‘अंगदानी मृतकों’ का ‘तिरंगे में लपेट कर’ अंतिम संस्कार करेगी ‘ओडिशा सरकार’

Sunday, Feb 18, 2024 - 04:51 AM (IST)

‘ब्रेन डैड’ या मर चुके व्यक्ति से त्वचा, लिवर, किडनी, हृदय, फेफड़े, आंखों की पुतलियों, हृदय वाल्व आदि के ‘दान’ से जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे अनेक जरूरतमंद रोगियों को जीवन दान मिल सकता है। जीवित व्यक्ति भी अपनी एक किडनी और लिवर का कुछ हिस्सा दान कर सकता है। लिवर एक ऐसा अंग है जो कुछ समय में ही अपने पुराने आकार में वापस आ जाता है और अंगदाता को कोई खास समस्या नहीं होती।

भारत में प्रतिवर्ष 3 लाख से अधिक लोगों को अपने प्राण बचाने के लिए दूसरे व्यक्तियों से अंग लेने की जरूरत होती है, परंतु इसकी तुलना में बेहद कम अंगदाता मिलने के कारण प्रतिदिन औसतन 20 लोगों की मौत हो रही है। उदाहरण के तौर पर देश में प्रतिवर्ष लगभग 2 लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है परंतु प्रतिवर्ष केवल लगभग 10,000 किडनी रोगियों का ही ट्रांसप्लांट हो पाता है। उल्लेखनीय है कि शरीर में 2 किडनियां होती हैं जिनमें से एक किडनी का दान करके व्यक्ति सुखद जीवन जी सकता है।

भारत में अंगदान की दर वर्ष 2019 में प्रति 10 लाख की आबादी पर 0.52 थी जो 2021 में घट कर 0.4 रह गई, जबकि अमरीका में यह दर सबसे अधिक है। वहां प्रत्येक 10 लाख लोगों पर 41 लोगों के अंग दान किए जाते हैं। एक अध्ययन के अनुसार भारत में प्रत्येक 5 जीवित अंगदानियों में 4 महिलाएं होती हैं और प्राप्तकत्र्ताओं में 5 में से 4 पुरुष होते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत में 85 प्रतिशत अंगदान जीवित दानी से होता है।

मृतकों के अंगदान की संख्या काफी कम है। संभवत: इसी स्थिति से प्रेरित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ के वर्ष 2024 के पहले एपिसोड में कहा था कि ‘‘मैडीकल साइंस के इस दौर में आज अंगदान किसी जरूरतमंद को जीवन देने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन चुका है।’’ देश में अंगदानियों की भारी कमी को देखते हुए ही ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 15 फरवरी, 2024 को अंगदानियों का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करने तथा अंगदानी के परिवार को 5 लाख रुपए नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है।

इसके तहत मृतक के अंतिम संस्कार का पूरा प्रबंध ओडिशा सरकार करेगी, जिसमें उसकी मृत देह को तिरंगे में लपेट कर 21 तोपों की सलामी देना भी शामिल है। ऐसी घोषणा करने वाला ओडिशा देश का पहला राज्य बन गया है। नवीन पटनायक जो प्रतिवर्ष 13 अगस्त को ‘विश्व अंगदान दिवस’ पर अंगदाताओं के परिजनों को सम्मानित भी करते हैं, के अनुसार राज्य सरकार की इस पहल का उद्देश्य अंगदानियों द्वारा दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए किए गए साहस और बलिदान को सम्मान देना है। इससे समाज में अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा होगी तथा अधिक लोग अंगदान के लिए आगे आने को प्रेरित होंगे।

नवीन पटनायक का यह भी कहना है कि, ‘‘अंगदान एक महान कार्य है और जो लोग अंगदान करने का साहसिक फैसला लेते हैं वे कई लोगों की जिंदगी बचाने में महत्वपूर्ण योगदान भी करते हैं।’’ अंगदान की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए ओडिशा सरकार ने 2019 में ‘राज्य अंग और उत्तक प्रत्यारोपण संगठन’ (स्टेट ऑर्गन एंड टिशूज ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन) की स्थापना की थी।

उन्होंने 2020 में अंगदाताओं के परिजनों के लिए ‘सूरज पुरस्कार’ की शुरूआत की थी। यह पुरस्कार गंजम जिले के युवक ‘सूरज नेहरा’ के नाम पर शुरू किया गया था। वह सूरत में एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके इलाज के दौरान डाक्टरों द्वारा उन्हें ‘ब्रेन डैड’ घोषित कर देने के बाद उनके अभिभावकों ने उनके अंगदान करने का फैसला किया। सूरज  के दिल, किडनी और आंखों ने 6 अन्य लोगों को जीवनदान दिया था। ओडिशा सरकार की उक्त पहल सराहनीय है जिससे अनेक लोग अंगदान के लिए प्रेरित होंगे। अत: अन्य राज्यों में भी अंगदान को बढ़ावा देने के लिए इस प्रकार की योजना शुरू की जानी चाहिए ताकि मौत के किनारे पहुंचे लोगों को जिंदगी मिल सके। -विजय कुमार 

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