मुशर्रफ ने की पुष्टि भारत में आतंकी हमलों के पीछे पाक का हाथ

Saturday, Mar 09, 2019 - 12:32 AM (IST)

शुरू से ही भारत सरकार आरोप लगाती रही है कि हमारे देश में आतंकवादी घटनाओं के पीछे पाकिस्तान का हाथ है तथा पाकिस्तान सरकार सदा ही इससे इंकार करती रही है परंतु अब पाकिस्तान के ही पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इसकी पुष्टि कर दी है जिन्हें पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 1998 में अनेक सेनाधिकारियों की वरीयता की उपेक्षा करके सेनाध्यक्ष नियुक्त किया था।

जब नवाज शरीफ ने देखा कि भारत के विरुद्ध सारे हथकंडे आजमा कर भी पाकिस्तान कुछ नहीं पा सका तो उन्होंने भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया व तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी को लाहौर आमंत्रित करके दोनों ने आपसी मैत्री व शांति के लिए लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए।

तब आशा बंधी थी कि अब इस क्षेत्र में शांति का नया अध्याय शुरू होगा पर मुशर्रफ ने मिलने पर प्रोटोकोल का उल्लंघन करते हुए न तो श्री वाजपेयी को सलामी दी और न ही नवाज द्वारा वाजपेयी जी के सम्मान में दिए भोज में शामिल हुए। बाद में मुशर्रफ ने नवाज का तख्ता पलट कर उन्हें जेल मेंं  डाल दिया और सत्ता हथियाने के बाद देश निकाला दे दिया। परवेज मुशर्रफ 2001 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी से वार्ता के लिए भारत आए परन्तु आगरा में वार्ता अधूरी छोड़ कर वापस चले गए।

भारत में आतंकवाद भड़काने के लिए मुशर्रफ ने जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में आतंकी भेजने शुरू कर दिए जिससे वहां हिंसा की घटनाएं बढ़ गईं तथा 1999 में कारगिल पर हमले के पीछे भी उन्हीं का दिमाग था। मुशर्रफ शुरू से ही इस युद्ध में पाकिस्तान की नियमित सेना के शामिल होने से इन्कार करते रहे परंतु उनके इस सफेद झूठ का पाकिस्तान की ही गुप्तचर एजैंसी आई.एस.आई. के एनेलेसिस विंग के पूर्व प्रमुख लैफ्टिनैंट जनरल शाहिद अजीज ने पर्दाफाश कर दिया।

उन्होंने कहा कि ‘‘टेप करके भेजे गए झूठे वायरलैस संदेशों में हमारे सैनिकों को अपने हथियारों और आग्नेयास्त्रों के साथ खाली पड़ी पहाडिय़ों पर जाने को कहा गया जहां उन्होंने भूखे-प्यासे दम तोड़ दिया।’’20 जून, 2001 से 18 अगस्त, 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे मुशर्रफ 27 सितम्बर, 2007 को हुई बेनजीर की हत्या में कथित संलिप्तता के आरोपों के बीच अपने प्रति बढ़ रहे असंतोष के चलते 18 अगस्त, 2008 को त्यागपत्र देकर हज करने चले गए और फिर लंदन तथा दुबई में ही रहे।

हालांकि बीच में वह 2013 में चुनाव लडऩे के लिए पाकिस्तान आए परंतु विभिन्न आरोपों में वांछित होने के कारण पुन: दुबई लौट गए। अपने पाकिस्तान प्रवास के दौरान 27 मार्च को इस्लामाबाद में एक प्रैस कांफ्रैंस में यह कह कर मुशर्रफ ने खुद ही अपने झूठ की पोल खोल दी कि ‘‘मुझे कारगिल आप्रेशन पर फर्ख है जिसके दौरान पाक फौज 5 स्थानों पर भारत के अंदर घुस गई थी।’’यही नहीं 27 अक्तूबर, 2015 को एक इंटरव्यू में उन्होंने माना कि इस क्षेत्र में आतंकवाद पाकिस्तान की ही पैदावार है और कश्मीर में आतंकी भी पाकिस्तान ने ही भेजे हैं। मुशर्रफ ने कहा कि जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद को पाकिस्तान में ट्रेनिंग दी गई है। इसके अलावा लश्कर-ए-तोएबा और दूसरे आतंकी गिरोह भी पाकिस्तान में ही बने।

और अब 7 मार्च, 2019 को मुशर्रफ ने पाकिस्तान के एक टी.वी. चैनल को दिए इंटरव्यू में स्वीकार किया है कि उनके कार्यकाल के दौरान ही मसूद अजहर के आतंकवादी गिरोह जैश-ए-मोहम्मद ने पाकिस्तानी गुप्तचर एजैंसियों के निर्देशों पर भारत में हमले किए थे। मुशर्रफ ने यह भी कहा कि ‘‘मैंने हमेशा कहा है कि जैश-ए-मोहम्मद एक आतंकवादी संगठन है और उसके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए।’’ सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस इंटरव्यू में मुशर्रफ ने यह भी कहा कि  जैश ने उनकी हत्या करने के लिए उन पर फिदायीन हमला करवाया था जिसमें वह बाल-बाल बचे थे। यह पूछने पर कि सत्ता में रहने के दौरान उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया तो उन्होंने कहा, ‘‘वह जमाना और था तथा तब इसमें हमारे इंटैलीजैंस वाले शामिल थे।’’

पाकिस्तान की बर्बादी और उसे इस हालत में पहुंचाने के लिए जिम्मेदार परवेज मुशर्रफ के उपरोक्त बयान से भारत के इस आरोप की पुष्टि हो गई है कि पाकिस्तान की सेना और वहां की गुप्तचर एजैंसी आतंकवादियों को समर्थन और शरण देकर भारत विरोधी गतिविधियां करवाती आ रही है और पाकिस्तान की सरकारें उनके हाथों की कठपुतली बनी हुई हैं। 
   —विजय कुमार

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