‘लडऩ-भिडऩ नूं वक्खो-वक्ख ते खान-पीन नूं कठ्ठे’

Friday, Dec 25, 2015 - 12:30 AM (IST)

अनेक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं सार्वजनिक समस्याओं पर हमारी संसद एवं विधानसभाओं में सदस्यों में सहमति नहीं बन पाती। यहां तक कि विभिन्न मुद्दों पर असहमति के कारण प्राय: संसद व विधानसभाओं की कार्रवाई ठप्प होने के अलावा सदस्यों में मारा-मारी भी होती रहती है। संसद का 23 दिसम्बर को समाप्त हुआ शीतकालीन सत्र भी इसका अपवाद नहीं रहा।

परंतु इसके विपरीत अपनी सुविधाओं, वेतन-भत्तों में वृद्धि आदि के मामले में सभी सदस्य मतभेद भुला कर एक होकर अपनी मांगें मनवाने में देर नहीं लगाते। अभी गत 3 दिसम्बर को दिल्ली के विधायकों ने अपने वेतन-भत्तों में लगभग 400 प्रतिशत वृद्धि करवा कर कुल वेतन 2.35 लाख रुपए मासिक के लगभग करवाने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित करवाया है। 

इसके एक दिन बाद ही 4 दिसम्बर को केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों का वेतन बढ़ाने पर विचार करने का समाचार आ गया। इसी शृंखला में अब 23 दिसम्बर को यह रहस्योद्घाटन हुआ है कि केंद्र सरकार द्वारा सांसदों का वेतन उनके वर्तमान वेतन की तुलना में दोगुना किए जाने की पूरी संभावना है और इस बारे जल्दी ही फैसला हो जाएगा।
 
सरकार ने सांसदों का वेतन 50 हजार रुपए से बढ़ाकर 1 लाख रुपए मासिक करने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को दिया है। सांसदों को उनके संसदीय क्षेत्र के लिए मिलने वाला भत्ता भी वर्तमान में 45 हजार रुपए से बढ़ाकर 90 हजार रुपए करने का प्रस्ताव है।
 
सांसदों की पैंशन भी 20,000 रुपए मासिक से बढ़ाकर 35,000 रुपए मासिक करना तथा 5 साल से अधिक सांसद रहने वालों की पैंशन में वार्षिक वृद्धि मौजूदा 1500 रुपए से बढ़ाकर 2000 रुपए करना प्रस्तावित है। 
 
वित्त मंत्रालय द्वारा इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे देने से सांसदों को हर महीने वेतन-भत्तों सहित 2.8 लाख रुपए मिल सकते हैं। इसके लिए संसद द्वारा सांसदों के वेतन-भत्तों और पैंशन संबंधी कानून में संशोधन करके प्रस्तावित परिवर्तन शामिल किए जाएंगे।  
 
हालांकि वित्त मंत्रालयने कुछ सिफारिशें ‘अस्वीकार’ भी कर दी हैं परंतु सदस्यों के वेतन-भत्तों संबंधी संयुक्त समिति की सिफारिशों में वेतन-भत्तों के अलावा कार खरीदने के लिए ऋण और फर्नीचर भत्ते की राशि बढ़ाने पर यह सहमत बताया जाता है। समिति के अनुसार सांसदों को कार खरीदने के लिए दिए जाने वाले 4 लाख रुपए के ऋण की राशि बढ़ाई जानी चाहिए। 
 
बताया जाता है कि बुधवार को खत्म हुए संसद के शीतकालीन सत्र में ही यह प्रस्ताव लाया जाना था लेकिन सांसदों ने इसका आधे से अधिक समय तो हंगामेबाजी की भेंट चढ़ा दिया था जिससे सांसदों को लगा कि इस समय अपने वेतन-भत्तों में वृद्धि पर उनका एकजुट होना देशवासियों को नागवार गुजरेगा इसलिए अगले वर्ष फरवरी में शुरू होने वाले बजट सत्र में यह प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया है। 
 
समिति ने सांसदों का वेतन कैबिनेट सचिवों के वेतन से 1000 रुपए अधिक, मंत्री का वेतन कैबिनेट सचिव से 10,000 रुपए अधिक और प्रधानमंत्री का वेतन डेढ़ गुणा अधिक देने की सिफारिश की है।
 
उल्लेखनीय है कि नई लोकसभा में 442 करोड़पति सांसद हैं जबकि अन्य अधिकांश संसद भी पर्याप्त सम्पत्ति के स्वामी हैं और इतनी आय के बावजूद हमारे जनप्रतिनिधियों का खर्च पूरा नहीं होता। करोड़पति सांसदों में सर्वाधिक 683 करोड़ रुपए के मालिक तेलगू देशम के जयदेव गल्ला हैं।
 
इस वेतन वृद्धि से जनता के खून-पसीने से समृद्ध किए गए सार्वजनिक कोष पर बोझ पड़ेगा और जनता की सुविधाओं में कटौती करके जनप्रतिनिधियों की झोलियां भरी जाएंगी। जनता के प्रतिनिधियों की मौज लगेगी और आम जनता पहले की तरह दुनिया भर की समस्याओं में पिसती रहेगी। 
 
महंगाई की मार आम आदमी पर कितनी भी पड़े लेकिन  उसकी आमदनी उस हिसाब से नहीं बढ़ती परन्तु देश के सांसदों और विधायकों पर यह सिद्धांत लागू नहीं होता जो संसद और विधानसभाओं में तो विभिन्न मुद्दों को लेकर लड़ते-झगड़ते रहते हैं परंतु जब अपने वेतन-भत्ते बढ़ाने की बात आती है तो सारे मतभेद भुला कर इक_े हो जाते हैं।  
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