आतंकवाद के विरुद्ध ‘महबूबा मुफ्ती का अजब स्टैंड’

Saturday, Oct 28, 2017 - 01:54 AM (IST)

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने दक्षिण कश्मीर में फिदायीन हमले में आतंकवादियों के हाथों शहीद होने वाले 8 जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए 26 जून, 2016 को कहा था कि: 

‘‘ऐसी घटनाएं सिर्फ कश्मीर व इस्लाम को बदनाम कर रही हैं। ये उस धर्म को भी आघात पहुंचाती हैं जिसके नाम पर यह सब किया जा रहा है। अत: हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि हम किसी अन्य को चोट न पहुंचाएं।’’ महबूबा मुफ्ती की उक्त टिप्पणी के बावजूद प्रदेश में सुरक्षा बलों के सदस्यों पर हमले जारी हैं जिनमें से चंद निम्र हैं :

01 सितम्बर को आतंकवादियों ने श्रीनगर-जम्मू नैशनल हाईवे पर पंथा चौक इलाके में पुलिस की बस पर हमला करके एक पुलिस कर्मचारी को शहीद और तीन अन्य को घायल कर दिया। 09 सितम्बर को अनंतनाग में एक पुलिस पार्टी पर हमले में एक पुलिस कर्मचारी की हत्या और दो अन्य घायल। 20 सितम्बर शाम को रामबन के बनिहाल इलाके में आतंकवादी हमले में सशस्त्र सीमा बल के एक जवान की मृत्यु तथा एक घायल। 21 सितम्बर को पुलवामा जिले में ग्रेनेड हमले में 3 सिविलियन मारे गए और 30 अन्य घायल हो गए। 28 सितम्बर को बी.एस.एफ. कांस्टेबल रमीज पारे को हाजीन स्थित उसके घर से निकाल कर आतंकवादियों ने गोली मार दी। 

14 अक्तूबर को दमहाल हांजीपुरा में एक पुलिस कांस्टेबल-ड्राइवर खुर्शीद अहमद की हत्या व एक अन्य घायल। 18 अक्तूबर को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकवादियों ने एक स्पैशल पुलिस आफिसर हलीम गुज्जर की हत्या कर दी। 21 अक्तूबर को त्राल इलाके के बाटागुंड गांव में ए.एस.आई. गुलाम अहमद भट्टï के मकान पर हमला करके उसे तहस-नहस कर दिया। 22 अक्तूबर को त्राल इलाके के कस्बे सीर गांव में आतंकवादियों ने एक महिला की गोली मार कर हत्या कर दी। 26 अक्तूबर को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों ने दमहल हांजीपुरा थाने पर ग्रेनेड से हमला किया जिसमें 2 पुलिस कर्मियों सहित 3 लोग घायल हो गए। 

इन हालात में जहां आतंकवादियों द्वारा पुलिस कर्मचारियों की हत्या की जा रही है, महबूबा मुफ्ती ने 25 अक्तूबर को पुलिस कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए कहा है कि, ‘‘जिस तरीके से आतंकवादी पुलिस कर्मचारियों के परिवारों पर हमले करते हैं, पुलिस कर्मचारियों को भी उसी तरह हमले नहीं करने चाहिएं तथा उनको मानवता के चलते अंतर बनाए रखना चाहिए।’’ महबूबा मुफ्ती द्वारा आतंकवादियों के परिवारों को तंग न करने के संबंध में पुलिस को दी गई ‘नसीहत’ से यह संकेत मिलता है कि हमारे मुख्यधारा के नेताओं को भी आतंकवादियों के प्रति तो पूरी सहानुभूति है, लेकिन शायद उन पुलिस कर्मचारियों एवं उनके परिवारों के प्रति वैसी सहानुभूति नहीं है जो अपनी जान पर खेलकर इन नेताओं, उनके परिजनों एवं आम जनता की सुरक्षा में हर समय तैनात रहते हैं। 

आज जबकि आतंकवादियों द्वारा मानवता की सभी सीमाएं लांघ कर क्रूरता की हदों को छूते हुए पुलिस कर्मचारियों तथा उनके परिवारों पर हमले किए जा रहे हैंं, महबूबा मुफ्ती यदि ऐसा कहने की बजाय लोगों को यह सलाह भी देतीं कि वे आतंकवादियों और पत्थरबाजों के साथ नहीं जाएं तो अच्छा होता क्योंकि अपने ही भाई-बंधुओं की हत्या करके उनके बच्चों को अनाथ बनाने वाले आतंकवादी किसी भी दृष्टिï से दया के पात्र नहीं हैं। अत: महबूबा मुफ्ती का बयान सुरक्षा बलों का मनोबल तोडऩे वाला और आतंकवादियों एवं अलगाववादियोंं के हौसले बढ़ाने वाला है।—विजय कुमार  

Advertising