अमरीका, रूस और चीन के अडिय़ल रवैये के कारण ‘जी-20’ में जारी नहीं हो सका संयुक्त बयान

Saturday, Mar 04, 2023 - 04:46 AM (IST)

2 मार्च को राजधानी दिल्ली में ‘जी-20’ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन सम्पन्न हो गया जिसमें अमरीका, रूस, चीन, इंगलैंड और फ्रांस समेत सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन की शुरूआत में ही सभी से मतभेदों से ऊपर उठने की अपील की तथा यूक्रेन संघर्ष को लेकर सम्बन्धित देशों के बीच आम सहमति बनाने के लगातार प्रयास किए। परंतु अमरीका के मित्र एवं समर्थक पश्चिमी देशों और रूस तथा चीन के गठबंधन के बीच भारी वैचारिक मतभेदों और अमरीका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव तथा अन्य चंद विदेश मंत्रियों के कड़े तेवरों के चलते इस सम्मेलन में सहमति नहीं बन पाने के कारण संयुक्त बयान जारी नहीं किया जा सका।

हालांकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भांति ‘जी-20’ युद्ध की समाप्ति या जारी रहने आदि संबंधी कोई निर्णय तो नहीं ले सकता लेकिन इस सम्मेलन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि एक वर्ष से जारी यूक्रेन युद्ध के दौरान पहली बार रूस, चीन, अमरीका, तुर्की, यूक्रेन के प्रतिनिधि एक जगह पर एकत्रित हुए थे। संयुक्त बयान पर सहमति तो नहीं बनी लेकिन बातचीत का एक रास्ता खुला है जो जरूरी था क्योंकि यूक्रेन-रूस युद्ध से पैदा हुई समस्याएं सारी दुनिया को प्रभावित कर रही हैं चाहे वे आर्थिक समस्याएं हों या कोई और। इस सम्मेलन के बाद जी-20 के राष्ट्राध्यक्षों का सम्मेलन भी होने वाला है जिसमें बात आगे बढ़ सकती है।

वैसे तो चीन और तुर्की भी रूस के साथ बात कर सकते हैं परंतु भारत के अमरीका तथा रूस दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं, अत: वह इसमें बेहतर भूमिका निभा सकता है। अच्छी बात यह है कि इस दौरान भारत के नेताओं को विश्व के प्रमुख नेताओं के साथ आपसी मुद्दों पर भी चर्र्चा का अवसर मिला। इस दौरान भारत और इटली के साथ व्यापारिक समझौता भी हुआ तथा अन्य देशों के साथ बात भी चल रही है। कुल मिलाकर भारत के लिए दुनिया के सामने अपना दृष्टिïकोण पेश करने का यह अच्छा मौका रहा। -विजय कुमार

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