असहनशील माहौल के बीच देश में ‘भाईचारा’ जारी

Thursday, Dec 03, 2015 - 11:55 PM (IST)

‘असहिष्णुता’ का अर्थ है अपने विचारों के विपरीत विचारों को न सुनना। महात्मा गांधी के अनुसार, ‘‘असहिष्णुता अपने आप में ङ्क्षहसा की ही एक किस्म है जो वास्तविक लोकतंत्र के विकास में बाधा है।’’ 

आज देश में चंद निहित स्वार्थी तत्व छोटी-छोटी बातों पर असहनशीलता दिखा कर देश का वातावरण बिगाडऩे की कोशिश कर रहे हैं पर निम्र उदाहरणों से स्पष्ट है कि इन्हें न अतीत में सफलता मिली है और न ही अब मिलेगी।
 
देश में यहूदियों के कुछ गिने-चुने ही कब्रिस्तान हैं। इनमें से एक कर्नाटक के बेंगलूर में है। यहां एक यहूदी परिवार की तीन पीढिय़ों के 50 से अधिक सदस्य दफन हैं। इसके लिए भूमि हिंदू मैसूर नरेश कृष्णराज वाडियार ने दी थी। इसकी देखभाल एक मुसलमान शेख रफीक व उसके परिवार के लोग करते हैं। रफीक के पूर्वजों को इसके लिए मैसूर नरेश ने ही नियुक्त किया था और उन्हें इस कब्रिस्तान के बगल में ही एक मकान भी बनवाकर दिया था। 
 
केरल में कन्नूर जिले के तानूर मल्लापुरम में भगवती मंदिर के पुरोहित की नियुक्ति की घोषणा प्रत्येक 12 वर्ष पर स्थानीय मुसलमान ‘पाजयाकाठ परिवार’ करता है। इसके लिए इस परिवार के सदस्यों को मंदिर में आसन पर बिठाया जाता है और उनका सबसे बुजुर्ग सदस्य नए पुरोहित की घोषणा करता है। 8 वर्ष पूर्व ‘पाजयाकाठ बापू हाजी’ ने पुरोहित की नियुक्ति की थी। अगले पुरोहित की नियुक्ति की घोषणा भी उन्हीं द्वारा संभावित है।
 
त्रिचूर के कटमाकपल में भगवती मंदिर के वाॢषकोत्सव में इस मंदिर को हैदर अली के आक्रमण के दौरान नष्ट होने से बचाने वाले एक मुसलमान ‘अरकल परिवार’ का विशेष योगदान रहता है। मंदिर के वाॢषकोत्सव में इस परिवार के अलावा अन्य मुस्लिम परिवार बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। 
 
कन्नूर में ही वल्लापत्तनम स्थित मस्जिद के लिए भूमि हिन्दू राजघराने ‘चिरक्कल परिवार’ ने दी थी जिस कारण कुछ समय पहले तक इस मस्जिद के काजी की नियुक्ति उक्त राजघराने के सदस्यों द्वारा की जाती रही। चिरक्कल कोविलाकम राजघराने के राजा रविंद्र वर्मा के अनुसार अब इस परिवार ने मस्जिद को काजी की नियुक्ति स्वयं करने का पत्र लिख दिया है।
 
मुम्बई की क्राफोर्ड मार्कीट के निकट एक मुसलमान फकीर की दरगाह है जिसे ‘पैड्रोशाह की दरगाह’ कहते हैं। इसके सामने 1903 में एक शराब खाना था। फकीर के भक्तों ने इसके मालिकों को बहुत बार वहां से इसे हटाने को कहा लेकिन जब उन्होंने इसे न हटाया तो अचानक एक दिन पूरी इमारत ढह गई और वे सब लोग मारे गए जिनका इस शराबखाने से संबंध था। 
 
जिस फकीर के श्राप के चलते यह इमारत ध्वस्त हुई उसके बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। एक कहानी यह है कि इस फकीर का वास्तविक नाम सईद अब्दुल्ला शाह कादरी था। ‘पैड्रो’ नाम उन्हें पुर्तगालियों ने दिया था जो उन्हें अपने आराध्य संत पीटर के बराबर मानते थे। आज भी फकीर ‘पैड्रो शाह’ की दरगाह की बड़ी मान्यता है और सभी धर्मों के लोग यहां मुरादें मांगने आते हैं। 
 
धार्मिक सहिष्णुता का एक उदाहरण नवरात्रों की शोभायात्रा में मुम्बई के मीरा रोड स्थित तरुण मित्रमंडल के सदस्यों ने दिया। उन्होंने अपनी झांकियों में अम्बे माता की प्रतिमा के साथ-साथ मुम्बई के प्रसिद्ध माऊंट मैरी गिरजाघर की झांकी तथा मदर मैरी की प्रतिमा को भी शामिल किया।
 
यह बात भी उल्लेखनीय है कि इस मित्रमंडल के प्रमुख एक ईसाई सेबेश्चियन फर्नांडीस हैं जो नवरात्रों में उपवास रखते हैं, शुद्ध सात्विक जीवन व्यतीत करते हैं तथा सभी दिनों के धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। 
 
भाईचारे की एक मिसाल बरेली में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने 15 हिन्दू रेल यात्रियों को हवालात से छुड़ा कर पेश की। इनमें से किसी को 500 तो किसी को 10,000 रुपए जुर्माना किया गया था जो न भर पाने के कारण इन्हें हवालात में बंद कर दिया गया था। 
 
हाजी सुभान कुरैशी, हाजी अनीस कुरैशी, हाजी यासीन कुरैशी आदि ने 49,500 रुपए जुर्माना भरकर सबको छुड़वाया, घर जाने के लिए किराया आदि भी दिया और गले मिल कर सबको विदा किया।
 
भरतपुर में किन्नर नीतू ने एक ही मंच पर पांच हिन्दू व पांच मुसलमान कन्याओं का विवाह करवाया जहां एक ही मंच से गूंज रहे वेदों के मंत्र और कुरान की आयतों के स्वर प्रेम प्यार और भाईचारे का संदेश दे रहे थे। 
 
उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि निहित स्वार्थी तत्वों के लाख प्रयासों के बावजूद देश में आपसी सद्भाव, भाईचारे व सहिष्णुता के बंधन इतने मजबूत हैं कि इन्हें तोड़ पाना किसी के लिए संभव नहीं है।
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