भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नई सुबह ‘इसरो’ के सहयोग से शुरू हुआ मिशन ‘प्रारम्भ’
punjabkesari.in Saturday, Nov 19, 2022 - 04:35 AM (IST)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ‘इसरो’ देश में अंतरिक्ष कार्यक्रम को लगातार नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है और अब इसने अपने अभियान में निजी कम्पनियों को भी जोड़ लिया है। इसी सिलसिले में 18 नवम्बर को सुबह 11.30 बजे देश का पहला निजी राकेट ‘विक्रम-एस’ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित ‘सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र’ से प्रक्षेपित करके ‘इसरो’ ने भारत में एक नए अंतरिक्ष युग की शुरूआत की।भारत के महान वैज्ञानिक और इसरो के संस्थापक डा. विक्रम साराभाई के नाम पर इस राकेट का नाम ‘विक्रम-एस’ रखा गया है।
देश में किसी निजी कम्पनी के पास लांच पैड नहीं होने के कारण इस राकेट को ‘इसरो’ के माध्यम से प्रक्षेपित किया गया और इस मिशन को इसने ‘प्रारंभ’ नाम दिया है। इस राकेट को 15 नवम्बर को प्रक्षेपित किया जाना था परंतु उस दिन मौसम खराब होने के कारण इसे 18 नवम्बर के लिए स्थगित कर दिया गया था। 545 किलो वजनी तथा 0.375 मीटर व्यास का 6 मीटर लम्बा यह राकेट आवाज की गति से 5 गुणा अधिक तेज अर्थात हाईपरसोनिक गति से एक विदेशी और दो घरेलू कम्पनियों के तीन उपग्रह अपने साथ लेकर अंतरिक्ष की ओर गया।
पूरी तरह कार्बन फाइबर से निर्मित दुनिया का यह पहला ‘आल कम्पजिट’ राकेट है अर्थात इसमें धातु का इस्तेमाल कम किया गया है। इसकी मुडऩे की क्षमता को संभालने के लिए इसमें आम इंजनों की तुलना में अधिक विश्वसनीय थ्री डी प्रिंटेड सॉलिड थ्रस्टर्स युक्त क्रायोजेनिक इंजन लगाए गए हैं। इसमें आम ईंधन के स्थान पर किफायती और प्रदूषण मुक्त ठोस ईंधन का इस्तेमाल किया गया है। राकेट ने अपने साथ लेकर जाने वाले तीनों उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर दिया। यह 89.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचा तथा इसने 121.2 किलोमीटर की दूरी तय की (जैसी कि इसके निर्माताओं ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ ने योजना बनाई थी)।
‘भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवद्र्धन और प्राधिकरण केंद्र’ (इन स्पेस) के अध्यक्ष पवन गोयनका ने ‘स्काईरूट’ को राकेट प्रक्षेपण के लिए अधिकृत की जाने वाली पहली भारतीय कम्पनी बनने पर बधाई देते हुए इसे भारत में अंतरिक्ष के क्षेत्र में कदम रखने जा रहे निजी क्षेत्र के लिए बड़ी छलांग तथा नई शुरूआत बताया है जिसके इस अभियान में इसरो ने सहायता की है। ‘इसरो’ के अध्यक्ष डा. एस. सोमनाथ तथा केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह देश के पहले निजी प्रक्षेपण के साक्षी बने।
श्री जितेंद्र सिंह ने इसे देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नई शुरुआत तथा नई सुबह करार दिया और कहा कि ‘‘इसरो के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत भारत ने पहले निजी राकेट का प्रक्षेपण करके इतिहास रचा है।’’ विशेषज्ञों के अनुसार इस परीक्षण के साथ ही भारत निजी अंतरिक्ष कम्पनियों द्वारा राकेट लांचिंग के मामले में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हो गया है। इससे फिलहाल अंतरिक्ष पर्यटन के दरवाजे तो नहीं खुलेंगे और इसमें अभी कम से कम 5 से 10 वर्ष और लग सकते हैं परंतु ‘इसरो’ इस पर काम कर रहा है तथा भविष्य में ऐसा संभव हो सकता है जिसके लिए निजी कम्पनियों के साथ मिल कर ‘इसरो’ द्वारा अंतरिक्ष मिशन शुरू किया गया है।
उल्लेखनीय है कि अमरीकी उद्योगपति एलन मस्क द्वारा अपनी कम्पनी ‘स्पेस एक्स’ के माध्यम से शुरू किए गए अंतरिक्ष मिशन की भांति इसी प्रकार के मिशन भारत में शुरू होने की संभावना पर भी चर्चा प्रारंभ हो गई है। फिलहाल वर्जिन आर्बिट, स्पेसएक्स, ब्लू ओरिजिन जैसी बड़ी कम्पनियां ही स्पेस टूरिज्म और कार्गो फैसिलिटी अंतरिक्ष तक पहुंच रही हैं। देश में सिर्फ ‘स्काईरूट एयरो स्पेस’ ही राकेट बनाने वाली एकमात्र कम्पनी नहीं है। इसके अलावा ‘अग्निकुल कास्मास’ तथा ‘बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस’ नामक कम्पनियां भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं और ये भी विभिन्न स्तरों पर अपने राकेटों के परीक्षण कर रही हैं। अत: भविष्य में इस दिशा में भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के नई ऊंचाइयों पर पहुंचने की प्रबल संभावना है। -विजय कुमार