श्री शांता कुमार की सही टिप्पणियां ‘नेता’ शब्द अब सम्मानजनक नहीं रहा

Thursday, May 09, 2019 - 12:15 AM (IST)

देश में चल रहे चुनावों के इस मौसम में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा एक-दूसरे के विरुद्ध जिस कदर विषवमन किया जा रहा है उतना इससे पहले कभी नहीं किया गया। इसी कारण कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव द्वारा सुप्रीम कोर्ट में किए गए एक दावे में कहा गया है कि कुछ नेताओं के कथित नफरत वाले भाषण गलत आचरण है जिनसे धार्मिक वैमनस्य की भावना फैल रही है।

इसी सिलसिले में हिमाचल के वरिष्ठï भाजपा नेता श्री शांता कुमार ने भी नेताओं द्वारा भाषणों में घटिया शब्द चयन और शब्दों के गिरते स्तर पर दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि‘इन चुनावों में राजनीतिक भाषणों का स्तर इतना नीचे गिर चुका है जितना इससे पहले कभी नहीं गिरा था और अब ‘नेता’ शब्द सम्मानजनक नहीं समझा जाता।’

‘नेताओं के आचरण के कारण ही आज लोगों के मन में सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों के प्रति कोई सम्मान नहीं रहा। अत: हर किसी को सोच कर बोलना चाहिए।’ उन्होंने यह भी कहा कि अतीत में प्रतिद्वंद्वी दलों के नेता एक-दूसरे का सम्मान करते थे। ‘प्रत्येक नेता को अनिवार्य रूप से अपने विरोधियों के प्रति इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों के चयन में संयम बरतना चाहिए।’ ‘पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी विरोधी दलों के किसी भी अच्छे कार्यकलाप की प्रशंसा करने के मामले में अत्यंत उदार थे।’

श्री शांता कुमार ने इन चुनावों में विभिन्न नेताओं द्वारा पाॢटयां और वफादारी बदलने के रुझान पर भी दुख व्यक्त किया और कहा, ‘इन चुनावों में बड़ी संख्या में राजनीतिज्ञों द्वारा पाॢटयां बदलने के कारण भारी राजनीतिक उथल-पुथल हुई है जो स्वस्थ रुझान नहीं है।’ श्री शांता कुमार ने अपनी टिप्पणियों में बिल्कुल सही बातें कही हैं। वास्तव में हमारे बड़बोले और दल-बदलू नेता सत्ता के मोह में अनर्गल बयानबाजी और दल बदली करके राजनीति और राजनीतिज्ञों को बदनाम ही कर रहे हैं।    —विजय कुमार

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