अब 2 जजों पर लगे भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप

Wednesday, Dec 01, 2021 - 04:42 AM (IST)

हमारे सत्ताधारियों को न्यायपालिका तथा मीडिया द्वारा कही जाने वाली खरी-खरी बातें अच्छी नहीं लगतीं, परंतु आज जबकि कार्यपालिका और विधायिका लगभग निष्क्रिय होती जा रही हैं, न्यायपालिका व मीडिया ही जनहित के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकारों को झिंझोड़ रही हैं लेकिन अब न्यायपालिका से जुड़े 2 लोगों में भी भ्रष्टाचार पकड़ा गया है। 

26 नवम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार और षड्यंत्र के आरोपित पूर्व जस्टिस एस.एन. शुक्ला के विरुद्ध आपराधिक केस चलाने की सी.बी.आई. को अनुमति दी है। जस्टिस शुक्ला पर अपने एक आदेश द्वारा एक निजी कालेज को लाभ पहुंचाने का आरोप है। 29 नवम्बर को भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार ने विजीलैंस द्वारा 31 जनवरी, 2015 को पकड़े गए सुंदर नगर हाईकोर्ट के सीनियर सिविल जज गौरव शर्मा को बर्खास्त करने का आदेश दिया है। 

कोर्ट में लंबित 7 लाख रुपए के चैक बाऊंस के मामले को जल्द निपटाने के लिए उस समय सुंदर नगर के एडीशनल चीफ ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट गौरव शर्मा ने शिकायतकत्र्ता को अपने चैम्बर में बुला कर 40,000 रुपए मांगे थे। शिकायतकत्र्ता के कोई जवाब न देने पर उसने खुद ही उसे फोन करके 2 दिन में अपने सरकारी आवास पर उक्त रकम पहुंचाने की मांग कर दी थी। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा किसी वरिष्ठ सिविल जज को बर्खास्त करने का यह संभवत: पहला मौका है। अभी हाल ही में सुप्रीमकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं सांसद रंजन गोगोई ने कहा था कि ‘‘जज धर्म के आधार पर नहीं, संविधान के आधार पर निर्णय लेते हैं।’’ 

सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना भी कह चुके हैं कि ‘‘जनता ने अपनी समस्याओं के अंतिम उपाय के रूप में न्यायपालिका पर अपार विश्वास दिखाया है। संविधान ने हमें जो जिम्मेदारियां सौंपी हैं, हम सब मिल कर उन्हें पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता से निभा रहे हैं।’’ निश्चय ही भ्रष्टाचार की उक्त दोनों घटनाओं से न्यायपालिका की छवि को ठेस पहुंचाने की कोशिश हुई है, अत: आशा करते हैं कि भविष्य में ऐसी कोई और घटना न हो ताकि न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर आंच न आए।—विजय कुमार 

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