मंत्री ने छापा मार कर पैट्रोल पंप सील करवाया

Wednesday, Nov 10, 2021 - 03:36 AM (IST)

हम शुरू से ही लिखते आ रहे हैं कि हमारे मंत्रियों, नेताओं और अधिकारियों को अपने राज्यों में सड़क मार्ग से यात्रा करनी चाहिए और इस दौरान वे किसी स्कूल, अस्पताल या सरकारी दफ्तर में बिना पूर्व सूचना के अचानक पहुंच जाएं तो उस इलाके के अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों का कार्य स्वत: ही कुछ सुधर जाएगा। 

2016 में शिअद सरकार में शिक्षा मंत्री श्री चीमा के निर्देश पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने लम्बी छुट्टी लेकर विदेशों में बैठे 1200 अध्यापकों के विरुद्ध कार्रवाई करके 148 अध्यापकों की सेवाएं समाप्त भी की थीं। और अब यह सिलसिला देश के कुछ अन्य राज्यों में भी शुरू हुआ है तथा मातहत स्टाफ के अलावा स्वयं मंत्रीगण भी छापे मार रहे हैं : 

* 27 सितम्बर को हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने अचानक फरीदाबाद में विभिन्न सरकारी कार्यालयों का निरीक्षण किया तथा खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी के कार्यालय की जांच के दौरान राशन वितरण में धांधलियों का पता लगाने के लिए सभी डिपो होल्डरों के रिकार्ड की जांच करने का आदेश दिया। 

* 20 अक्तूबर को राजस्थान के नगर विकास मंत्री शांति धारीवाल ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम मुख्यालय का दौरा करके कई अनियमितताएं पकड़ीं जिसके बाद निगम के उच्चाधिकारियों के काम में तेजी नज़र आने लगी है और उन्हें भविष्य में होने वाले औचक निरीक्षण का डर सताने लगा है। 
* 25 अक्तूबर को केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साऊथ ब्लाक स्थित रक्षा मंत्रालय के कार्यालयों का औचक निरीक्षण करके स्टाफ को काम तेजी से निपटाने का निर्देश दिया। उन्होंने बजट विभाग में लगे फाइलों के अम्बार देखकर पूछा कि ये कब से पैंङ्क्षडग हैं और यह काम कब तक पूरा हो जाएगा? 

* 29 अक्तूबर को पंजाब के उप-मुख्यमंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा ने चंडीगढ़ में विभिन्न नाकों की चैकिंग के दौरान डूयूटी में लापरवाही बरतने वाले 4 सिपाहियों को निलंबित करने का आदेश दिया।
* 1 नवम्बर को केरल के पर्यटन मंत्री मोहम्मद रियास ने तिरुवनंतपुरम स्थित पी.डब्ल्यू.डी. रैस्ट हाऊस में छापा मारा और उसकी साफ-सफाई में लापरवाही बरतने वाले स्टाफ को फटकार लगाई व उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के आदेश दिए। 

* और अब 8 नवम्बर को गुजरात के पैट्रो कैमिकल मंत्री मुकेश पटेल सूरत के जहांगीरपुरा इलाके में स्थित एक पैट्रोल पंप पर अचानक छापा मारने के लिए अकेले ही एक आम आदमी की तरह अपनी कार में डीजल भरवाने के बहाने चले गए। उन्होंने अपनी कार में 4,000 रुपए का डीजल भरवाया लेकिन पंप के मीटर में कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था। डीजल भरने वाले कर्मचारी से इसका संतोषजनक उत्तर न मिलने पर उन्होंने उसी समय सूरत के कलैक्टर तथा अन्य अधिकारियों को वहां बुलवा कर रातों-रात पैट्रोल पंप सील करवा दिया। 

बेशक सरकारी विभागों में अनियमितताओं का पता लगाने के लिए छापेमारी का सिलसिला सराहनीय है परंतु इनकी गति कुछ धीमी है। अत: एक निश्चित कार्यशैली निर्धारित करके सुनियोजित ढंग से इन्हें तेज करने और नियमित रूप से जारी रखने की आवश्यकता है। जितने अधिक छापे मारे जाएंगे, सरकारी स्टाफ में उतनी ही मुस्तैदी आएगी और आम लोगों तथा जनता को कुछ राहत एवं सुविधा प्राप्त होगी। इसके साथ ही जिन राज्यों में औचक छापेमारी नहीं की जा रही है, वहां भी यह सिलसिला शुरू होना चाहिए ताकि वहां के लोगों को भी राहत मिले।—विजय कुमार  

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