा रहे अड़ंगे पर टिप्पणी करते हुए फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां-मार्क-एरॉ ने चीन का नाम लिए बिना कहा है कि :

‘‘विश्व को आतंकवाद के विरुद्ध प्रभावशाली ढंग से लडऩे के लिए सब जगह एक जैसा स्टैंड अपनाना चाहिए। जैश-ए-मोहम्मद पहले से ही संयुक्त राष्ट्र्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित सूची में है, अत: उसके सरगना मसूद अजहर को इसमें शामिल करने के लिए अलग प्रमाणों की जरूरत नहीं है।’’
इस समय जबकि पाकिस्तान समॢथत आतंकवाद लगातार गम्भीर रूप धारण करता जा रहा है, फ्रांस के विदेश मंत्री द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध प्रभावशाली ढंग से लडऩे का आह्वïान करना और चीन को आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में प्रभावशाली ढंग से शामिल होने की सलाह देना उचित है।

चीन द्वारा एक ओर पाकिस्तानी आतंकवादियों को शह देना और दूसरी ओर अपने देश में आतंकवादियों से खतरा महसूस करके अपने सुरक्षा प्रबंध मजबूत करना उसकी दोगली नीति का ही द्योतक है। यदि चीन सरकार ने इसे नहीं छोड़ा तो उसे पछताना पड़ेगा परंतु तब तक काफी देर हो चुकी होगी। अत: चीनी नेताओं को आतंकवाद के प्रति अपनी दोगली नीति  छोड़ कर इसका खात्मा करने में सहयोग करना चाहिए।     —विजय कुमार 

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