‘पाकिस्तान अपना घर दुरुस्त करे नहीं तो इसे अल्लाह ही बचा सकेगा‘

Friday, Sep 08, 2017 - 02:36 AM (IST)

भारत द्वारा तो शुरू से ही पाकिस्तान पर भारत में आतंकवाद को शह देने और यहां हिंसक वारदातों के लिए कश्मीरी अलगाववादियों तथा आतंकवादियों को सब प्रकार की सहायता देने के आरोप लगाए जाते रहे हैं परंतु अब तो अमरीका ने भी इस पर सहमति जताते हुए उसे दी जाने वाली आर्थिक सहायता में भारी कटौती कर दी है।

इसी सिलसिले में जहां अमरीका की डोनाल्ड ट्रम्प सरकार ने हक्कानी नैटवर्क जैसे आतंकवादी समूहों को ‘पनाह’ देने के लिए पाकिस्तान सरकार की आलोचना की है वहीं सलाहुद्दीन को प्रतिबंधित करते हुए पाकिस्तान से अपने देश में सक्रिय आतंकी संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा है। अमरीका ने पाकिस्तान सरकार को साफ तौर पर आगाह कर दिया है कि आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध उसे अपने रवैए में बदलाव लाना होगा तथा अपनी जमीन पर मौजूद आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध कड़े कदम उठाने ही होंगे। 

कश्मीरी उग्रपंथियों को बढ़ावा देने और कश्मीर में आतंकवाद के दौर को प्रश्रय देने को लेकर हो रही आलोचना के बीच पाकिस्तान में भी सत्ता प्रतिष्ठïान के इस रवैए के विरुद्ध जोर से आवाजें उठने लगी हैं। इसी सिलसिले में 29 अगस्त को पाकिस्तान के भारत स्थित पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने पाकिस्तान में एक सैमीनार में भाषण देते हुए अपने देश के शासकों को आगाह किया कि ‘‘पाकिस्तान की कश्मीर नीति विफल हो चुकी है अत: पाकिस्तान सरकार को इस पर पुनॢवचार करना चाहिए।’’ बासित के अनुसार, ‘‘9/11 के हमले के बाद भारत पूरी दुनिया को यह समझाने में सफल रहा है कि कश्मीर में स्वतंत्रता की लड़ाई नहीं बल्कि पाकिस्तान के आतंकवाद का घिनौना खेल चल रहा है और पाकिस्तान सिर्फ कश्मीर का ही राग अलाप रहा है।’’ 

बासित ने न सिर्फ यह कहा कि भारत की कूटनीति के आगे पाकिस्तान फेल हो गया है बल्कि पाकिस्तान के अमरीका में नवनियुक्त राजदूत एजाज अहमद चौधरी को एक पत्र में यह लिख कर पूरे पाकिस्तान में खलबली मचा दी कि ‘‘अब पाकिस्तान को अल्लाह ही बचा सकता है।’’अभी अब्दुल बासित के उक्त बयानों से पाकिस्तान में मचा तूफान शांत भी नहीं  हुआ था कि 6 सितम्बर को पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तान सरकार को यह चेतावनी दे कर धमाका कर दिया कि‘‘अगर लश्कर-ए-तोयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश शॄमदगी का सामना करता रहेगा।’’ 

‘ब्रिक्स’ सम्मेलन में लश्कर तथा जैश-ए-मोहम्मद जैसे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधित संगठनों को पाकिस्तान से संचालित करने का पहली बार चीन समेत सहभागी देशों द्वारा उल्लेख किए जाने के दो दिन बाद आए इस बयान में जहां ख्वाजा आसिफ ने उक्त आतंकी गिरोहों का पाकिस्तान में अस्तित्व स्वीकार किया वहीं अपनी सरकार को यह सलाह भी दी कि : 

‘‘हमें अपने मित्रों को यह कहने की जरूरत है कि हमने अपना व्यवहार सुधार लिया है। हमें अपने तौर-तरीकों में सुधार करना है। हमें लश्कर व जैश की गतिविधियों पर कुछ अंकुश लगाना होगा ताकि विश्व समुदाय को दिखा सकें कि हमने अपना घर दुरुस्त किया है।’’ इतना ही नहीं  ‘ब्रिक्स’ के घोषणा पत्र में पाकिस्तान समॢथत आतंकवादी संगठनों का नाम आने के सम्बन्ध में अपनी स्थिति पर सफाई देने के लिए चीन ने भी पाकिस्तानी विदेश मंत्री को बीजिंग बुला लिया है जो वहां 8 सितम्बर को जाने वाले हैं। 

अत: यदि पाकिस्तानी शासकों ने आतंकवाद को चारा डालना बंद न किया तो फिर अब्दुल बासित की भविष्यवाणी सच होने में अधिक समय नहीं लगेगा कि‘‘अब तो पाकिस्तान को अल्लाह ही बचा सकता है।’’ यह इस तथ्य से स्पष्टï है कि अब तो पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादी स्वयं उसे भी डसना शुरू कर चुके हैं जो वहां रोज-रोज होने वाले धमाकों में हो रही निर्दोषों की मौतों से जाहिर है।—विजय कुमार

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