संकट की घड़ी में भी बेहूदा बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे हमारे नेता

Tuesday, Jun 30, 2020 - 10:24 AM (IST)

हम समय-समय पर लिखते रहते हैं कि हमारे नेताओं द्वारा बिना सोचे-विचारे दिए जाने वाले बयानों से सिवाय अनावश्यक विवादों के कुछ हासिल नहीं होता परंतु इसके बावजूद वे ऐसे बयान देकर देश का माहौल बिगाडऩे से बाज नहीं आ रहे जिसके चंद ताजा उदाहरण निम्र हैं : 

* 09 जून को महाराष्ट्र में मुम्बई में कांग्रेस के नेता चरण सिंह सपरा ने कहा, ‘‘लोग जो सर्कस देख रहे हैं उसे केंद्र सरकार कहते हैं और इसमें जोकरों की संख्या अधिक है।’’

* 28 जून को भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा, ‘‘कांग्रेस में न नैतिकता है, न सभ्यता और न संस्कार। राष्टï्र भक्ति कहां से आएगी...विदेशी महिला के गर्भ से पैदा हुआ व्यक्ति देशभक्त हो ही नहीं सकता जो दो देशों की सदस्यता लेकर बैठा हो उसमें राष्ट्रभक्ति कहां से आएगी।’’ जवाब में मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी (कांग्रेस) ने ट्वीट किया, ‘‘कोई भी देशभक्त आतंकवादी नहीं हो सकता। कोई गोडसे भक्त देशभक्त नहीं हो सकता।’’ (लोकसभा चुनाव के दौरान और फिर संसद में प्रज्ञा ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथू राम गोडसे को ‘देशभक्त’ बताया था।) एक अन्य बयान में जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘पुत्र के चक्कर में पांच पुत्रियां पैदा हो गईं-नोटबंदी, जी.एस.टी., महंगाई, बेरोजगारी और मंदी लेकिन अभी तक विकास नहीं हुआ।’’ 

* 28 जून को ही कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुर्जेवाला ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘टिड्डी दल का हमला हो या कोरोना की महामारी, मोदी सरकार का समाधान बस ताली और थाली है।’’इस तरह के बयानों से समाज में सिर्फ दुर्भावना और कटुता ही पैदा होगी जबकि आज देश को कोरोना संकट तथा चीन, नेपाल और पाकिस्तान जैसे निकटतम पड़ोसियों की ओर से दरपेश खतरों का सामना करने के लिए सारे भेदभाव बुलाकर एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है।     —विजय कुमार 

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