महबूबा मुफ्ती द्वारा शिव मंदिर (पुंछ) में  जलाभिषेक करने पर मौलानाओं को एतराज!

punjabkesari.in Saturday, Mar 18, 2023 - 05:39 AM (IST)

नैशनल कांफ्रैंस के सुप्रीमो डा. फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला ने अपनी आत्मकथा ‘आतिशे चिनार’ में स्वीकार किया था कि कश्मीरी मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू थे और उनके पड़दादा का नाम बालमुकुंद कौल था। ये मूलत: सप्रू गोत्र के कश्मीरी ब्राह्मण थे और इनके एक पूर्वज रघुराम ने एक सूफी के हाथों इस्लाम धर्म स्वीकार किया था। इनका परिवार पशमीने का व्यापार करता था और अपने छोटे से कारखाने में शाल तथा दोशाले बनाकर बाजार में बेचता था।

स्वयं डा.फारूक अब्दुल्ला कश्मीर के बाहर दिए गए साक्षात्कारों और भाषणों में अपने पूर्वजों के हिन्दू होने का उल्लेख कर चुके हैं और उन्हें कई बार भगवान राम की पूजा करते हुए भी देखा गया है। और अभी हाल ही में राजस्थान कांग्रेस से विधायक शफिया जुबैर ने कहा, ‘‘मेरे सहित ‘मेव समुदाय’ के लोग राम और कृष्ण के वंशज हैं तथा धर्म बदलने से खून नहीं बदलता। हम में राम और कृष्ण का ही खून है।’’ इस बीच आमतौर पर अलगाववादियों और कट्टरपंथियों की पैरवी करती नजर आने वाली पी.डी.पी. सुप्रीमो और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 14 मार्च को अपनी पुंछ यात्रा के दौरान निकटवर्ती ‘अजोट’ स्थित ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर का दौरा कर सबको चौंका दिया।

महबूबा मुफ्ती ने मंदिर में काफी समय बिताया और इस दौरान उन्होंने शिवलिंग का जलाभिषेक करने के अलावा अन्य देव प्रतिमाओं के दर्शन, मंदिर की परिक्रमा और प्रदेश में सुख-शांति की कामना की। महबूबा के इस कदम पर राजनीतिक क्षेत्रों में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही हैं। देवबंद के मौलाना और ‘इत्तेहाद उलेमा-ए-हिंद’ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुफ्ती असद कासमी ने इसे इस्लाम के सिद्धांतों के विरुद्ध करार दिया है।

जम्मू-कश्मीर भाजपा के प्रवक्ता रणवीर सिंह पठानिया ने कहा है कि, ‘‘महबूबा ने 2008 में अमरनाथ धाम की यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों के लिए ‘हट’ के निर्माण के लिए भूमि देने का विरोध किया था। महबूबा की नौटंकी से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। अगर राजनीतिक नौटंकी बदलाव ला सकती तो आज जम्मू-कश्मीर में समृद्धि होती।’’  इसके उत्तर में महबूबा मुफ्ती ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘मुझे अपने धर्म के बारे में अच्छी तरह पता है।

यह मेरा निजी मामला है लिहाजा देवबंद के मौलाना अपने काम से ही मतलब रखें। हम एक धर्मनिरपेक्ष और गंगा-जमनी तहजीब के देश में रहते हैं और इसमें किसी को ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं है।’’ महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा कि, ‘‘हमारे देश में हिन्दू और मुसलमान इकट्ठे रहते हैं और मुसलमानों की इबादतगाहों (धर्मस्थलों) पर मुसलमानों से अधिक हिन्दू ‘चादर’ चढ़ाते हैं।’’ कुछ लोगों का कहना है कि महबूबा मुुफ्ती ने यह कदम अपनी छवि को सुधारने और स्वयं को धर्मनिरपेक्ष सिद्ध करने के उद्देश्य से उठाया है।

महबूबा में यह बदलाव और व्यवहार लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि यह पहला अवसर है जब महबूबा मुफ्ती ने सार्वजनिक तौर पर किसी मंदिर का दौरा कर शिवङ्क्षलग का जलाभिषेक किया है। अत: यदि महबूबा मुफ्ती की सोच में यह बदलाव जारी रहता है तो निश्चित ही यह इस अशांत प्रदेश में शांति और सौहार्द बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जिससे आने वाले चुनावों में उनकी पार्टी को भी कुछ लाभ हो सकता है खास तौर पर तब जब उनकी लोकप्रियता तथा उनकी पार्टी का प्रभाव कुछ ही वर्ग तक सीमित रहा है। -विजय कुमार 


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