बढ़ती महंगाई से लोगों का घरेलू बजट बुरी तरह चरमराया

Sunday, Jul 17, 2016 - 01:26 AM (IST)

देश में दैनिक उपयोग की सभी वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। अनेक खाद्य वस्तुओं के भाव एक महीने में ही 5 से 10 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गए हैं जिससे घरेलू बजट अस्त-व्यस्त हो गए हैं। 

 
आलू, दाल व सब्जी की कीमतों में भारी बढ़ौतरी की वजह से खाद्य पदार्थों की थोक महंगाई दर लगातार चौथे महीने बढ़ते हुए 8.18 प्रतिशत पर पहुंच गई है जो 23 महीने का उच्चतम स्तर है। अनाज की महंगाई जून 2016 में 6.3 प्रतिशत रही जो मई 2016 में 4.6 प्रतिशत थी। 
 
खुदरा और थोक दोनों तरह की महंगाई दरें धीरे-धीरे ऊपर चढ़ रही हैं। इस वर्ष जून में खुदरा महंगाई भी 22 महीने के सर्वाधिक 5.77 प्रतिशत पर पहुंच गई। जून में चावल, गेहूं, फल, सब्जियों, खासकर आलू और दूध की कीमतों में भी तेजी आई है। 
 
अभी तक तो सब्जियों के मुकाबले में दालें सस्ती मानी जाती थीं और इसीलिए ‘दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ’ वाली कहावत चलती थी परंतु अब दालें भी आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। 
 
पिछले एक वर्ष में करियाना के भावों में भी जबरदस्त उछाल आया है और हल्दी 110 से 150 रुपए, लाल मिर्च 120 से 200, जीरा 175 से 205, दाल चना 55 से 105, काले चने 55 से 110, सफेद चने 60 से 155, अरहर दाल 100 से 140 रुपए किलो हो गई है। 
 
पिछले लगभग 15 दिनों में मोटे तौर पर टमाटर 40 से 70 रुपए, अदरक 40 से 60, लहसुन 80 से 100, धनिया 30 से 60, हरी मिर्च 50 से 70, नींबू 50 से 80, खीरा 20 से 40 व मूली 15 से 20 रुपए किलो हो गई है।
 
इसी अवधि में पालक 10 से 50, बंदगोभी 20 से 50, शिमला मिर्च 30 से 70, रामातोरी 20 से 50, ङ्क्षभडी और बैंगन 20 से 40, फलियां 40 से 80, फूलगोभी 30 से 70, मटर 50 से 80, टिंडे 40 से 70, करेला 20 से 40 और घीया 30 से 70 रुपए हो गया है। 
 
हालांकि सरकार महंगाई दूर करने के लिए विदेशों से भारी मात्रा में दालों का आयात करने जा रही है परंतु खाद्यान्न व्यवसाय से जुड़े लोगों के अनुसार स्टाक जमा करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना भी आवश्यक है। दालों के भाव तभी कम हो सकते हैं जब वायदा बाजार से दलहन को हटाने के साथ-साथ इसका स्टाक रखने की सीमा भी कम की जाए। 
 
रेटिंग एजैंसी ‘इंडिया रेटिंग’ के अनुसार जून में गेहूं तथा चावल के दामों में अचानक वृद्धि ङ्क्षचता का कारण है। अत: सरकार को इसे नीचे लाने के लिए समय रहते बाजार में जल्दी हस्तक्षेप करना चाहिए। 
 
वैसे तो भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति तय करते समय खुदरा महंगाई को संज्ञान में लेता है लेकिन बढ़ती थोक महंगाई दर आपूर्ति प्रबंधन की चुनौतियों की ओर इशारा करती है। अत: महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए अब यह निश्चित माना जा रहा है कि अगस्त में रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा जिसका प्रभाव आम और खास सब लोगों पर पड़ेगा। 
 
महंगाई से परेशान आम जनता ने प्रदर्शनों और नेताओं के पुतले फूंकने का कार्यक्रम भी देश के कुछ भागों में शुरू कर रखा है। भाजपा नेतृत्व को याद होगा कि चुनावों से पूर्व देश को भ्रष्टाचार एवं महंगाई से मुक्ति दिलानेे के वादे के दम पर ही उनकी पार्टी लोकसभा के चुनाव जीत कर सत्ता में आई थी परंतु 2 वर्ष बाद भी वह अपना वादा पूरा करने में असफल रही है। 
 
महंगाई से न सिर्फ निम्र और मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट गड़बड़ा रहा है, इससे आम दुकानदारों के व्यवसाय तथा देश की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है और लोग अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं का भी गला घोंट कर दिन गुजारने के लिए विवश हो रहे हैं। 
 
कुल मिला कर आम देशवासी आज पहले की भांति ही उन समस्याओं से जूझ रहे हैं जिनसे वे कांग्रेस के शासनकाल में दो-चार हो रहे थे और अच्छे दिनों का सपना अभी तक सपना ही बना हुआ है।  
 
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