पाकिस्तान की मुसीबतों के लिए नवाज शरीफ ने सेना और न्यायपालिका को ठहराया जिम्मेदार

punjabkesari.in Thursday, Dec 21, 2023 - 05:44 AM (IST)

4 वर्ष लंदन में रहे पूर्व प्रधानमंत्री व पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पी.एम.एल.-एन.) सुप्रीमो नवाज शरीफ की गत अक्तूबर माह में स्वदेश वापसी और वहां 8 फरवरी, 2024 को होने जा रहे आम चुनावों के दृष्टिगत राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। ऐसे माहौल के बीच शुरू से ही भारत से अच्छे संबंधों के पक्षधर और चौथी बार पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के लिए प्रयत्नशील नवाज शरीफ अपने भाषणों में देश को दरपेश भारी आर्थिक संकट तथा अन्य समस्याओं के लिए परोक्ष रूप से अपने देश की शक्तिशाली सेना पर निशाना साध रहे हैं।

इसी सिलसिले में 9 दिसम्बर को नवाज शरीफ ने कहा कि कारगिल का विरोध करने तथा यह मानने के कारण कि पाकिस्तान को भारत के साथ बेहतर संबंधों की जरूरत है, तत्कालीन सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने 1999 में उन्हें सरकार से बाहर कर दिया था। नवाज शरीफ ने कहा, ‘‘जब मैंने कारगिल योजना का विरोध करते हुए कहा था कि ऐसा नहीं होना चाहिए तो मुझे (परवेज मुशर्रफ ने) सरकार से बाहर कर दिया और बाद में मैंने जो कुछ कहा वह सही साबित हुआ। प्रधानमंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान 2 भारतीय प्रधानमंत्रियों ने पाकिस्तान का दौरा किया। मोदी साहिब और वाजपेयी साहिब लाहौर आए।’’ 

इसके साथ ही नवाज शरीफ ने 2017 में उनकी सरकार को गिरा कर देश  को बर्बाद करने के लिए सेना के पूर्व जनरलों और न्यायाधीशों पर आरोप लगाए और कहा, ‘‘पूर्व सैन्य जनरलों और तत्कालीन न्यायाधीशों की जवाबदेही तय करनी चाहिए, जो लोग देश को इस दर्जे पर ले आए।’’ उन्होंने आगे कहा कि ‘‘देश भक्त लोग अपने देश के साथ ऐसा नहीं कर सकते। हम लग्जरी कारों में घूमने के लिए सत्ता में नहीं आना चाहते बल्कि हम उन लोगों की जवाबदेही चाहते हैं जिन्होंने इस देश को बर्बाद किया और हमारे विरुद्ध झूठे मामले बनाए।’’ और अब 19 दिसम्बर को उन्होंने एक बार फिर अपने आरोप दोहराते हुए कहा है कि ‘‘आर्थिक संकट से जूझ रहे हमारे देश की परेशानियों के लिए न तो भारत जिम्मेदार है और न ही अमरीका, बल्कि हमने अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सेना ने 2018 के चुनावों में धांधली करके अपनी एक चुनी हुई (पसंदीदा) सरकार देश पर थोप दी, जिससे आम जनता परेशान हुई और देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब हुई।’’ नवाज शरीफ ने सैन्य तानाशाहों के शासन को वैध ठहराने के लिए अपने देश के तत्कालीन न्यायाधीशों की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘जब वे संविधान तोड़ते थे तो तत्कालीन न्यायाधीश उन्हें (सैन्य तानाशाहों को) माला पहनाते रहे और उनके शासन को वैध ठहराते थे और जब बात प्रधानमंत्री की आती थी तो वे उसे पद से हटाने पर मुहर लगा देते थे। तत्कालीन न्यायाधीश संसद को भंग करने के कृत्य को भी मंजूरी देते रहे...क्यों?’’ 

नवाज शरीफ ने कहा कि उन्हें 1993, 1999 और 2017 में सत्ता से बेदखल किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘2014-17 तक सेना की कमान संभालने वालों ने देश के वरिष्ठï न्यायाधीशों को मजबूर किया था। सेना ने वरिष्ठï न्यायाधीशों के आवासों का दौरा किया और उन्हें धमकाकर जबरदस्ती मेरे विरुद्ध जरूरी अदालती फैसले हासिल किए।’’ नवाज शरीफ के उक्त बयानों से स्पष्टï है कि जहां पाकिस्तान के शासकों का एक वर्ग सेना की कठपुतली बन कर समाज और देश विरोधी कार्य करने से अब भी बाज नहीं आ रहा, वहीं समस्याओं से घिरे इस देश में ऐसे नेता (नवाज शरीफ) अभी मौजूद हैं जो देश को वर्तमान संकट से निकाल कर इसे खुशहाल देश बनाना चाहते हैं। -विजय कुमार


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