मोबाइल फोन के कारण चली गईं ‘10 मासूम जानें’

Friday, Jul 29, 2016 - 02:06 AM (IST)

वर्षों से हमारे रेल मंत्री मानव रहित रेल फाटक समाप्त करने की बातें करते आ रहे हैं परंतु अभी भी देश में 35 प्रतिशत से अधिक मानव रहित रेल फाटक मौजूद हैं जिनकी संख्या 11000 के लगभग है।

 
इस वर्ष फरवरी में संसद मेें अपने बजट भाषण में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने स्वीकार किया था कि रेलवे में होने वाली कुल दुर्घटनाओं में से 40 प्रतिशत दुर्घटनाएं और 68 प्रतिशत मौतें रेल फाटकों पर ही होती हैं। उन्होंने देश में 2020 तक सभी मानव रहित रेल फाटक समाप्त करने की बात तो कही थी परंतु इसके लिए धन की व्यवस्था नहीं हो पाई है।
 
इसी का दुष्परिणाम 25 जुलाई को सामने आया जब उत्तर प्रदेश में एक मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग पर एक स्कूली बस के पैसेंजर ट्रेन की चपेट में आ जाने से 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के 10 स्कूली बच्चों की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई तथा कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। 
 
बताया जा रहा है कि वहां तैनात ‘रेल मित्र’ ने स्कूली बस के ड्राइवर को लाल झंडी दिखा कर रुकने का इशारा भी किया था पर उसने ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसने कानों में मोबाइल का ईयर फोन लगा रखा था।
 
इस दुर्घटना ने एक बार फिर देश में मानव रहित फाटकों की समस्याओं और वाहन चलाते समय मोबाइल फोन के इस्तेमाल के दुष्परिणामों की ओर इशारा किया है। जहां देश में मानव रहित फाटक किसी न किसी रूप में निर्दोषों की मृत्यु का कारण बन रहे हैं वहीं वाहन चलाते समय मोबाइल फोन के इस्तेमाल से होने वाली दुर्घटनाएं भी लगातार जारी हैं। 
 
ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए जहां मानव रहित फाटक यथाशीघ्र समाप्त करने की आवश्यकता है वहीं वाहन चलाते समय मोबाइल के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध का सख्तीपूर्वक पालन करवाना भी आवश्यक है, वर्ना इसी तरह दुर्घटनाओं में निर्दोष मरते रहेंगे।    
 
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