नहीं थम रहा देश में रिश्वतखोरी का घिनौना दुष्चक्र

Thursday, Aug 09, 2018 - 02:55 AM (IST)

हमारे देश में रिश्वतखोरी के रोग ने महामारी का रूप धारण कर लिया है और बड़े पैमाने पर सरकारी कर्मचारी रोज रिश्वत लेते हुए पकड़े जा रहे हैं। शायद ही कोई विभाग ऐसा होगा जो इस रोग से बच सका हो। विडम्बना यह है कि पुलिस जैसे विभाग जिन पर कानून का पालन करवाने का दायित्व है, से जुड़े सदस्य भी स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जा रहे हैं : 

13 जुलाई को सागर की लोकायुक्त पुलिस ने डाकघर के संभागीय उपनिरीक्षक अंकित द्विवेदी को 5,000 रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। 21 जुलाई को पानीपत में एक मोटरसाइकिल सवार का चालान काटने की धमकी देकर उससे रिश्वत लेने पर गुलाब सिंह नामक एस.पी.ओ. के विरुद्ध केस दर्ज किया गया। 26 जुलाई को सतर्कता अधिकारियों ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग सोहना में तैनात एक फूड इंस्पैक्टर को डिपो अलाट करने के बदले में शिकायतकत्र्ता से 10,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। 26 जुलाई को भ्रष्टïाचार निरोधक ब्यूरो उदयपुर ने सूचना सहायक कपिल कोठारी को 50,000 रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा। 

28 जुलाई को झारखंड में पलामू के हरिहरगंज स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय के सहायक जितेंद्र प्रसाद को 25,000 रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। 31 जुलाई को अमृतसर देहाती पुलिस के एक सब इंस्पैक्टर परमजीत सिंह तथा एक असिस्टैंट सब इंस्पैक्टर अश्विनी कुमार को एक नशा तस्कर से 8,000  रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 01 अगस्त को झारखंड में गढ़वा स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने रंका प्रखंड में शौचालय निर्माण योजना की राशि के भुगतान के बदले में 2500 रुपए रिश्वत लेते हुए गांव के मुखिया को गिरफ्तार किया। 

02 अगस्त को बिहार में रामपुर की बी.डी.ओ. ‘वर्षा तरवे’ को एक पंचायत के मुखिया से ‘हर घर नल का जल’ योजना पास करने के  लिए रिश्वत के तौर पर 1.15 लाख रुपए लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। ‘वर्षा तरवे’ के सरकारी आवास पर बैड के नीचे से भी 1.70 लाख रुपए बरामद हुए। 02 अगस्त को सतर्कता विभाग ने शिक्षा विभाग हिसार के क्लर्क संजय सोनी को शिकायतकत्र्ता को नौकरी लगवाने के नाम पर 40,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। 04 अगस्त को गोरखपुर में शिकायतकत्र्ता से 20,000 रुपए रिश्वत मांग रहे लेखपाल रामकिशुन प्रसाद को रंगे हाथों पकड़ा गया। 04 अगस्त को पटना में ए.एस.आई. विनय सिंह को एक केस दबाने के बदले में शिकायतकत्र्ता से 10,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। 

06 अगस्त को कोटा में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के सदस्यों ने एक सब इंस्पैक्टर तथा एक सहायक सब इंस्पैक्टर को 8000 रुपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा। 07 अगस्त को विजीलैंस ब्यूरो पटियाला की टीम ने पंचायत सचिव राजपुरा अमरीक सिंह को शिकायतकत्र्ता से 1 लाख 10 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यहीं पर बस नहीं, रिश्वतखोरी द्वारा अवैध संपत्ति जमा करने का एक सनसनीखेज मामला 6 अगस्त को इंदौर में सामने आया जहां लोकायुक्त पुलिस ने नगरीय निकाय के अतिक्रमण निरोधक दस्ते में शामिल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी असलम खान के ठिकानों पर छापेमारी के बाद 4 करोड़ रुपए से अधिक की सम्पत्ति का पता लगाया। आज करोड़ों रुपए के मालिक असलम खान 1988 में नगर निगम में मात्र 500 रुपए मासिक वेतन पर भर्ती हुआ था और फिलहाल उसे नगर निगम से 18,000 रुपए वेतन मिलता है। 

छापों में असलम खान के ठिकानों से 22 लाख रुपए की नकदी और 2 किलो सोने के गहनों के अलावा 20 अचल सम्पत्तियों का पता चला है। उसके पास 6 लग्जरी कारें भी हैं। उसके घर में एक आलीशान थिएटर भी मिला है। इनके अलावा भी न जाने कितने ऐसे मामले हुए होंगे जो प्रकाश में नहीं आ पाए और जो इस बात का मुंह बोलता प्रमाण हैं कि हमारे देश में रिश्वतखोरी का रोग किस कदर जड़ें जमा चुका है जिसका इलाज दोषियों को तुरंत और कठोरतम दंड देकर ही किया जा सकता है।—विजय कुमार 

Pardeep

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