मराठा आरक्षण ‘आंदोलन स्थगित’ लेकिन ‘आग तो लग ही गई है’

Thursday, Jul 26, 2018 - 03:52 AM (IST)

भीषण हिंसा के बीच मराठा आरक्षण आंदोलन स्थगित होने और मुम्बई में बंद वापस लेने तथा ठाणे और नवी मुम्बई में बंद जारी रखने की विरोधाभासी खबरों के बीच उल्लेखनीय है कि प्रभावशाली मराठा समुदाय के लिए आरक्षण का मामला बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य की आबादी में लगभग 30 प्रतिशत मराठा हैं जो ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ के अंतर्गत मराठा समुदाय के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। 

पिछले साल मुम्बई में ‘मराठा क्रांति मोर्चा’ ने एक बड़ी रैली निकाली और इसके अलावा भी उन्होंने पूरे राज्य में लगभग 55 मूक रैलियां निकाल कर आरक्षण के पक्ष में आवाज उठाई थी। यह आंदोलन तब मुम्बई भी पहुंचा था तथा मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस ने इस समुदाय को आरक्षण का लाभ दिलाने का आश्वासन दिया था। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा 72,000 नियुक्तियां करने के संकेत मिलने के बाद यह आंदोलन और तेज हो गया है। हालांकि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस ने आश्वासन दिया है कि मराठा आरक्षण पर कोर्ट का फैसला आने तक इन भर्तियों में इस समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा परन्तु आंदोलन का नेतृत्व कर रहा ‘मराठा क्रांति मोर्चा’ इस आश्वासन से सहमत नहीं है व उसने 9 अगस्त को महाराष्टï्र बंद की तैयारी कर रखी थी। 

परन्तु 23 जुलाई को औरंगाबाद में काका साहेब शिंदे नामक एक युवक के गोदावरी नदी में कूद कर आत्महत्या कर लेने से आंदोलन अचानक भड़क उठा और 9 अगस्त की बजाय 24 जुलाई को ही महाराष्टï्र बंद का आह्वïान कर दिया गया व 24 जुलाई को मराठा क्रांति मोर्चा के बंद के ऐलान के दौरान राज्य के कई जिले हिंसक प्रदर्शनों की लपेट में आ गए। प्रदर्शनकारियों ने परभणी, अहमद नगर आदि में सरकारी वाहनों में तोड़-फोड़ और आगजनी की और भगदड़ में एक पुलिस कांस्टेबल की मौत तथा 9 अन्य घायल हो गए। औरंगाबाद में हिंसा के बाद इंटरनैट सेवा बंद कर दी गई। मराठवाड़ा के 8 जिलों में एहतियातन अधिकांश शिक्षा संस्थान बंद रखे गए और पुणे-औरंगाबाद हाईवे पर सरकारी बसें नहीं चलीं। 

इस बीच 23 जुलाई को गोदावरी नदी में कूद कर जान देने वाले मराठा प्रदर्शनकारी 27 वर्षीय काका साहेब शिंदे के अंतिम संस्कार स्थल के पास तैनात एक पुलिस कांस्टेबल की भी मौत हो गई। बुधवार को मुम्बई, नवी मुम्बई, सतारा, पुणे, रायगढ़, ठाणे और पालघर में बंद की घोषणा की गई और आंदोलन की आग राज्य के अन्य भागों में भी पहुंच गई। मुम्बई में बैस्ट की बस सेवा और स्कूल-कालेजों तथा लोकल ट्रेनों को बंद कर दिया गया जिससे आम लोगों को भारी परेशानी हुई। अनेक स्थानों पर हुई ङ्क्षहसक झड़पों में कई लोग घायल हो गए। 

महाराष्ट्र बंद का सर्वाधिक असर औरंगाबाद में देखने को मिला जहां आंदोलनकारियों ने सड़क यातायात के साथ-साथ रेल गाडिय़ों को भी रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारियों ने दमकल विभाग की एक गाड़ी को भी आग लगा दी और जमकर पथराव किया जिसमें एक कांस्टेबल की मृत्यु तथा एक अन्य घायल हो गया। प्रदर्शनकारियों के पथराव में एक कांस्टेबल की मौत तथा 9 के घायल होने के बाद 25 जुलाई को दूसरे कांस्टेबल की भी मौत हो गई तथा इस बीच मुम्बई में मराठा क्रांति मोर्चा द्वारा बंद के आह्वïान के अलावा मुम्बई में सुबह के समय ही बैस्ट की अनेक बसों पर पथराव किया गया। 

नवी मुम्बई में स्कूल-कालेज बंद रखे गए हैं। ठाणे और जोगेश्वरी में लोकल ट्रेनों को रोकने से आम लोगों को भारी परेशानी हुई। प्रदर्शनकारियों ने अनेक वाहनों को आग लगा दी और 2 प्रदर्शनकारियों ने आत्महत्या करने की कोशिश की।  इसी तरह कई स्थानों पर जाम, तोडफ़ोड़ और आगजनी की बड़ी घटनाएं हुई हैं। उधर, सरकार में शामिल शिवसेना के उद्योगमंत्री सुभाष देसाई ने इस मसले पर भाजपा को घेरते हुए कहा है कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने में विलम्ब हो रहा है। मुख्यमंत्री की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने मराठा आरक्षण सुलझाने का वायदा किया था उन्हें अब आगे आना चाहिए। 

देश इस समय बुरी तरह आंदोलनों, प्रदर्शनों के घेरे में आया हुआ है तथा रोज-रोज होने वाले प्रदर्शनों से न सिर्फ अनमोल प्राण जा रहे हैं बल्कि देश की निजी और सार्वजनिक सम्पत्ति की भी भारी हानि हो रही है। इस बीच महाराष्टï्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस ने बुधवार को कहा है कि सरकार ने मराठा समुदाय के विरोध का संज्ञान लिया है और सरकार उनसे बात करने के लिए तैयार है, लिहाजा सरकार को इस बारे त्वरित कार्रवाई करते हुए लोगों की वास्तविक समस्या सुलझा कर यह जन-रोष समाप्त करना चाहिए।—विजय कुमार

Pardeep

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