अस्पताल की घोर लापरवाही पति की बजाय किसी अन्य के शुक्राणुओं से किया गर्भाधान

Wednesday, Jun 28, 2023 - 04:39 AM (IST)

डाक्टरों के पास लोग अपनी पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए जाते हैं परन्तु कुछ डाक्टर अपनी लापरवाही से उनकी समस्या हल करने की बजाय उल्टे उनकी पीड़ा को और बढ़ा देते हैं। ऐसी ही लापरवाही के शिकार एक नि:संतान दम्पति का केस सामने आया है। ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग’ ने एक महिला को गर्भ धारण में मदद के लिए उसके पति की बजाय किसी अन्य व्यक्ति के शुक्राणुओं का इस्तेमाल करके प्रजनन प्रक्रिया संबंधी गड़बड़ी के लिए दिल्ली के एक निजी अस्पताल के निदेशक तथा प्रक्रिया में शामिल 3 डाक्टरों पर 1.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। 

महिला ने जून, 2009 में ए.आर.टी. प्रक्रिया के माध्यम से जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया था, जिनके डी.एन.ए. प्रोफाइल की जांच से पता चला कि महिला का पति उनका जैविक पिता नहीं था। इस पर दंपति ने 2 करोड़ रुपए के मुआवजे का दावा करते हुए आयोग से गुहार लगाई थी। इसके साथ ही आयोग ने ए.आर.टी. क्लीनिकों के विरुद्ध कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि‘‘हाल ही में इनकी संख्या में वृद्धि के साथ-साथ इनमें अनैतिक प्रक्रियाएं भी बहुत बढ़ गई हैं।’’ ‘‘अत: ऐसे क्लीनिकों की मान्यता की जांच के अलावा नवजात शिशुओं का डी.एन.ए. प्रोफाइल जारी करना अनिवार्य करने की आवश्यकता है।’’ 

आदेश में यह भी कहा गया है कि ‘‘अस्पताल ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा तय दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया।’’‘‘चूंकि दोनों लड़कियां अब 14 वर्ष की हो गई हैं तथा इनके माता-पिता को कई खर्च उठाने पड़ेंगे, इसलिए वे ‘पर्याप्त मुआवजे’ के हकदार हैं।’’अस्पतालों के उच्च शिक्षा प्राप्त डाक्टरों से इस तरह की लापरवाही की कदापि उम्मीद नहीं की जाती। आखिर उन्होंने जो शुक्राणु लिए होंगे उस पर देने वाले का नाम तथा अन्य आवश्यक विवरण लिखा हुआ होगा। महिला के पति के शुक्राणुओं के स्थान पर किसी अन्य के शुक्राणुओं से उसका गर्भाधान करके दम्पति के साथ भारी छल किया गया है। पहले तो बच्चा पैदा हो नहीं रहा था और जब हुआ तो वह किसी और का निकला। ऐसी चूकों के लिए डाक्टरों को ज्यादा से ज्यादा सजा दी जानी चाहिए।—विजय कुमार 

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