अब कपिल सिब्बल ने दिखाया ‘कांग्रेस हाई कमान को आईना’

punjabkesari.in Wednesday, Mar 16, 2022 - 03:57 AM (IST)

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की पराजय के बाद पार्टी में मचे घमासान के बीच उम्मीद थी कि इस पर विचार करने के लिए 13 मार्च को बुलाई गई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पार्टी कोई ठोस निर्णय लेगी, परन्तु इसमें सिर्फ नतीजों पर ‘गंभीर चिंता’ प्रकट करके जल्द ही आगे की रणनीति तय करने की औपचारिकता निभा कर इतिश्री कर दी गई। 

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुर्जेवाला ने कहा कि हर नेता ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताते हुए उन्हें संगठनात्मक चुनाव सम्पन्न होने तक अध्यक्ष पद पर बनी रहने का आग्रह किया तथा बैठक से पहले अशोक गहलोत व चंद अन्य नेताओं ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी का अध्यक्ष बनाने की मांग की। 

इस बैठक में कांग्रेस के ‘जी-23’ नाम से चर्चित 23 वरिष्ठ नेताओं में से गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक भी शामिल हुए जिन्होंने कपिल सिब्बल व पार्टी के अन्य वरिष्ठï नेताओं के साथ 24 अगस्त, 2020 को सोनिया गांधी को पत्र लिख कर पार्टी में संगठनात्मक सुधार लाने की मांग की थी। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के अगले ही दिन 14 मार्च को कपिल सिब्बल ने एक साक्षात्कार में यह कह कर धमाका कर दिया कि आज कांग्रेस में कुछ लोग ‘घर के कांग्रेसी’ हो गए हैं जबकि कुछ लोग ‘सब की कांग्रेस’ के हैं। उन्होंने कहा : 

‘‘गांधियों द्वारा पार्टी का नेतृत्व त्याग कर किसी अन्य को पार्टी का नेतृत्व करने का अवसर देने का यह सही मौका था। गांधियों को स्वयं ही सोचना चाहिए था क्योंकि उनके द्वारा मनोनीत सदस्यों में ऐसा कहने की ताकत नहीं है।’’ 
‘‘न तो मुझे विधानसभा चुनावों में पार्टी की पराजय पर और न ही कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा सोनिया गांधी के नेतृत्व में पुन: विश्वास व्यक्त करने पर हैरानी है। कांग्रेस में बड़ी संख्या में होने के बावजूद कार्यसमिति से बाहर हम जैसे लोग इससे बिल्कुल भिन्न विचार रखते हैं,परन्तु पार्टी में हमारा कोई महत्व नहीं है। यह कहना सही नहीं है कि कांग्रेस कार्यसमिति भारत में पूरी पार्टी का प्रतिनिधित्व करती है।’’ 

‘‘ये मेरे अपने निजी विचार हैं। मैं ‘सब की कांग्रेस’ चाहता हूं जबकि कुछ अन्य लोग ‘घर की कांग्रेस’ चाहते हैं। यकीनन मैं अपनी अंतिम सांस तक ‘सब की कांग्रेस’ के लिए लड़ूंगा। ‘सब की कांग्रेस’ का मतलब है भारत के उन सब लोगों को इकट्ठा करना जो भाजपा को नहीं चाहते।’’
‘‘कुछ लोगों का मानना है कि किसी क, ख, या ग के बगैर कांग्रेस नहीं हो सकती। यही समस्या है। कुछ लोगों का यह कहना मेरी समझ से बाहर है कि राहुल गांधी को दोबारा कांग्रेस की सत्ता संभालनी चाहिए।’’ 

‘‘हम मानते हैं कि राहुल गांधी नहीं, सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं तो फिर राहुल गांधी ने पंजाब में अपनी किस क्षमता में यह घोषणा की कि चरणजीत सिंह चन्नी राज्य के मुख्यमंत्री होंगे?’’  
‘‘पार्टी नेतृत्व को इस पर आत्ममंथन कर लेना चाहिए था। हर किसी को रिटायर होना पड़ता है पर उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। इसलिए हमें किसी दूसरे के लिए जगह खाली कर देनी चाहिए जो मनोनीत न होकर चुना हुआ हो।’’ 

‘‘जब तक अखिल भारतीय कांग्रेस द्वारा मनोनीत की बजाय किसी निर्वाचित नेता को इसकी निर्वाचित संस्था का प्रमुख नहीं बनाया जाएगा तब तक कांग्रेस के खड़े होने की बहुत कम आशा है।’’

अब जबकि पार्टी पूरी तरह अर्श से फर्श पर आ चुकी है, इसके वर्तमान नेतृत्व को असहमति के स्वरों को अवश्य सुनना चाहिए, ताकि इस क्षरण को रोकने की दिशा में प्रयास शुरू किए जा सकें। यदि अभी से ऐसा न किया गया तो कांग्रेस को देश के राजनीतिक पटल से ओझल होने में अधिक देर नहीं लगेगी। सोनिया या राहुल और प्रियंका यदि त्यागपत्र दे भी देंगे तो इससे पार्टी को कोई हानि नहीं होगी। अलबत्ता उनके स्थान पर यदि सर्वसम्मति से पार्टी नए नेता का चुनाव कर ले तो वह शायद पार्टी को दोबारा खड़ी करने में कुछ सफल हो जाए और पार्टी जितनी जल्दी ऐसा करेगी उतना ही अच्छा होगा। 

ऐसा देश हित में भी जरूरी है क्योंकि मजबूत लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष की भी जरूरत है। संख्या बल के लिहाज से अभी भी लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी है और यदि कांग्रेस में बिखराव आता है तो संसद में विपक्ष की आवाज भी दब कर रह जाएगी। अब इस बात पर सबकी नजर रहेगी कि क्या कपिल सिब्बल की बातों का संज्ञान लेकर कांग्रेस नेतृत्व कोई पग उठाएगा या फिर सिब्बल द्वारा पार्टी की आलोचना की प्रतिक्रिया स्वरूप उनके विरुद्ध ही कोई कार्रवाई की जाएगी।—विजय कुमार


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