‘महुआ मोइत्रा’ के संसद से निष्कासन पर सही प्रक्रिया का पालन जरूरी था

punjabkesari.in Saturday, Dec 09, 2023 - 03:33 AM (IST)

गत 15 अक्तूबर को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से तृणमूल कांग्रेस की सांसद ‘महुआ मोइत्रा’ के विरुद्ध शिकायत की कि ‘महुआ मोइत्रा’ ने लोकसभा पोर्टल के अपने अकाऊंट की आई.डी. व पासवर्ड हीरानंदानी समूह के सी.ई.ओ. दर्शन हीरानंदानी को दे रखा है। ‘महुआ मोइत्रा’ उनके कहने पर सदन में सवाल पूछती हैं और दर्शन हीरानंदानी इसके बदले में ‘महुआ मोइत्रा’ को कोई रकम और उपहार देते है। ‘महुआ मोइत्रा’ ने स्वीकार किया कि उन्होंने हीरानंदानी को अपना संसदीय लॉगइन और पासवर्ड डिटेल दी थी, लेकिन उन्होंने बाकी सब आरोपों से इन्कार किया और कहा कि सवाल उनके थे और उन्होंने इसके बदले कभी कोई रकम नहीं ली। ‘महुआ मोइत्रा’ ने यह भी कहा कि सांसदों के आई.डी.-पासवर्ड शेयर नहीं करने को लेकर कोई नियम नहीं है। 

17 अक्तूबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उक्त शिकायत एथिक्स कमेटी के पास भेजने का निर्देश दिया। एथिक्स कमेटी की 3 बैठकें हुईं जिनमें से 2 नवम्बर को हुई दूसरी बैठक से ‘महुआ मोइत्रा’ यह आरोप लगाते हुए बाहर चली गईं कि उनसे निजी सवाल तक पूछे गए। इसके बाद 9 नवम्बर को अपनी तीसरी बैठक में ‘महुआ मोइत्रा’ के निष्कासन की सिफारिश करने वाली एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट को अपनाया गया और 8 दिसम्बर को 12 बजे निष्कासन प्रस्ताव पर बहस के लिए यह लोकसभा में पेश की गई। तृणमूल कांग्रेस ने मांग की थी कि 500 पेज की रिपोर्ट पढऩे के लिए 48 घंटे का समय दिया जाए और कांग्रेस ने भी इसके लिए 3 दिन का समय मांगा था, परन्तु समय नहीं दिया गया। लोकसभा में इस पर सदन में 3 बार हंगामा भी हुआ और 2 बार कार्रवाई भी स्थगित हुई। दोपहर 2 बजे से तीसरी बार कार्रवाई शुरू होने पर ‘महुआ मोइत्रा’ के निष्कासन पर वोटिंग हुई। 

इसमें कहा गया था कि महुआ मोइत्रा द्वारा लोकसभा का अपना आई.डी.-पासवर्ड हीरानंदानी को देने और रिश्वत के तौर पर उनसे उपहार और नकदी लेने की पुष्टि हुई है। इस ‘गंभीर दुष्कर्म’ के लिए ‘महुआ मोइत्रा’ को गंभीर सजा मिलनी चाहिए और उन्हें लोकसभा से निष्कासित किया जाना चाहिए।’’

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस फैसले को इंसाफ का मजाक बताते हुए कहा कि ‘‘यह रिपोर्ट आधी-अधूरी है और लगता है कि जैसे किसी ने अढ़ाई मिनट में तैयार कर दी हो। आरोप लगाने वालों ने जिरह करने का कोई प्रयास नहीं किया।’’ ममता बनर्जी ने इस की निंदा करते हुए कहा कि ‘‘यह संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात और संसदीय लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है। पार्टी उनके साथ खड़ी है। भाजपा हमें चुनाव में नहीं हरा सकती इसलिए उसने बदले की राजनीति का सहारा लिया है।’’ 

निष्कासन के बावजूद ‘महुआ मोइत्रा’ के तीखे तेवरों में कोई कमी नहीं आई है और संसद से बाहर निकलते ही उन्होंने कहा कि ‘‘अभी मेरी आयु 49 वर्ष है और  मैं अगले 30 वर्षों तक लड़ूंगी और मैं भाजपा के विरुद्ध संघर्ष करूंगी। मुझे कंगारू अदालत ने बिना सबूत सजा दी है।’’ ‘‘मां दुर्गा आ गई हैं और महाभारत होगा। देखिए अब क्या होता है। जब नाश मनुष्य पर छाता है तो पहले विवेक मर जाता है। उन्होंने वस्त्र हरण से शुरूआत की अब आप महाभारत का रण देखेंगे।’’किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि ‘महुआ मोइत्रा’ के विरुद्ध निष्कासन प्रस्ताव इतनी जल्दी पेश करके और बिना कोई बहस करवाए पास कर दिया जाएगा। एथिक्स कमेटी में भी ‘महुआ मोइत्रा’ ने कहा था कि मामले की जांच करने की जरूरत है और आम लोगों का भी कहना है कि अब जबकि संसद का कार्यकाल समाप्त होने ही वाला है, यदि निष्कासन प्रस्ताव पर बहस करवा ली जाती तो किसी को कोई नाराजगी या शिकायत करने का जरा भी मौका न मिलता।—विजय कुमार


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