अकेलापन एक ऐसा रोग जो पीड़ित लोगों को अक्षम बना देता है

Sunday, Sep 10, 2023 - 02:56 PM (IST)

वर्तमान में अकेलापन स्पष्ट रूप से एक बढ़ती हुई समस्या है। 2022 के एक अध्ययन में पता चला है कि 60 प्रतिशत से अधिक अमरीकी व्यस्कों ने बहुत जुड़ाव महसूस नहीं किया। अकेलापन सभी वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है लेकिन यह तेजी से युवा व्यस्कों को भी प्रभावित कर रहा है।  सर्जन जनरल ने समाज, मनोविज्ञान, तंत्रिका विज्ञान, राजनीतिक विज्ञान, अर्थशास्त्र और सार्वजनिक स्वास्थ्य सहित अन्य क्षेत्रों के व्यापक बहु-विषयक अनुसंधान के आधार पर अकेलेपन की महामारी पर एक एडवाइजरी जारी की है। 

अकेलापन व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर एक चौंका देने वाला बोझ डालता है। अकेलापन चिंता और अवसाद को जन्म देता है और इसे बढ़ा देता है। इससे मृत्यु दर 25  से 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। खोई हुई उत्पादकता को ध्यान में न रखते हुए अकेले तनाव संबंधी अनुपस्थिति की लागत 154 बिलियन अमरीकी डालर प्रतिवर्ष है। अकेलापन दिल के दौरे, स्टॉक, दिल की विफलता, मधुमेह, मोटापा, अस्पताल में भर्ती होने, संक्रमण और सूजन को बढ़ाता है। अकेलापन हमें तत्काल ध्यान देने और इसे दूर करने के साधनों की मांग करता है।

इसके विपरीत सामाजिक सम्पर्क पर पनपने वाले तथाकथित ‘ब्लू जोन’ में जीवन रहने की संभावना 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है। हम सभी अनुमोदन चाहते हैं। सामाजिक संबंध एक गोंद की तरह है। सामाजिक सम्पर्क अपनापन, स्वामित्व, लचीलापन, उद्देश्य की भावना, जवाबदेही और आशा पैदा करता है। यह शिक्षा, आत्मसंरक्षण, स्वस्थ पोषण विकल्प, व्यवसाय, खेल, सामुदायिक भागीदारी और अच्छी नागरिकता के माध्यम से उत्कृष्टता का एक अच्छा चक्र विकसित करने में मदद करता है। 

एक स्वस्थ सामाजिक संरचना नशीली दवाओं और अपराध से आत्म-विनाशकारी पलायन मार्गों को हतोत्साहित करती है। उद्देश्य और स्वामित्व की भावना हमें सैल्युलर स्तर पर भौतिक रूप से बदल देती है। सकारात्मक सुदृढ़ीकरण जैविक मार्गों, आंत माइक्रोबायोम, हार्मोन, रक्तचाप नियंत्रण और प्रतिरक्षा को अनुकूल रूप से सुधारता है। यह सूजन को कम करने में मदद करता है। यह न केवल लम्बी उम्र के लिए बल्कि लम्बी सेहत के लिए भी एक नुस्खा है। 

अफसोस, एक बच्चे की असीमित ऊर्जा और जिज्ञासा बचपन में ही बर्बाद हो जाती है। उम्र के साथ हमारी शक्तियां अनिवार्य रूप से क्षीण हो जाती हैं और जिज्ञासा थोड़ी कमजोर हो जाती है। काम, पारिवारिक जिम्मेदारियां, खाली होते घर, बीमारी, चोट, रिटायरमैंट और कभी-कभी प्रियजनों की मृत्यु के अलग-अलग मिश्रण के माध्यम से आगे बढ़ते हुए वर्ष हमारे सामाजिक दायरे को उस समय सीमित कर देते हैं जब हम सामाजिक समर्थन का सबसे अधिक उपयोग कर सकते हैं।

दुर्भाग्य से अकेलापन बाद के वर्षों का अभिशाप नहीं है। युवा वर्ग विशेष रूप से खतरे की राह पर हैं। युवा सोशल मीडिया से त्रस्त हैं और तकनीकी दिग्गज मानवता को स्क्रीन गुलाम बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। युवा अपना जीवन दांव पर लगा रहे हैं। मानवीय रिश्ते जटिल हैं और आणविक स्तर पर वह विश्वास पर काम करते हैं। हमें मानवता को बचाने के लिए इस प्रणालीगत और विनाशकारी खतरे पर काबू पाने की जरूरत है। सामाजिक भागीदारी, किसी व्यक्ति के मित्रों की संख्या विवाह और जन्मतिथि में लगातार और तेजी से गिरावट आ रही है। युवाओं को झूठ, अकेलेपन का झूठ जीने के लिए प्रेरित कर रहा है। हमें खंडहरों को खत्म करने की जरूरत है। 

हमें कमजोर लोगों की रक्षा करने की जरूरत है। उम्र, ङ्क्षलग, धर्म, जातिवाद, राजनीति, संस्कृति इत्यादि। सोशल मीडिया पर आसानी से हथियारबंद और बेरहमी से क्रियान्वित की जाती है। मैं कल्पना के किसी भी स्तर पर कार्पोरेट युद्ध का उपदेश नहीं देता। हालांकि मैं दृढ़ता से महसूस करता हूं कि हमारे बच्चों को बेहतर सुरक्षा की जरूरत है। अन्यथा मानवता डगमगा जाएगी? जीवन एक रासायनिक सूप है और मनुष्य इसकी अब तक की सर्वश्रेष्ठ पुनरावृत्ति है हमें जल्दबाजी में अपनी बुद्धि को कृत्रिम बुद्धिमता (ए.आई.) के हवाले नहीं करना चाहिए। एक समाज के रूप में आइए हम सोशल मीडिया और ए.आई. की आक्रामकता पर बेहतर नियंत्रण की मांग करें। आइए हम अपने बच्चों की मासूमियत और मानवता के भविष्य को सुरक्षित रखें। अकेले रहना रचनात्मक, उपचारात्मक और आवश्यक हो सकता है। व्यापक अकेलापन एक दंडनीय रोग है जो पीड़ित लोगों को धीरे-धीरे अक्षम बना देता है।

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