नहीं थम रही विमानों में अनियमितताएं जाना था दिल्ली, उतरना पड़ा जयपुर में

Tuesday, Jun 27, 2023 - 06:38 AM (IST)

विमान यात्राओं में जहां यात्रियों द्वारा सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के मामले बढ़ रहे हैं, वहीं विमान चालक दल के सदस्यों की मनमानियां भी जारी हैंं। कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता, जब इस तरह की कोई घटना न होती हो। 25 जून को दिल्ली में मौसम बिगडऩे के कारण ‘एयर इंडिया’ की फ्लाइट एआई-112 सहित कुछ उड़ानें जयपुर डायवर्ट की गई थीं। उक्त विमान को  सुबह 6 बजे दिल्ली पहुंचना था पर बाद में भी इसे दिल्ली नहीं ले जाया गया तथा पायलट अपनी ड्यूटी पूरी होने का हवाला देकर चले गए। 

कंपनी के प्रबंधन और पायलटों के रवैये से नाराज यात्रियों ने हवाई अड्डों पर हंगामा भी किया लेकिन जब एयर इंडिया और एयरपोर्ट प्रशासन ने उन्हें दिल्ली भेजने की व्यवस्था नहीं की तो यात्रियों ने विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को ट्वीट करके अपनी व्यथा बताई। इस पर एयर इंडिया ने उन्हें यात्रियों की परेशानी दूर करने का आश्वासन तो दिया, परंतु इसके बाद भी 6 घंटे से अधिक समय तक यात्रियों को परेशान होना पड़ा और कुछ यात्रियों को वोल्वो बस से तथा कुछ को कैब से दिल्ली भेजा गया। लंदन से दिल्ली की फ्लाइट लगभग 8 घंटे 25 मिनट की होती है परंतु इस गड़बड़ के कारण यात्रियों तथा इस घटना के कारण दूर-नजदीक से उन्हें लेने आए लोगों को हुई परेशानी का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। 

उल्लेखनीय है कि कमर्शियल विमान चालकों को प्रतिमास उड़ान के दौरान 85 घंटे तथा इसके अलावा 80 घंटे ग्राऊंड पर ड्यूटी देनी होती है जिसमें विमानों की देखभाल, उड़ान से पहले की जांच, मौसम रिपोर्टों की जांच आदि शामिल होती है। आमतौर पर पायलट की तीन तरीके की उड़ान होती है। लघु उड़ान 30 मिनट से 3 घंटे की, दूसरी 3 से 6 घंटे की और तीसरी उड़ान 6 से 12 घंटे या उससे अधिक की होती है। लम्बी उड़ान के पायलटों को लम्बे समय तक ड्यूटी देनी पड़ सकती है, परंतु उन्हें उतनी ही अधिक देर तक आराम करने का समय भी दिया जाता है। 

पायलट भले ही तकनीकी रूप से सही हों लेकिन इस बात में कोई तुक नहीं कि वे बीच उड़ान में ही विमान को छोड़ कर चले जाएं और वह भी तब, जबकि जयपुर से दिल्ली की उड़ान एक घंटे से भी कम समय की है। यदि चालक दल के सदस्य विमान को दिल्ली ले आते तो यात्रियों को होने वाली परेशानी और विमान सेवा पर उन्हें दिल्ली लाने के लिए किए गए फिजूल खर्च से बचा जा सकता था। अत: इस तरह की घटना के लिए जिम्मेदार स्टाफ के विरुद्ध समुचित जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई करने की जरूरत है।—विजय कुमार  

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