विरोधी दलों में हो ‘व्यापक गठबंधन’ ‘सोनिया की सामयिक पहल’

Saturday, Feb 10, 2018 - 02:25 AM (IST)

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वीरवार को इसकी बैठक में बोलते हुए 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की पराजय को यकीनी बनाने और सबको साथ लेकर भारत को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने के लिए एक व्यापक गठबंधन बनाने का आह्वान किया। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा और राजग के गठबंधन को पराजित करने के लिए विरोधी दलों की एकता की जोरदार वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि देश में बदलाव आ रहा है जो हाल के चुनाव परिणामों से स्पष्ट है। 

सोनिया ने पार्टी नेताओं और कार्यकत्र्ताओं से लोकसभा के जल्दी होने वाले चुनावों के लिए तैयार रहने को कहा और सार्वजनिक हित के मुद्दों पर सकारात्मक रुख अपनाने व मोदी सरकार की असफलताएं उभारने पर बल दिया। सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘मोदी सरकार परिणाम देने में असमर्थ रही है और लोगों का इससे मोह भंग हो रहा है। यह हम लोगों पर निर्भर करता है कि हम इस असंतोष को अपने लिए समर्थन में बदलें। मोदी सरकार ‘मैक्सिमम पब्लिसिटी’ और ‘मिनीमम गवर्नमैंट’ तथा ‘मैक्सिमम मार्कीटिंग’ और ‘मिनीमम डिलीवरी’ के सिद्धांत पर चल रही है।’’ 

राजनीति से संन्यास संबंधी अटकलों पर विराम लगाते हुए उन्होंने कहा कि, ‘‘आगामी चुनावों में भाजपा की पराजय सुनिश्चित करने और भारत को आॢथक दृष्टिï से प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने के लिए मैं सम-विचारक पार्टियों से विचार-विमर्श करके कांग्रेस के अध्यक्ष और अन्य साथियों के साथ काम करूंगी।’’ सोनिया गांधी की यह टिप्पणी उनके द्वारा एक सांझा मोर्चा बनाने के लिए विरोधी दलों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर एक सहमति बनाने और मतभेद समाप्त करने के लिए की गई अपील के कुछ ही दिन बाद आई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि राहुल गांधी ही अब पार्टी के बॉस हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार विरोधी दलों में यह अनुभूति लगातार बढ़ रही है कि यदि उन्होंने महागठबंधन न बनाया तो 2019 में भाजपा दोबारा सत्ता पर कब्जा कर लेगी। 

‘सैंटर फार द स्टडी आफ डिवैल्पिंग सोसायटीज’ के संजय कुमार का कहना है कि ‘‘समय की यही मांग है। कांग्रेस इस बात को महसूस करती है और क्षेत्रीय दल भी यह बात जानते हैं लेकिन इस (संभव बनाने) के लिए उन्हें अपने अहं को एक ओर रखना होगा। यह भी एक वास्तविकता है कि यदि वे इकट्ठे नहीं हुए तो भाजपा दोबारा सत्ता में आ जाएगी।’’ इस समय जबकि देश में सिवाय भाजपा के सभी राजनीतिक दलों का क्षरण हो रहा है, सोनिया की उक्त टिप्पणी महत्वपूर्ण मायने रखती है। मजबूत लोकतंत्र के लिए मजबूत विरोधी दलों का होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसके विभाजित होने पर सत्तारूढ़ दल मनमाने निर्णय ले सकता है परंतु विरोधी दल मजबूत होने पर सत्तारूढ़ दल अपनी निरंकुश नीतियां देश पर लागू नहीं कर सकता जिससे अंतत: देश को ही लाभ पहुंचता है। 

विरोधी दलों में फूट हो तो सत्तारूढ़ दल को डर नहीं रहता परंतु यदि वे मजबूत हों तो सत्तारूढ़ दल को सही रास्ते पर ही रखते हैं इसलिए भाजपा का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए विरोधी दलों का मजबूत होना बहुत जरूरी है जिसके लिए सोनिया ने पहल कर दी है। इसी प्रकार यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि अंतिम समय पर किए जाने वाले गठबंधन लाभदायक नहीं होते अत: समय रहते ही श्रीमती गांधी ने इसकी आवश्यकता पर बल देते हुए राजनीतिक दलों से इसका आह्वïान किया है जिसे यथाशीघ्र अंजाम तक पहुंचाने तथा कांग्रेस से अलग होकर अस्तित्व में आने वाले छोटे-छोटे दलों को भी साथ लेने की जरूरत है। कम्युनिस्टों को भी आपसी मतभेद भुला एकता करनी चाहिए और एक सूत्र में बंधने के बाद अन्य सम-विचारक दलों के साथ गठबंधन करना चाहिए तभी देश को एक सशक्त विपक्ष दिया जा सकेगा। 

कुल मिलाकर श्रीमती गांधी द्वारा लोकसभा के चुनाव में विरोधी दलों की गठबंधन की पहल स्वागत योग्य है जिस पर उन्हें अनुकूल प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए क्योंकि विपक्ष का कमजोर होना किसी भी दृष्टि से देश के हित में नहीं है।—विजय कुमार 

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