प्लास्टिक मुक्त जीवन जीना सीखना भी जरूरी

Monday, Sep 30, 2019 - 12:42 AM (IST)

न्यूयॉर्क में यू.एन.जी.ए. के 74वें सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र से सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त होने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘इस असैम्बली को यह बताते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि इस समय जब मैं आपको सम्बोधित कर रहा हूं, भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया जा रहा है।’’ गांधी जी की 150वीं जयंती पर इस अभियान को देश भर में शुरू किया जाना है तो उन बातों तथा चीजों पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है जो गांधी जी के दिल के करीब थीं। 

दक्षिण अफ्रीका में अपने अभियानों के दौरान गांधी जी ने अफ्रीकनों तथा भारतीयों से अंग्रेजों द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों का बहिष्कार करने को कहा तो उनके मन में टालस्टॉय फार्म का विचार भी आया जहां ये बच्चे रह कर तथा नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकते थे। इसी प्रकार जब उन्होंने विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करने की बात की तो उन्होंने लोगों से अपने कपड़ों के लिए खुद कपास या खादी बुनने को कहा। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जब नमक पर टैक्स वाला कानून लागू हुआ तो उन्होंने लोगों को अपना नमक खुद तैयार करने की सलाह दी। ये उदाहरण इस बात के गवाह हैं कि उनकी राजनीति ने लोगों के जीवन में कभी बाधा पैदा नहीं की। कठिन से कठिन समस्याओं को हल करने के लिए उन्होंने रचनात्मक तरीके पेश किए। 

अब यदि सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने की पहल को सरकार गांधी जी के साथ जोड़ रही है तो इसके विकल्प सामने रखने की जिम्मेदारी भी सरकार की बनती है। यह तर्क दिया जा सकता है कि प्लास्टिक के लिफाफों तथा चम्मचों से पहले भी दुनिया चल रही थी वहीं यह नहीं भुलाया जा सकता कि नई ई-रिटेल इंडस्ट्री काफी हद तक प्लास्टिक पर निर्भर है, फिर चाहे वह एक बार इस्तेमाल करने वाला हो या अन्य। यह भी देखना होगा कि 2 अक्तूबर से सरकार इस पर पूर्ण पाबंदी लगाती है या इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। भारतीय प्लास्टिक इंडस्ट्री से 40 लाख लोग जुड़े हैं जिसमें 30 हजार प्रोसैसिंग यूनिट्स तथा 85 से 90 प्रतिशत छोटे तथा मध्यम एंटरप्राइजेस हैं। 

अप्रैल-अक्तूबर 2018 के मध्य भारत से प्लास्टिक निर्यात 3.47 बिलियन डॉलर रहा जिसमें से कच्चे प्लास्टिक का हिस्सा 2.62 बिलियन डॉलर था। इसी के साथ भारत से प्लास्टिक आयात करने वाले अन्य 4 देश हैं - चीन (553.42 मिलियन डॉलर), इटली (188.31 मिलियन डॉलर), बंगलादेश (168.33 मिलियन डॉलर) तथा यू.ए.ई. (159.02 मिलियन डॉलर)। इनमें सिंगल यूज प्लास्टिक शामिल है। भारतीय नागरिकों को जूट बैग, बांस के रेशों, केले के पत्तों की थालियों, कागज के स्ट्रॉ, लकड़ी या खाई जा सकने वाली चीजों के चम्मच जैसी पुरानी भारतीय चीजों का पुन: इस्तेमाल सीखना आवश्यक है। सरकार ने सामाजिक तथा आर्थिक स्तर पर एक कठिन दिशा में कदम बढ़ाए हैं परंतु सबसे महत्वपूर्ण है कि अब हम वास्तव में प्लास्टिक मुक्त जीवन जीना चाहते हैं।

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