पाकिस्तान का हमले से इन्कार ‘गोलियां भारतीय इलाके में ही चलीं’

Saturday, Oct 01, 2016 - 02:03 AM (IST)

उड़ी हमले में 20 भारतीय जवानों को शहीद करने के बाद भी पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियां जारी रखने के चलते 28-29 सितम्बर मध्य रात्रि को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के साथ लगती नियंत्रण रेखा पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक्स’ कीं और 7 आतंकी ठिकाने नष्ट करके 40 आतंकवादियों को मार गिराया जो कश्मीर में घुस कर भारत में हमले करना चाहते थे।

इसके साथ ही भारत द्वारा एल.ओ.सी. पर सर्जिकल हमले की प्रतिक्रिया स्वरूप पाकिस्तान द्वारा सीमा पर शरारत की आशंका के दृष्टिगत सीमावर्ती गांवों और शहरों में सेना की गतिविधियां तेज हो गई हैं और कश्मीर, पंजाब तथा गुजरात में सीमा से सटे गांवों को खाली करवाने की एडवाइजरी के बाद लोगों को इन इलाकों से हटाया जा रहा है। 

पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ तथा सेनाध्यक्ष राहील शरीफ सहित अन्य सेनाधिकारी और पाकिस्तानी मीडिया के सदस्य सर्जिकल हमले के भारत के दावे झूठे बता रहे हैं और लगातार कह रहे हैं कि ऐसा कोई आप्रेशन हुआ ही नहीं है।

परंतु नवाज शरीफ ने भारत पर बिना किसी उकसाहट के सीमा पर हमला करने का आरोप लगाया और कहा है कि पाकिस्तानी सेनाएं देश की सम्प्रभुता की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम हैं। उसने ‘भारत के शैतानी इरादों का मुंह तोड़ जवाब’ देने की चेतावनी भी दी है।

रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि (सीमा पार से गोलीबारी में) पाकिस्तानी सेना के 9 जवान मारे गए और इतने ही घायल हुए हैं, परन्तु इसके विपरीत पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासिर जंजुआ व इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आई.एस.पी.आर.)  के अनुसार भारत द्वारा  बिना उकसाहट के की गई गोलीबारी में 2 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए तथा 9 घायल हुए। हैरानी की बात है कि पाकिस्तान की तीनों ही शीर्ष हस्तियों के बयान आपस में मेल नहीं खाते।

हम पाकिस्तान के रक्षा सलाहकार के दावे को यदि सच मान लेते हैं कि भारतीय सेना ने कोई सर्जिकल हमला नहीं किया और सीमा पार से होने वाली गोलीबारी में मात्र 2 पाकिस्तानी सैनिक ही मारे गए हैं तो मात्र इतनी सी बात पर पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज चौधरी द्वारा इस्लामाबाद स्थित भारतीय राजदूत गौतम बम्बावाले को तलब करके उन्हें चेतावनी देने और तथाकथित सर्जिकल हमले की आलोचना करने की क्या जरूरत थी!

लेकिन पाकिस्तान में विभिन्न सूत्रों द्वारा मृतकों की संख्या भिन्न-भिन्न बताने से स्पष्ट है कि पाकिस्तानी शासक कितने बौखलाए हुए हैं और जनता में हो रही अपनी छीछालेदर की झेंप मिटाने के लिए गलत-मलत बयानबाजी कर रहे हैं। 
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि वे भारतीय कार्रवाई का खंडन नहीं करेंगे तो पाकिस्तान की जनता की नजरों में उनकी इज्जत और घटेगी जो पहले ही देश में फैली अफरातफरी और कुशासन से तंग आ चुकी है। 

इसीलिए उन्होंने यह कहना शुरू कर दिया है कि भारतीय नेता सिर्फ अपनी जनता को खुश करने के लिए आतंकवादियों के विरुद्ध सर्जिकल कार्रवाई के बयान दे रहे हैं जबकि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है। 

कुल मिलाकर इस समय पाकिस्तान अपने ही बुने जाल में फंस कर रह गया है क्योंकि उनके अनुसार भारत ने पाकिस्तान पर कोई हमला किया ही नहीं और पाकिस्तान द्वारा जबरन कब्जाए हुए क्षेत्र (पी.ओ.के.) में नियंत्रण रेखा पर अपने ही इलाके में कार्रवाई की है जिसका भारत सरकार को पूरा अधिकार है। 

परंतु आज आवश्यकता इस बात की है कि पाकिस्तान के शासक इस सम्बन्ध में उलटे-सीधे बयान देने की बजाय वास्तविकता को समझें और आतंकवादियों का पोषण त्याग कर भारत से दोस्ती के संबंध कायम करें।

ऐसा करने से ही सीमा के दोनों ओर युद्ध का माहौल समाप्त होगा और भारत तथा पाकिस्तान के लोगों में आपसी मेल-जोल, आवागमन व व्यापार सम्बन्धों में वृद्धि होने से आपसी रिश्ते उसी प्रकार मजबूत होंगे, जिस प्रकार भारत के साथ आज नेपाल, बंगलादेश, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान आदि के सम्बन्धों के मामले में हो रहा है।  

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