‘मनसे’ की उत्तर भारतीयों को मुंबई से निकल जाने की धमकी!
punjabkesari.in Thursday, Apr 10, 2025 - 04:58 AM (IST)

महाराष्ट्र की राजनीति में विशेष स्थान रखने वाली ‘शिव सेना’ की स्थापना ‘बाल ठाकरे’ ने 19 जून, 1966 को की थी। ‘शिव सेना’ की स्थापना करते समय उन्होंने ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ के आदर्शों और उनके द्वारा किए गए संघर्षों को अपनाया और इसी कारण पार्टी का नाम ‘शिव सेना’ रखा गया।
‘बाल ठाकरे’ की राजनीतिक विरासत को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद उनके भतीजे ‘राज ठाकरे’ ने 9 मार्च, 2006 को अपनी नई पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) का गठन कर लिया। ‘राज ठाकरे’ जहां एक तरफ खुद को हिन्दू नेता के तौर पर पेश करते हैं, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय वोट बैंक को मजबूत रखने के लिए उत्तर भारतीयों के विरोध की राजनीति करते हैं।
महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के अधिकारों की राजनीति करने वाली ‘उत्तर भारतीय विकास सेना’ के अध्यक्ष सुनील शुक्ल ने ‘मनसे’ की मान्यता रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘मनसे’ के प्रवक्ता और मुंबई इकाई के अध्यक्ष ‘संदीप देशपांडे’ ने सोशल मीडिया में लिखा है ‘‘अगर उत्तर भारतीय, मराठी मानुष की पार्टी को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं, तो हमें यह सोचने की जरूरत है कि क्या उन्हें मुंबई और महाराष्ट्र में रहने दिया जाना चाहिए।’’दरअसल 30 मार्च को ‘गुडी पड़वा’ उत्सव के दौरान ‘राज ठाकरे’ द्वारा उत्तर भारतीयों के खिलाफ दिए गए भाषण के बाद मुंबई के पवई और वर्सोवा इलाकों में उत्तर भारतीयों पर हमले किए गए।
मुंबई देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाती है और देश की आर्थिक राजधानी है। इस शहर के विकास में स्थानीय लोगों के साथ-साथ उत्तर भारतीयों का भी भारी योगदान है। ‘शिवाजी’ हमेशा हिन्दू अधिकारों व देश की एकजुटता की बात करते थे लेकिन ‘मनसे’ के कार्यकत्र्ता उत्तर भारतीय हिन्दुओं पर ही हमले कर रहे हैं। अपने राजनीतिक मकसद के लिए उत्तर भारतीयों पर इस तरह के हमलों से ‘मनसे’ को बचना चाहिए ताकि देश इसी तरह आगे बढ़ता रहे।—विजय कुमार