लगातार बढ़ रहे पाकिस्तान के ‘ड्रोन हमले’

Saturday, Nov 26, 2022 - 04:41 AM (IST)

पाकिस्तान सरकार, सेना तथा तस्कर भारत में रक्तपात, तोडफ़ोड़ और तबाही मचाने के लिए हथियार तथा विस्फोटक, भारत की अर्थव्यवस्था बर्बाद करने के लिए नकली करंसी और इसकी जवानी को तबाह करने के लिए नशे भेजने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। 

भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर तार-बाड़ लगाने तथा लोगों के सचेत होने से पाकिस्तान द्वारा भेजा जाने वाला तबाही का सामान पकड़ा जाने लगा तो पाकिस्तान अपनी अवैध गतिविधियों के लिए ड्रोनों का इस्तेमाल करने लगा जिसमें लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2020 में बी.एस.एफ. ने भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर ड्रोनों की 79 उड़ानों का पता लगाया था, 2021 में इनकी संख्या 109 तथा इस वर्ष दोगुनी से भी बढ़ कर 266 तक पहुंच गई है : 

* 18 जुलाई, 2022 को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जम्मू क्षेत्र में पाकिस्तानी ड्रोनों द्वारा फैंके हथियार व विस्फोटक इकट्ठा करने के आरोप में 7 लोगों को गिरफ्तार किया। 
* 18 अगस्त, 2022 को राष्ट्रीय जांच एजैंसी ने आतंकवादी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ के एक सहयोगी संगठन को हथियारों, गोलाबारूद और विस्फोटकों की आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किए गए एक ड्रोन से संबंधित केस की जांच के सिलसिले में विभिन्न जिलों में छापेमारी की। 
* 15 नवम्बर, 2022 को जम्मू जिले के फ्लायन मंडाल के सीमांत क्षेत्र में एक पुलिस चौकी के निकट 2 ड्रोनों द्वारा फैंकी आई.ई.डी. जब्त की गई। 

इससे पूर्व गत वर्ष जून में भारतीय वायु सेना के 2 अधिकारी जम्मू हवाई अड्डे पर ड्रोनों द्वारा किए गए हमले में घायल हो गए थे। और अब 24 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 6 कि.मी. दूर साम्बा जिले  के बदाली गांव में स्वांखां मोड़ के निकट एक खेत से ड्रोन द्वारा फैंका गया स्टील के बेस वाला लकड़ी का एक पैकेट बरामद किया गया। इसमें लगभग 5 लाख रुपए के भारतीय नोट (500-500 रुपए के नोटों के 10 बंडल), कैमिकल से भरी एक बोतल, डेटोनेटरों सहित 2 आई.ई.डी., 2 पिस्तौल, 4 मैगजीन, 80 राऊंड बरामद किए गए। एक महीने में यह इस तरह का दूसरा मामला है। साम्बा के एस.एस.पी. अभिषेक महाजन के अनुसार पैकेट के निकट बरामद एक डोरी से यह तबाही का सामान ड्रोन द्वारा गिराए जाने का संकेत मिलता है। इससे स्पष्ट है कि राष्ट्र विरोधी ताकतें इस क्षेत्र की शांति भंग करने के प्रयासों में लगातार जुटी हुई हैं। 

एस.एस.पी. ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों के निवासी इन दिनों जागरूक हो गए हैं और वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना पुलिस को दे रहे हैं। पुलिस टीम तथा इसकी सूचना देने वाले को पुरस्कृत भी किया जाएगा। इस तरह के घटनाक्रम के बीच यह पता लगाने के पक्के प्रबंध करने जरूरी हैं कि पाकिस्तानी ड्रोनों द्वारा फैंका गया तबाही का सामान किन लोगों के लिए भेजा गया था क्योंकि इसे मंगाने वालों में भारतीय लोग ही शामिल होंगे। 28 मार्च, 2010 को जब वाघा में पाक रेंजर्स के महानिदेशक ब्रिगेडियर मो. याकूब से बी.एस.एफ. के एडीशनल डायरैक्टर पी.पी.एस. सिद्धू ने यह मामला उठाया तो उन्होंने हमारे मुंह पर ‘तमाचा’  जड़ते हुए कहा कि : 

‘‘पाकिस्तान द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ का कोई प्रयास नहीं हुआ है। भारत की ओर से सीमा पर कांटेदार बाड़ है। जगह-जगह गेट बनाए गए हैं तथा तस्करों पर नजर रखने के लिए फ्लड लाइट्स लगी हैं। भारतीय सीमा पर चौकसी व गश्त की व्यवस्था है, फिर भी यदि सीमा पर तस्करी होती है तो इस बारे भारतीय अधिकारियों को ही सोचने की जरूरत है।’’इसके लगभग 2 वर्ष बाद 1 जुलाई, 2012 को पाक रेंजर्स के महानिदेशक (पंजाब) मो. हिलाल हुसैन ने भी सीमा पार से तस्करी व अन्य भारत विरोधी घटनाओं के लिए सीधे भारतीय सुरक्षा बलों को ही जिम्मेदार ठहराया था। 

पाकिस्तानी अधिकारियों के उक्त ‘तमाचे’ से स्पष्टï है कि हमारे सुरक्षा बलों के भीतर भी कुछ काली भेड़ें मौजूद हैं, अत: पाकिस्तान की ओर से ड्रोनों के जरिए भेजे जाने वाले तबाही के सामान को पकडऩे के अचूक उपाय करने के साथ-साथ भारत का अन्न खाकर भारत को ही बर्बाद करने पर तुली काली भेड़ों का पता लगा कर उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की तुरंत आवश्यकता है।—विजय कुमार 

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