नहीं थम रहा भाजपा से ‘अपनों’ की नाराजगी का दौर

Thursday, Dec 27, 2018 - 03:31 AM (IST)

हाल ही में सम्पन्न 5 राज्यों के चुनावों में भाजपा को न सिर्फ निराशा का मुंह देखना पड़ा बल्कि इसके अपने सदस्यों के अलावा सहयोगी दलों के सदस्यों और शुभचिंतकों ने भी भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है। जहां बिहार में सीट बंटवारे पर रालोसपा नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने भाजपा नीत गठबंधन से नाता तोड़ लिया वहीं लोजपा नेता राम विलास पासवान द्वारा गठबंधन छोडऩे के संभावित समाचारों के बीच उन्हें राजी करने के लिए भाजपा को उनकी इच्छा के अनुसार सीटें देनी पड़ीं।

2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार करने वाले योग गुरु रामदेव ने 25 दिसम्बर को कहा है कि ‘‘देश के राजनीतिक हालात बहुत कठिन हैं और कहा नहीं जा सकता कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। मैं न किसी का समर्थन करता हूं और न ही किसी का विरोध।’’ इससे पूर्व 21 दिसम्बर को उन्होंने इशारों-इशारों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ करते हुए कहा कि ‘‘राहुल ने कर्म किया और वह चुनाव में जीत गए। मुझे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रेम है परन्तु विपक्ष से वैर नहीं है।’’ 

‘‘आज राजनेता व अभिनेता अपने एजैंडे के लिए देश को दाव पर लगा रहे हैं। 2019 में क्या होगा कुछ नहीं कहा जा सकता। इसमें संघर्ष और चुनौती है तथा मुकाबला जोरदार होगा। देश में राजनीतिक असहिष्णुता चरम पर है। चौ. चरण सिंह के सिवाय देश में किसान का दर्द समझने वाला कोई प्रधानमंत्री नहीं बना।’’ चर्चा है कि भाजपा द्वारा लोकसभा चुनावों में टिकट न देने पर नाराज चल रहे सांसद शत्रुघ्न सिन्हा राजद में जा सकते हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि ‘‘मेरे विचारों का उद्देश्य पार्टी को आईना दिखाना है जिसे कुछ पार्टी नेता पसंद नहीं करते लेकिन इन्हें पार्टी विरोधी नहीं कहा जा सकता।’’ ‘‘3 राज्यों में भाजपा की हार यह दर्शाने के लिए काफी है कि राजग में स्थिति ठीक नहीं है। अनेक लोग इसे छोड़ गए हैं, अनेक छोडऩे की तैयारी में हैं व कुछ अन्य ‘कमजोर भाजपा के साथ’ सख्त सौदेबाजी कर रहे हैं।’’ 

‘‘देश के लोगों को रोजगार और बेहतर सुविधाओं की जरूरत है न कि वायदों और जुमलों की। मैं व्यक्तिगत रूप से वन मैन शो और टू मैन आर्मी के विरुद्ध हूं। वे देश को चला रहे हैं यह किस प्रकार की स्थिति है।’’ भाजपा से नाता तोड़ चुके पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया अनमेड : हाऊ द मोदी गवर्नमैंट ब्रोक द इकोनोमी’ में दावा किया है कि ‘‘देश के जी.डी.पी. आंकड़े गुमराह करने वाले हैं, रिजर्व बैंक की स्वायत्तता खतरे में है और नोटबंदी सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला है।’’ बीते कुछ वर्षों से सरकार की नीतियों के कटु आलोचक रहे सिन्हा ने लिखा है कि ‘‘नरेन्द्र्र मोदी केवल नौकरशाहों के माध्यम से शासन करते हैं और कैबिनेट रबड़ की मोहर में बदल गई है। अधिकतर कैबिनेट मंत्रियों को अपनी बात कहने की इजाजत नहीं है। मोदी के पास मंत्रियों से मिलने के लिए कोई समय नहीं है क्योंकि इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।’’ 

​​​​​​​महाराष्ट्र में शिवसेना के तेवर काफी पहले से ही भड़के हुए हैं और अब तो उद्धव ठाकरे ने राफेल डील के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधने के लिए ‘चौकीदार चोर है’ नारे का इस्तेमाल कर दिया है। अभी हाल ही में 5 राज्यों के चुनावों पर टिप्पणी करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा था कि ‘‘लोग अब भाजपा से ऊब चुके हैं और जनता ने भाजपा को खारिज करके उसे सख्त संदेश दिया है।’’ शिव सेना की नाराजगी देख कर अमित शाह ने ​​​​​​​महाराष्ट्र भाजपा के नेताओं को नसीहत दी है कि वे सार्वजनिक रूप से शिवसेना के विरुद्ध कुछ न कहें ताकि शिवसेना को चुनावों में अपने साथ जोड़े रखने की उम्मीद बनी रहे। उन्होंने भाजपा नेतृत्व को यह नसीहत भी दी कि शिवसेना द्वारा अत्यधिक भड़काने के बावजूद वे अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया व्यक्त न करें। 

कुल मिलाकर भाजपा के अपने सदस्यों, गठबंधन सहयोगियों और शुभङ्क्षचतकों द्वारा की जा रही चेतावनी भरी टिप्पणियां और नाराजगी इस बात का संकेत दे रही है कि भाजपा में सब ठीक नहीं है और पार्टी में एक दुविधा पूर्ण स्थिति बनती जा रही है जिसे दूर करने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सब सहयोगियों और शुभङ्क्षचतकों के साथ मिल कर गहन ङ्क्षचतन मंथन करने की आवश्यकता है।—विजय कुमार

Pardeep

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