‘मणिपुर हिंसा के कारण लोगों का जानमाल ही नहीं’ ‘देश की एकता और अखंडता भी दाव पर’
punjabkesari.in Sunday, Mar 02, 2025 - 05:33 AM (IST)
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3 मई, 2023 को उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में मैतेई समुदाय को एस.टी. का दर्जा दिए जाने के हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध कुकी समुदाय द्वारा समर्थित ‘आदिवासी छात्र संघ’ द्वारा निकाले गए ‘एकजुटता मार्च’ के बाद राज्य में भड़की हिंसा अभी तक जारी है। इसमें अभी तक 300 से अधिक लोगों की मौत और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। इस हिंसा के दौरान समाज विरोधी तत्वों ने पुलिस के शस्त्रागारों से गोलाबारूद तथा हजारों की संख्या में हथियार भी लूटे हैं। इस दौरान 20 जुलाई, 2023 को 2 महिलाओं को नग्नावस्था में घुमाने और 22 जुलाई, 2023 को एक स्वतंत्रता सेनानी की 80 वर्षीय विधवा को उसके घर में जला दिए जाने के बाद राज्य की स्थिति और खराब हो गई है। 18 अक्तूबर, 2024 को भाजपा के 19 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेज कर मुख्यमंत्री ‘एन. बीरेन सिंह’ को हटाने की मांग की और 7 नवम्बर, 2024 को सशस्त्र मैतेई लोगों द्वारा ‘हमार समुदाय’ की 31 वर्षीय अध्यापिका से बलात्कार तथा उसे जिंदा जला देने पर तनाव और बढ़ गया।
3 फरवरी, 2025 को मणिपुर के पंचायती राज मंत्री ‘युमनाम खेमचंद सिंह’ ने नई दिल्ली जाकर भाजपा नेतृत्व को चेतावनी दी कि मुख्यमंत्री ‘एन. बीरेन सिंह’ को नहीं बदलने पर सरकार गिरने की संभावना है। इसके बाद मुख्यमंत्री ‘एन. बीरेन सिंह’ द्वारा 9 फरवरी, 2025 को अपने पद से त्यागपत्र दे देने के बाद 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति राज लगा दिया गया। इसके साथ ही राज्यपाल अजय भल्ला ने विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों से भेंट करके राज्य में शांति और स्थिति को सामान्य करने के लिए मदद मांगना शुरू कर दिया है। उन्होंने 20 फरवरी को यह घोषणा भी की कि एक सप्ताह के अंदर लोगों द्वारा पुलिस थानों से लूटे हुए हथियार लौटा देने पर उनके विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस आश्वासन के बाद लोगों ने लूटे हुए हथियार वापस पुलिस थानों में लौटाने शुरू कर दिए हैं। इनमें ए.के. 47, एस.एल.आर. राइफलें, .303 राइफलें, सिंगल बोर राइफलें, इम्प्रोवाइज्ड मोर्टार बम, ग्रेनेड और अन्य विस्फोटक सामग्री आदि शामिल हैं। लोगों द्वारा स्वेच्छा से हथियार लौटाने के रुझान को देखते हुए राज्यपाल ने हथियार लौटाने की अंतिम तिथि को बढ़ा कर 6 मार्च शाम 4 बजे तक कर दिया है।
बहरहाल, जब भी राज्य में शांति की वापसी की आशा होने लगती है तो कहीं न कहीं हिंसा पुन: भड़क उठती है। ङ्क्षहसा की नवीनतम घटना 28 फरवरी, 2025 को हुई जब कुकी उग्रवादियों ने इम्फाल ईस्ट जिले में ‘मैतेई समुदाय’ के पवित्र धार्मिक स्थल ‘कोंगबा मारू लाइफामलेन’ पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं तथा मंदिर को आग लगा दी। मंदिर के पुजारी के अनुसार हर मणिपुरी महीने के पहले दिन धार्मिक अनुष्ठïान आयोजित किए जाते हैं। 28 फरवरी को भी जब सुबह के समय भारी सुरक्षा के घेरे में श्रद्धालु प्रार्थना करने के लिए मंदिर में पहुंचे, तभी यह घटना हुर्ई। पुलिस ने इस सिलसिले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। उल्लेखनीय है कि इस धर्म स्थल के निकट कुकी उग्रवादियों के लगभग 40 कैम्प हैं। इस गोलीबारी से आक्रोषित आसपास के गांवों के लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने वाहनों का आवागमन रोक कर अपना रोष व्यक्त किया। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 1 मार्च को राज्य के हालात पर समीक्षा बैठक की जिसमें उन्होंने सड़कें ब्लॉक करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं तथा अधिकारियों को 8 मार्च से मणिपुर में सभी सड़कों पर बेरोकटोक आवागमन यकीनी बनाने का आदेश दिया है।
यह आदेश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मई, 2023 में ‘मैतेई’ और ‘कुकी’ समुदायों के बीच जातीय ङ्क्षहसा भड़कने के बाद से इम्फाल घाटी स्थित ‘मैतेई’ तथा पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले ‘कुकी’ लोगों के क्षेत्रों में यात्रा पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया था। पिछले 21 से अधिक महीनों से मणिपुर में ‘कुकी’ और ‘मैतेई’ समुदायों के बीच जारी ङ्क्षहसा में शांति एक छलावा ही बनी हुई है। अत: केंद्र सरकार जितनी जल्दी आपस में लड़ रहे सभी पक्षों को एक साथ बिठाकर यह समस्या सुलझा लेगी, उतना ही अच्छा होगा। सामरिक दृष्टिï से महत्वपूर्ण इस सीमावर्ती राज्य में जारी हिंसा के कारण राज्य के लोगों की सुरक्षा और सम्पत्ति ही नहीं बल्कि देश की एकता और अखंडता भी दाव पर लगी हुई है।—विजय कुमार