‘दिक्कतों’ वाली होगी यह दीवाली

Wednesday, Oct 18, 2017 - 10:05 PM (IST)

2014 का वर्ष देश में बदलाव का संकेत लेकर आया था। वर्ष के पूर्वाद्र्ध में जहां लोकसभा चुनावों में भाजपा को भारी सफलता मिली वहीं उसी वर्ष महाराष्टï्र और हरियाणा में भी भाजपा ने अकेले ही चुनाव जीता।

केंद्र में सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘सुधारवादी’ पग उठाए। इसी शृंखला में जाली करंसी समाप्त करने, विदेशों में पड़ा काला धन वापस लाने और आतंकवाद का आर्थिक सहायता स्रोत रोकने के लिए नोटबंदी का बड़ा पग उठाते हुए 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों का प्रचलन 8 नवम्बर, 2016 को समाप्त कर दिया गया।

जहां इस अप्रत्याशित कदम से देश में भारी अफरा-तफरी मची वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे काले धन पर लगाम लगाने की दिशा में बेहद अहम करार दिया। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने भी दावा किया कि इसकी वजह से आतंकवाद पर लगाम लगी है।

नोटबंदी के लगभग 8 महीने बाद केंद्र सरकार ने 1 जुलाई, 2017 को अब तक के सबसे बड़े टैक्स सुधार का दावा करते हुए वस्तु एवं सेवा कर ‘जी.एस.टी.’ लागू कर दिया जो कांग्रेस के प्रस्तावित जी.एस.टी. का ही संशोधित रूप था।

‘एक देश एक कर’ कही जाने वाली इस सेवा को वर्तमान सरकार स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा टैक्स सुधार कह रही है। इसे लागू करने के लिए दिल्ली स्थित संसद भवन में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया जहां रात के 12 बजे एक एप के जरिए इसे लागू किया गया।

प्रधानमंत्री ने इसे ‘आर्थिक एकीकरण के लिए की गई पहल’ करार दिया। प्रधानमंत्री का कहना था कि इससे अलग-अलग राज्यों में वस्तुओं पर लगने वाला टैक्स एक हो जाएगा और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

श्री मोदी ने यह भी कहा कि ‘‘काले धन और भ्रष्टïाचार को रोकने में जी.एस.टी. मदद करेगा तथा इससे ईमानदारी से व्यवसाय करने के लिए उत्साह और उमंग भरने में मदद मिलेगी।’’

नोटबंदी के झटके से अभी देश उभरा भी नहीं था कि जी.एस.टी. की कार्यशैली स्पष्टï न होने तथा दरें भी ठीक ढंग से तय न होने और पूरी रणनीतिक तैयारी के साथ लागू न करने के कारण इसमें अपेक्षा से अधिक कठिनाइयां आईं और व्यवसाय जगत में रोष फैल गया। लोग जल्दबाजी तथा अपर्याप्त तैयारी के साथ इसके कार्यान्वयन की आलोचना करने लगे जिससे जी.डी.पी. में गिरावट आ गई।

यहां तक कि अनेक भाजपा नेताओं ने जी.एस.टी. की भारी आलोचना की जिसके दृष्टिïगत केंद्र सरकार ने अपने सभी सांसदों और विधायकों को जी.एस.टी. मामले पर व्यापारियों के बीच जाकर उनके मसले सुन कर उसकी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को देने के निर्देश जारी किए।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने 4 अक्तूबर को विज्ञान भवन में जी.एस.टी. नियमों में बड़े बदलावों का संकेत दिया और 5 अक्तूबर को अरुण जेतली तथा अमित शाह से देश की आॢथक स्थिति पर & घंटे तक मंथन किया।

इसी पृष्ठभूमि में 6 अक्तूबर को सरकार ने जी.एस.टी. में चंद रियायतें देने की घोषणा की जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यापारियों और कारोबारियों के लिए दीवाली से पहले दीवाली करार दिया।

परंतु भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा कि, ‘‘जी.एस.टी. की वजह से लक्ष्मी जा रही है। ऐसे में दीवाली पर लक्ष्मी पूजन कैसे होगा? मोदी सरकार ने जनता के गुस्से के सामने झुक कर ऐसा फैसला किया है।’’

‘‘सरकार जनता की सहनशीलता का अंत मत देखे क्योंकि यह बहुत भयानक होगा। कल तक मनमाना फैसला लेने वाली सरकार का जी.एस.टी. करों में कमी करना इस बात का संकेत है कि यह सरकार झुक सकती है।’’

अ‘छे उद्देश्य के साथ परंतु जल्दी में लागू किए गए नोटबंदी और जी.एस.टी. के अपेक्षित नतीजे अभी तक लोगों को नहीं मिल सके जिसका परिणाम यह है कि इस बार दुकानों में रौनक पिछले वर्षों की तुलना में कम है। कुल मिलाकर सरकार को व्यापारियों की समस्याएं हल करने के लिए अभी इस मामले में और बैठकें करनी होंगी जिसका प्रधानमंत्री ने संकेत देते हुए कहा है कि इसमें सुधार किए गए हैं और आगे भी किए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जी.एस.टी. संबंधी निर्णय अकेले उनकी सरकार नहीं बल्कि कांग्रेस की राज्य सरकारों सहित अन्य सरकारों वाली जी.एस.टी. परिषद करती है।

देश के स्वतंत्र होने के बाद इस वर्ष हम 70वीं दीवाली मना रहे हैं। अपने पाठकों को दीवाली की बधाई देते हुए हम कामना करते हैं कि आने वाली दीवाली इस दीवाली से बेहतर और अधिक खुशियां लाने वाली होगी तथा लोगों को जी.एस.टी. से पैदा मुश्किलों पर और गहराई से विचार करके सरकार द्वारा प्रदान राहतों के लाभ मिलने शुरू हो जाएंगे।        —विजय कुमार 

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