‘राफेल की बॉडी ही नहीं’पूरा लड़ाकू विमान बनाने की जरूरत!

punjabkesari.in Saturday, Jun 07, 2025 - 05:18 AM (IST)

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में हुई कारगिल जंग के दौरान स्वीडन से इम्पोर्ट की गई बोफोर्स तोप की अहम भूमिका रही थी। इस तोप के गोले जालंधर में भी बनाए जाते थे। यदि उस समय देश के पास बोफोर्स तोप नहीं होती तो शायद इस जंग को जीतने में भारत को ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती।

देश 1999 से 26 वर्ष आगे बढ़ चुका है और अब जंग के तौर-तरीके और तकनीक भी बदल रही है। भारत ने अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए फ्रांस की कम्पनी डसॉल्ट एविएशन से 2016 में 58000 करोड़ रुपए में 36 राफेल लड़ाकू जहाज खरीदे थे। अब इसी वर्ष अप्रैल में भारत ने एक बार फिर 26 अन्य राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ 63,887 करोड़ रुपए की डील की है। इस बीच अब भारत की टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, फ्रांस की डसाल्ट एविएशन के लिए राफेल लड़ाकू विमान की बॉडी का निर्माण भारत में करेगी। पहली बार इस लड़ाकू जहाज की बॉडी फ्रांस के बाहर किसी देश में बनाई जाएगी। रिपोर्ट्स के अनुसार इस करार के तहत टाटा समूह हैदराबाद में अत्याधुनिक उत्पादन इकाई स्थापित करेगा। इस प्लांट में वित्त वर्ष 2027-28 में उत्पादन शुरू हो जाने की उम्मीद है। यहां हर महीने 2 बॉडी बनाई जाएंगी।

डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन और सी.ई.ओ. एरिक ट्रैपियर ने कहा कि यह भारत में कम्पनी की सप्लाई चेन मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के सी.ई.ओ. और मैनेजिंग डायरैक्टर सुकरन सिंह ने कहा कि राफेल की सभी बॉडी भारत में बनाने से एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम में भारत की प्रगति का भी पता चलता है। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में कार्यकत्र्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘हमें अपनी सुरक्षा के मामले में ‘आत्मनिर्भर’ होना चाहिए और इसके लिए सेना, शासन-प्रशासन के साथ समाज का बल आवश्यक है।’’ 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के मध्य पैदा हुई तनाव की स्थिति और भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए सचिव राजेश कुमार सिंह ने भी देश का रक्षा बजट बढ़ाने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी कुल जी.डी.पी. का 1.9 प्रतिशत खर्च डिफैंस पर करता है। इसे वित्त वर्ष 2029-30 तक जी.डी.पी. का 2.5 प्रतिशत तक करने की जरूरत है। 

उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में पहली बार देश के सैन्य आधुनिकीकरण का बजट पूरी तरह इस्तेमाल किया गया है और रक्षा मंत्रालय ने इस वर्ष रिकॉर्ड 2 लाख करोड़ रुपए के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। आगामी बजट में रक्षा मंत्रालय वित्त विभाग से रक्षा बजट बढ़ाने की मांग कर सकता है। भारत में राफेल जैसे लड़ाकू विमान की बॉडी का निर्माण निश्चित तौर पर देश के रक्षा क्षेत्र में हो रही प्रगति को दर्शाता है लेकिन देश में सिर्फ राफेल की बॉडी का निर्माण ही नहीं होना चाहिए बल्कि राफेल जैसी उन्नत तकनीक के लड़ाकू विमान पूरी तरह से भारत में बनाने की तकनीक विकसित किए जाने की जरूरत है। इस प्रकार भारत न सिर्फ रक्षा के क्षेत्र में मजबूत हो सकेगा बल्कि इससे देश का डिफैंस एक्सपोर्ट भी बढ़ेगा और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।—विजय कुमार 


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