बिहार बना ‘पूर्ण नशाबंदी’ लागू करने वाला देश का चौथा राज्य

punjabkesari.in Thursday, Apr 07, 2016 - 01:59 AM (IST)

समूचे देश में शराब, पोस्त, भांग, अफीम तथा चिट्टा आदि नशों का सेवन लगातार बढ़ रहा है और उसी अनुपात में लोगों में अपराध की प्रवृत्ति तथा बीमारियां भी बढ़ रही हैं जो उनकी अकाल मृत्यु का कारण बन रही हैं।

सामान्यत: लोगों को शराब से नशे की लत लगती है और जब वे शराब नहीं खरीद पाते तो अन्य सस्ते नशों व नकली तथा विषैली शराब पीना शुरू करके जीवन तबाह कर लेते हैं और अपने परिवार को रोने के लिए छोड़ जाते हैं। 

अभी 4 और 5 अप्रैल को ही राजस्थान के बाड़मेर में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मृत्यु हो गई जबकि 15 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। यह भी एक संयोग ही है कि इस घटना से मात्र 7 दिन पहले 28 मार्च को राजस्थान के जयपुर जिले की कच्छबाली गांव की पंचायत ने गांव में शराब का ठेका बंद करवाने में सफलता प्राप्त की थी। 

 
और 1 अप्रैल को ही सोनीपत के खेड़ीबुर्जर गांव के मेन बस अड्डे पर शराब का ठेका हटाने के लिए महिलाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया और ठेके पर ताला जड़ दिया, राजस्थान के अलवर में महिलाओं ने शराब के ठेके हटाने की मांग पर बल देने के लिए अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया, संगरूर के गांव घोड़ेनाब, मंडी गोबिंदगढ़ तथा धर्मशाला के रामनगर में भी 2 अप्रैल को महिलाओं, बच्चों व अन्य लोगों ने शराब के ठेकों के विरोध में धरना-प्रदर्शन किया। 
 
बिहार में गत वर्ष चुनावों से पूर्व शराब के हाथों अपने परिजनों को खो चुकी महिलाओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शराब पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था और इसी के अनुरूप नीतीश सरकार ने 1 अप्रैल से राज्य में देसी, मसालेदार और गांवों में अंग्रेजी शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था और इसके साथ ही राज्य के सभी विधायकों ने स्वयं भी शराब न पीने की शपथ ली थी। 
 
इस पर हमने अपने 3 अप्रैल के संपादकीय सशीर्षक ‘बिहार और राजस्थान द्वारा नशाबंदी के सराहनीय लेकिन अधूरे प्रयास’ में लिखा था कि ‘‘नशों पर रोक लगाने की दिशा में बिहार और राजस्थान सरकारों द्वारा उठाए गए पग  सराहनीय हैं परंतु जब तक पूरी तरह सभी किस्म की शराब की बिक्री पर पाबंदी नहीं लगाई जाती तब तक इन प्रयासों का पूरा फायदा मिलना मुश्किल है।’’ 
 
बिहार की महिलाओं, बच्चों तथा अन्य लोगों ने प्रदर्शन करके सरकार से अंग्रेजी शराब की बिक्री भी तुरंत रुकवाने की मांग की थी और अब जनभावनाओं का सम्मान करते हुए  5 अप्रैल को नीतीश सरकार द्वारा पूर्ण शराबबंदी के प्रस्ताव को स्वीकृति दे देने से मिजोरम, नागालैंड व गुजरात के बाद पूर्ण शराबबंदी लागू करने वाला  बिहार देश का चौथा राज्य बन गया है।
 
इसके अनुसार अब बिहार के शहरों में भी हर प्रकार की शराब के सेवन और कारोबार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। होटलों, बार और रैस्टोरैंटों में भी शराब की बिक्री तथा सेवन पर रोक लगा दी गई है। लोग घरों में भी शराब नहीं पी सकेंगे। इसका उल्लंघन करने पर कठोर दंड के प्रावधान किए गए हैं।
 
इसे प्रभावी ढंग से लागू करने का दायित्व जिलाधिकारियों तथा आरक्षी अधीक्षकों को सौंपा गया है ताकि यह प्रतिबंध घोषणाओं तक ही सीमित न रह जाए। यही नहीं, 5 अप्रैल को ही पटना कलैक्ट्रेट परिसर में डी.एम. के साथ सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने शराब न पीने की शपथ ली और उन्हें अगले महीने का वेतन शराब न पीने का शपथ पत्र देने पर ही मिलेगा। 
 
नीतीश कुमार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने का श्रेय महिलाओं और बच्चों को दिया है जिनके प्रयास से ही उनकी सरकार यह निर्णय लेने में सफल हो सकी और शराबबंदी में बिहार देश भर में एक मिसाल बनेगा। 
 
शराब की बिक्री से होने वाली आय का मोह त्याग कर राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करवाने के लिए नीतीश सरकार बधाई की पात्र है। इससे परिवारों में खुशहाली आएगी। लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। अपराधों में कमी आने से अपराध नियंत्रण पर होने वाला खर्च भी घटेगा और राज्य प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा। अत: अन्य राज्य सरकारों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए। 
 
 परंतु यही काफी नहीं, राज्य में शराबबंदी पर कार्यान्वयन के लिए कड़ी निगरानी रखने के साथ ही राज्य सरकार को पड़ोसी राज्यों बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश तथा सीमावर्ती नेपाल से अपने यहां शराब की तस्करी को रोकने के लिए भी कड़े पग उठाने की आवश्यकता है।  
 

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