नेपाल का होने लगा ‘चीनी लोकतंत्र से मोहभंग’ ‘राजतंत्र’ की वापसी के लिए प्रदर्शन

Thursday, Apr 11, 2024 - 05:41 AM (IST)

हिमालय की गोद में बसे भारत के पड़ोसी देश नेपाल में 240 वर्ष पुराने ‘राजतंत्र’ का 2008 में अंत हो गया और ‘शाह राजवंश’ के हाथों से सत्ता छिन जाने पर चीन समर्थक माओवादियों ने नरेश ज्ञानेंद्र को सत्ताच्युत करके देश को ‘गणतंत्र’ घोषित कर दिया। नेपाल की अर्थव्यवस्था दूसरे देशों पर टिकी होने के कारण चीन इसका हमेशा अनुचित लाभ उठाने की कोशिश करता रहता है। चीन की इन्हीं चालों के कारण नेपाल में हमेशा एक अस्थिर सरकार रही है जिसके परिणामस्वरूप नेपाल के लोगों के एक बड़े वर्ग का ‘चीन समर्थित लोकतंत्र’ से मोहभंग हो गया है।

इसी कारण वे देश में ‘राजतंत्र’ को वापस लाने, चीन को देश से निकाल बाहर करने और ‘राजतंत्र’ की वापसी के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। इसी शृंखला में 12 मार्च को राजधानी काठमांडू में ‘राजतंत्र’ के समर्थन में भारी प्रदर्शन किया और लोगों ने ‘वापस आओ राजा, देश बचाओ’, ‘हमारे प्यारे राजा अमर रहें’, ‘हम एक राजशाही चाहते हैं’  नारे लगाए। और अब 9 अप्रैल को नेपाल में हजारों प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में रैली निकाली। इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान ज्ञानेंद्र की प्रमुख समर्थक ‘राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी’ (आर.पी.पी.) ने किया था। प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे ‘हम अपने राजा और देश को अपनी जान से भी अधिक प्यार करते हैं’, ‘राजशाही वापस लाओ, गणतंत्र (चीनी) को समाप्त करो’।

देश की सत्ता पर काबिज चीन समर्थक दलों की सरकारों के विरुद्ध नेपाल के लोगों का हो रहा मोहभंग इस बात का संकेत है कि लोग तानाशाही रवैये वाली सरकारों को अधिक देर तक पसंद नहीं करते। अब निकट भविष्य में नेपाल में ‘राजतंत्र’ समर्थक आंदोलन क्या रूप लेता है, यह आने वाले दिनों में स्पष्टï हो जाएगा। -विजय कुमार

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