अब खुले में शौच करने वालों पर जुर्माना लगाने की तैयारी में सरकार

Wednesday, Mar 30, 2016 - 01:34 AM (IST)

राष्टपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन पर 2 अक्तूबर 2014 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ शुरू किया था, उस समय लोगों में इसे लेकर काफी उत्साह था परंतु सिवाय दक्षिण भारत के चंद राज्यों के, देश के अन्य सभी भागों में यह उत्साह लगातार घटता चला गया। 

 
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया है परंतु वास्तविकता कुछ और ही है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का एक उद्देश्य देश को खुले में शौच से मुक्त करना भी है परंतु यह अभी पूरा नहीं हुआ और अपवाद स्वरूप कुछ ही राज्यों में इसका थोड़ा-बहुत प्रभाव दिखाई दे रहा है। हां, लोगों को खुले में शौच से हतोत्साहित करने के लिए कुछ अनोखे प्रयोग अवश्य किए जा रहे हैं। 
 
उदाहरणत: महाराष्ट के ‘पालघर’ की नगर परिषद खुले में शौच करने वालों को गुलाब का फूल देकर शॄमदा कर रही है तो दूसरी ओर मध्य प्रदेश के ‘रीवा’ जिले के प्रशासन ने तो खुले में शौच करने वालों का चित्र व्हट्सएप पर भेजने वालों को 100 रुपया ईनाम देने की घोषणा की है।
 
मध्य प्रदेश के पंचायत और सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव तो ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को सिरे चढ़ाने के उत्साह में यह बयान देकर आलोचना के पात्र ही बन गए कि ‘‘जो कोई भी खुले में शौच करता पाया जाएगा उसका राशन कार्ड और बंदूक का लाइसैंस रद्द कर दिया जाएगा।’’
 
गत वर्ष से राजस्थान सरकार ने खुले में शौच करने, गोबर आदि गलत ढंग से ठिकाने लगाने व रेस्तरांओं द्वारा अपनी बची जूठन एवं अन्य चीजों का गलत ढंग से निपटारा करने पर 200 से 5000 रुपए तक का जुर्माना तय कर रखा है। केंद्र सरकार यह नियम पूरे देश में लागू करना चाहती है। 
 
इसीलिए अब केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने भी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को भेजे पत्र में आदेश दिया है कि वे खुले में शौच और पेशाब करने वालों पर 30 अप्रैल से जुर्माना लगाना शुरू कर दें।
 
इसके अनुसार अब खुले में शौच करने वालों पर 200 से 5000 रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है। पत्र में कहा गया है कि 30 अप्रैल तक प्रत्येक शहर के कम से कम एक वार्ड में, वर्ष के अंत तक 10-15 शहरों के सभी वार्डों में और 30 सितम्बर 2018 तक सभी शहरों के सभी वार्डों में खुले में शौच व पेशाब करने के बदले में जुर्माना तय कर देना वांछित है। 
 
इसके साथ ही मंत्रालय ने राज्यों में पर्याप्त संख्या में शौचालयों के निर्माण तथा कूड़ा इकट्ठा करने के लिए समय-सीमा निर्धारित करते हुए कहा है कि जहां लोगों पर जुर्माना ठोका जाए उन वार्डों में सार्वजनिक शौचालयों और घर-घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करने की व्यवस्था करने के साथ-साथ विभिन्न वार्डों में सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ादान लगाना सुनिश्चित किया जाए। 
 
वैसे स्वच्छता विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जुर्माना लगाने की व्यवस्था करने से पूर्व लोगों के लिए पर्याप्त सेवाएं उपलब्ध करवा दी जातीं तो अच्छा होता। हालांकि  केंद्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण अभियांत्रिकी संगठन ने पहले ही शहरों में प्रत्येक किलोमीटर पर पुरुषों तथा महिलाओं के लिए एक-एक शौचालय का नियम तय कर रखा है परंतु शायद ही किसी शहर में इस नियम का पालन किया गया हो। बड़े शहरों में सार्वजनिक शौचालय की तलाश में कई-कई किलोमीटर चलना पड़ता है। महिलाओं के लिए तो शौचालय और भी कम हैं। 
 
नि:संदेह केंद्र सरकार द्वारा खुले में शौच करने वालों को दंडित करने का सुझाव अच्छा है परंतु इसे लागू करने से पहले केंद्र सरकार को सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण की ओर ध्यान देने तथा अधिक से अधिक  एक-एक किलोमीटर पर शौचालय बनवाने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि जब शौचालय ही नहीं होंगे तो आखिर लोग इसके लिए कहां जाएंगे? 
 
इन शौचालयों की स्वच्छता सुनिश्चित बनाने के लिए एक निश्चित वेतन पर कर्मचारी भी तैनात किए जाएं और शौचालय का प्रयोग करने वालों से एक या दो रुपए सेवा शुल्क वसूल किया जा सकता है। ऐसा करके ही नरेंद्र मोदी का ‘स्वच्छ भारत’ का सपना साकार हो सकेगा। जब तक सरकार सार्वजनिक शौचालयों की व्यवस्था नहीं करेगी तब तक खुले में शौच करने पर जुर्माना लगाना सरासर अनुचित होगा।
 
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