‘मुलायम के दरबार में सन्नाटा’ पहले चरण में सर्वाधिक ‘दागी’ भाजपा के

Friday, Feb 10, 2017 - 12:21 AM (IST)

पांच राज्यों में चुनावों की शृंखला में पंजाब व गोवा में मतदान 4 फरवरी को हो गया तथा उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी को पहले चरण के मतदान के लिए प्रचार 9 फरवरी शाम को थम गया। उत्तर प्रदेश में हो रहे चुनावों की चंद दिलचस्प बातें निम्र में दर्ज हैं :

जया बच्चन अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल को साथ लेकर सपा के लिए वोट मांग रही हैं। यू.पी. में ‘विकास की चाबी डिम्पल भाभी’ नारा खूब चल रहा है। एक सभा में इमोशनल कार्ड खेलते हुए जया बोलीं, ‘‘डिम्पल आपकी भाभी हैं इन्हें मुंह दिखाई में सपा को वोट दीजिए।’’

मथुरा में अभिनेत्री जीनत अमान ने फिल्म कुर्बानी के हिट गीत ‘लैला ओ लैला’ पर परफॉर्म करके ‘बसपा’ उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे। जहां दोनों ही बड़ी पाॢटयां भाजपा और कांग्रेस मतदाताओं को लुभाने के लिए फिल्म कलाकारों का सहारा ले रही हैं वहीं फिल्म अभिनेता राजपाल यादव ने तो ‘सर्व समभाव पार्टी’ के नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी ही बना कर 320 सीटों पर चुनाव लडऩे का निर्णय किया है।

उनका कहना है कि ‘‘मैं वर्ष में 150 दिन अपने काम को, 150 दिन राजनीति को और 65 दिन अपने परिवार को देता हूं। मैं स्वयं चुनाव न लड़ कर उम्मीदवारों के लिए काम करूंगा।’’ उत्तर प्रदेश में भाजपा ने कानून व्यवस्था को मुख्य मुद्दा बनाया है परंतु मतदान के पहले चरण में चुनाव लड़ रहे भाजपा के 73 उम्मीदवारों में से इसी के सर्वाधिक 40 उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठïभूमि के हैं।

सपा ने चुनाव घोषणापत्र में ‘प्रैशर कुकर’ देने की बात भी कही है। अनेक ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें तो यह भी मालूम नहीं कि ‘प्रैशर कुकर’ होता क्या है और वे हैरान हैं कि यह उनकी जिंदगी कैसे बदल देगा।

मुलायम सिंह का निवास 5, विक्रमादित्य मार्ग किसी समय उत्तर प्रदेश में सत्ता का बड़ा केंद्र होता था जहां हर समय रौनक रहती थी पर आज वहां सन्नाटा है। मुलायम सिंह के एक करीबी के अनुसार, ‘‘अब यहां बहुत कम लोग आते हैं। जब ‘नेता जी’ के पास टिकट देने की शक्ति ही नहीं है और सत्ता का केंद्र अखिलेश के पास चला गया है तो भला लोग वहां क्यों आएंगे?’’

उत्तर प्रदेश में इगलास (सुरक्षित, हाथरस) से चुनाव लड़ रहे दलित समुदाय के राजवीर दिलेर (भाजपा) आज भी जातिवादी प्रथा में विश्वास रखते हैं। वह जहां भी जाते हैं चाय पीने के लिए अपना अलग गिलास लेकर जाते हैं। ऊंची जाति के लोगों के बराबर बैठने की बजाय फर्श पर बैठते हैं। उनका कहना है,‘‘मैं अपनी मान-मर्यादा खत्म नहीं कर सकता। जमाना चाहे बदलता रहे।’’

चुनाव प्रचार में भी वह अपनी काली बोलैरो में अगली सीट पर ड्राइवर के साथ बैठते हैं। बीच वाली पंक्ति की आरामदेह सीटों पर उनके उच्च जाति साथी व सबसे पीछे वाली खस्ता सीटों पर उनके 2 दलित साथी बैठते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चुनावों में पार्टी नेताओं के परिजनों को टिकट न देने की सलाह के बावजूद बड़ी संख्या में भाजपा नेताओं ने अपने परिजनों को टिकट दिए हैं जिसकी आलोचना के चलते राजनाथ सिंह ने नोयडा से खड़े अपने बेटे पंकज के प्रचार में न जाने का निर्णय लिया है।

फतेहपुर सीकरी से एक छात्रा वंदना शर्मा निर्दलीय चुनाव लड़ रही है। उसका कहना है, ‘‘कालेज के साथी मुझे चिढ़ाते थे कि ‘पिछड़ेपन के शिकार तुम्हारे गांव में तो नमक खरीदने के लिए भी 8 कि.मी. जाना पड़ता है।’ अत: अब मैं अपने गांव के विकास के लिए चुनाव लड़ रही हूं और जब तक अपने गांव का विकास नहीं कर लेती तब तक शादी नहीं करूंगी।’’

उत्तर प्रदेश में वाराणसी के निकट चिरईगांव विधानसभा क्षेत्र से अभिनेता नाना पाटेकर का पूर्व रसोइया ‘संतोष मूरत सिंह’ भी चुनाव लड़ रहा है। सटोरियों के अनुसार इन चुनावों पर अभी तक 30,000 करोड़ रुपए का सट्टïा लगने का अनुमान है और उत्तर प्रदेश में किसी पार्टी की भी पूर्ण बहुमत सरकार बनती दिखाई नहीं दे रही। मणिपुर के चुनाव पर कोई सट्टïा नहीं खेला गया क्योंकि वहां के चुनावों में लोगों को दिलचस्पी नहीं है।

उत्तर प्रदेश के चुनावों के पहले चरण के चुनाव प्रचार की समाप्ति तक कुछ इस तरह के रंग देखने को मिले हैं। आने वाले दिनों में चुनावी राज्यों का हाल हम आपको अगले लेखों में बताएंगे।     —विजय कुमार  

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